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कार्यकाल पूरा होने से पहले हटाए सांपला, श्वेत मलिक पंजाब भाजपा के अध्यक्ष

लोकसभा चुनाव से पहले पंजाब भाजपा में बड़ा परिवर्तन हुआ है। पार्टी हाईकमान ने श्वेत मलिक को प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sat, 31 Mar 2018 04:25 PM (IST)Updated: Sun, 01 Apr 2018 04:38 PM (IST)
कार्यकाल पूरा होने से पहले हटाए सांपला, श्वेत मलिक पंजाब भाजपा के अध्यक्ष
कार्यकाल पूरा होने से पहले हटाए सांपला, श्वेत मलिक पंजाब भाजपा के अध्यक्ष

चंडीगढ़ [मनोज त्रिपाठी]। भाजपा ने पंजाब में पहली बार पार्टी अध्यक्ष को उसका कार्यकाल पूरा होने से पहले हटा दिया। शनिवार को विजय सांपला की जगह अमृतसर से राज्यसभा सदस्य श्वेत मलिक को पार्टी अध्यक्ष बना दिया गया। सांपला को अध्यक्ष बने हुए अभी दो साल भी पूरे नहीं हुए थे। उनका दो साल का कार्यकाल 10 अप्रैल को पूरा होने जा रहा था। इसके बाद उनका एक साल का कार्यकाल बचा था।

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उनसे पहले कमल शर्मा, अश्वनी शर्मा, प्रोफेसर राजिंदर भंडारी, अविनाश राय खन्ना व प्रोफेसर बृज लाल रिणवा ने अपने कार्यकाल पूरे किए थे। भाजपा में अध्यक्ष पद का कार्यकाल तीन साल का होता है। पंजाब में विधानसभा चुनाव समेत लगातार चार चुनाव हारने के बाद पार्टी ने यह फैसला लिया है। अध्यक्ष पद की दौड़ में मलिक के अलावा अविनाश राय खन्ना भी शामिल थे।

इसलिए सांपला पर गाज

-1. दलित कार्ड खेलते हुए भाजपा ने सांपला को लोकसभा चुनाव का उम्मीदवार बनाया। चुनाव जीतने के बाद सांपला भाजपा को एकजुट करने में सफल नहीं हो पाए।
-2. 2006-07 में जालंधर के बूटा मंडी में हुई बड़ी रैली को सफल बनाने वालों से सांपला ने पावर में आने के बाद दूरियां बढ़ा ली थीं। वह दलितों को भी अपने साथ खड़ा नहीं कर पाए।
-3. सांपला पार्टी की फूट को कंट्रोल करने में भी नाकाम रहे। कमल शर्मा और अविनाश राय खन्ना गुट से उन्हें लगातार चुनौती मिलती रही।
-4. विधानसभा चुनाव में पार्टी की करारी हार के बाद गुरदासपुर लोकसभा उपचुनाव में हार के बाद जालंधर, अमृतसर, पटियाला व लुधियाना निगम के चुनाव भी भाजपा की हार हुई।
-5. सांपला के करीबियों के खिलाफ जालंधर में ही चल रहे कुछ विवादों ने भी इस फैसले में भूमिका निभाई। वन मैन, वन पोस्ट के फॉर्मूले के चलते सांपला खुद भी पद छोडऩा चाहते थे।

इसलिए चुने गए श्वेत मलिक

-1. श्वेत मलिक छवि अभी तक साफ-सुथरी है और संगठन के काम में मलिक का काफी अनुभव है।
-2. मलिक को जेटली के करीबी रिश्तों का लाभ मिला। लोकसभा चुनाव के दौरान श्वेत मलिक ने अमृतसर में अरुण जेटली की काफी मदद की थी। मलिक ही जेटली के प्रचार की कमान संभालते थे।
-3. मलिक को प्रधान के रूप में संघ भी पसंद कर रहा है। पंजाब में भी संघ में उनकी अच्छी पैठ है।
-4. मलिक केंद्र सरकार की आधा दर्जन पार्लियामेंट्री कमेटियों के सदस्य हैं। बतौर सांसद उनकी सक्रियता का भी उन्हें लाभ मिला।
-5. राज्यसभा सदस्य के तौर पर उनकी दो साल की परफॉर्मेंस ने उनके अध्यक्ष बनने का रास्ता साफ किया।

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