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महाकाली माता मंदिर सेक्टर-30 में शरद पूर्णिमा महोत्सव कल, रात 8 से 12 बजे तक चलेगा भजन कीर्तन

शरद पूर्णिमा के दिन खीर का प्रसाद दिया जाता है जोकि गाय के दूध से बनती है। इस बार बनने वाली खीर के लिए ढाई क्विंटल दूध की डिमांड की गई है। शुक्रवार दोपहर तक खीर को बनाने के बाद रात 1100 बजे के बाद सभी श्रद्धालुओं में बांटा जाएगा।

By Vikas_KumarEdited By: Published: Thu, 29 Oct 2020 08:02 AM (IST)Updated: Thu, 29 Oct 2020 08:52 AM (IST)
महाकाली माता मंदिर सेक्टर-30 में शरद पूर्णिमा महोत्सव कल, रात 8 से 12 बजे तक चलेगा भजन कीर्तन
इसके साथ ही मंदिरों में हर बार की तरह इस बार भी स्पेशल खीर प्रसाद बांटा जाएगा।

चंडीगढ़, जेएनएन। महाकाली माता मंदिर सेक्टर-30 में शरद पूर्णिमा महोत्सव कल मनाया जाएगा। इस दौरान रात 8:00 बजे से लेकर 11:00 बजे तक ब्रजरस रसिक कमलनयन कृष्ण भजन से भगवान श्री कृष्ण की आराधना करेंगे। इसके साथ ही मंदिरों में हर बार की तरह इस बार भी स्पेशल खीर प्रसाद बांटा जाएगा। यह खीर प्रसाद सांस की समस्या वाले लोगों को फ्री में दी जाती है।

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मंदिर प्रबंधक कमेटी के प्रधान राकेश पाल मोदगिल ने बताया कि खीर प्रसाद को बनाने के लिए आयुर्वेदाचार्य डा. विनय बंसल मौजूद रहते हैं जोकि अपनी देखरेख में खीर का प्रसाद बनाकर उसमें जड़ी बूटियों को डालते हैं, ताकि उसके सेवन से सांस की बीमारियां ठीक हो सके।

उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम हर साल की तरह इस बार भी मनाया जाएगा। इस बार सिर्फ इतना बदलाव रहेगा कि यह कार्यक्रम पूरी रात के बजाय सिर्फ 12:00 बजे तक चलेगा और उसके बाद खत्म कर दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि शरद पूर्णिमा की रात का चांद बेहद शुभ कार्य होता है। उसके तहत हर साल इस दिन विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है।

ढाई क्विंटल दूध से बनेगी खीर

शरद पूर्णिमा के दिन खीर का प्रसाद दिया जाता है जोकि गाय के दूध से बनती है। इस बार बनने वाली खीर के लिए ढाई क्विंटल दूध की डिमांड की गई है जोकि शुक्रवार सुबह तक पहुंच जाएगा। इसके बाद दोपहर तक उसे बनाने के बाद रात 11:00 बजे के बाद सभी श्रद्धालुओं में बांटा जाएगा। प्रबंधक कमेटी के प्रधान राकेश पाल ने बताया कि इस प्रसाद को केवल सांस के रोगियों को ही दिया जाता है।

इसके अलावा अन्य भक्त सिर्फ भजन रसपान के लिए ही आ सकते हैं। कोविड-19 के चलते हुए इस बार सभी श्रद्धालुओं से अपील की जा रही है कि वे मास्क डालकर आए और पंडाल में बैठते समय फिजिकल डिस्टेंसिंग का भी ध्यान रखें। इसके साथ ही बच्चे और बुजुर्गों को नहीं आने की सलाह भी दी जा रही है।


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