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अपने ही महकमे में दांव पर सिद्धू की प्रतिष्ठा, निलंबित अफसर कोर्ट में दे रहे चुनौती

सिद्धू भ्रष्टाचार के मामले को लेकर दर्जनों अफसरों व मुलाजिमों को निलंबित व डिमोट कर चुके हैं। जिसके चलते सिद्धू अपने ही विभाग के तमाम अफसरों के निशाने पर चल रहे हैं।

By Ankit KumarEdited By: Published: Sat, 05 Aug 2017 08:38 PM (IST)Updated: Sat, 05 Aug 2017 08:38 PM (IST)
अपने ही महकमे में दांव पर सिद्धू की प्रतिष्ठा, निलंबित अफसर कोर्ट में दे रहे चुनौती
अपने ही महकमे में दांव पर सिद्धू की प्रतिष्ठा, निलंबित अफसर कोर्ट में दे रहे चुनौती

जेएनएन, चंडीगढ़। स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू की प्रतिष्ठा अपने ही महकमे में दांव पर लग गई है। सिद्धू ने पूरे महकमे को भ्रष्टाचार मुक्त करने का एलान कर रखा है। दूसरी तरफ सिद्धू के खिलाफ ही विभाग के तमाम अफसरों ने लामबंदी शुरू कर दी है।

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सिद्धू ने विकास कार्यों में धांधली को लेकर सिंगल टेंडर के मामले में जालंधर, अमृतसर व लुधियाना के चार एसई को बीते महीने निलंबित कर दिया था। सिद्धू के फैसले को एडवोकेट जनरल अतुल नंदा ने भी सही ठहराया था। हाईकोर्ट ने तीन एसई के निलंबन पर रोक लगा दी है।

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सिद्धू भ्रष्टाचार के मामले को लेकर दर्जनों अफसरों व मुलाजिमों को निलंबित व डिमोट कर चुके हैं। सिद्धू का सबसे पहला शिकार स्थानीय निकाय विभाग के पूर्व चीफ विजिलेंस अफसर एके कांसल बने थे। उसके बाद पूर्व चीफ टाउन प्लानर हेमंत बत्रा पर गाज गिरी। दोनों को ही सिद्धू ने डिमोट कर दिया था। इसके बाद दो दर्जन से ज्यादा मुलाजिमों को सिद्धू ने योग्यता पूरी न होने के बाद भी पिछली सरकार की ओर से प्रमोट किए जाने के मामले को लेकर डिमोट किया था।

लोगों के हित में सिद्धू ने अफसरों के घरों पर चाकरी कर रहे सैकड़ों मुलाजिमों को तत्काल संबंधित दफ्तरों में काम पर बुला लिया था। इस प्रकार के कई फैसलों को लेकर सिद्धू अपने ही विभाग के तमाम अफसरों के निशाने पर चल रहे हैं। विधानसभा चुनाव से पहले 2016 में करवाए गए सैकड़ों करोड़ के विकास कार्यों की पड़ताल में धांधली के मामले में चार सुपरिंटेंडेंट इंजीनियरों (एसई) के निलंबन का सिद्धू ने सबसे बड़ा फैसला लिया था। 

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निलंबन से पहले सिद्धू ने विभागीय कारवाई भी पूरी की थी और विभाग के चीफ विजिलेंस अफसर की रिपोर्ट के आधार पर निलंबन की कारवाई की थी। सिद्धू के पास निलंबित एसई ने गुहार भी लगाई थी कि उन्होंने जो भी काम सिंगल टेंडर के जरिए करवाए थे, वह सरकार के आदेशों पर ही करवाए थे। इसके बाद भी सिद्धू अपने फैसले पर अड़े रहे। जालंधर, अमृतसर व लुधियाना के कांग्रेसी विधायकों के साथ सिद्धू ने चारों एसई का पक्ष सुनने के बाद भी यही कहा था कि उनका फैसला सही है।  

हाईकार्ट ने लगाई रोक

सिद्धू के फैसले को लुधियाना के एसई पवन कुमार व धर्मपाल व अमृतसर के एसई पीके गोयल ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। जहां से उनके निलंबन पर अदालत ने रोक लगा दी है। इसी आधार पर चौथे निलंबित एसई कुलविंदर सिंह के भी निलंबन पर रोक लगना तय हो गया है। चारों एसई के निलंबन पर रोक के बाद निगमों व कौंसिलों के बाकी के मुलाजिम भी अदालत की शरण में जाने को लेकर लाबिंग करने में जुट गए हैं।

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कांग्रेसियों ने ही दिया अंदरखाते समर्थन

सूत्रों के अनुसार निलंबित चारों एसई को कुछ कांग्रेसी नेताओं ने ही अंदरखाते समर्थन देकर अदालत की शरण लेने की योजना बताई थी। इनमें से दो कांग्रेसियों ने पहले भी इस मामले में कोशिश की थी कि किसी भी प्रकार सिद्धू चारों एसई को एक मौका दे दें। क्योंकि एसई बार-बार एक ही बात कह रहे थे कि वह तो सरकार के नौकर हैं। जो सरकार ने कहा वह उन्होंने किया। उनकी गलती नहीं है। अब कांग्रेस सरकार जो कहेगी वह वैसा ही करेंगे। सिद्धू ने उस समय भी यही जबाव देकर उक्त नेताओं को टाल दिया था कि मैं किसी भी हालत में गलत करने को नहीं कहूंगा और न ही यह बर्दाश्त करूंगा कि मेरे विभाग का कोई भी अफसर गलत काम करे।

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