पत्नी ने यूनिफार्म पहनकर दी शहीद स्क्वॉड्रन लीडर सिद्धार्थ को अंतिम विदाई, गूंजे भारत मां के नारे
शहीद स्क्वॉड्रन लीडर सिद्धार्थ की अंतिम विदाई के दौरान आरती ने अदम्य साहस दिखाया। आरती ने अपनी यूनीफार्म पहनकर शहीद सिद्धार्थ को अंतिम विदाई दी।
जेएनएन, चंडीगढ़। तिरंगे में लिपटे शहीद स्क्वॉड्रन लीडर सिद्धार्थ के पार्थिव शरीर को देख हर किसी की आंखों से आंसू निकल रहे थे। बहादुर बेटे को खोने का गम हर किसी को था, लेकिन सब गम में डूब जाएंगे तो परिवार को कौन संभालेगा, यही सोचकर शहीद सिद्धार्थ की पत्नी आरती ने अपने मन को समझा लिया था। वे खुद वायुसेना में स्क्वॉड्रन लीडर हैं।
सिद्धार्थ की अंतिम विदाई के दौरान आरती ने अदम्य साहस दिखाया। आरती ने अपनी यूनीफार्म पहनकर शहीद सिद्धार्थ को अंतिम विदाई दी। इस दुख की घड़ी में भी आरती ने न सिर्फ खुद को संभाले रखा, बल्कि अपनी सास और परिवार के अन्य सदस्यों को भी धैर्य बंधाती नजर आईं।
उन्होंने कई बार अपनी सास को संभाला। उनके साथ उनके भाई भी खड़े रहे। सेना के जवानों ने जब सिद्धार्थ के ताबूत पर रखा तिरंगा उठाकर आरती को थमाया, तो आरती ने उसे अपने सीने से लगा लिया। अंत्योष्टि के वक्त भी वे वहीं खड़ी होकर सिद्धार्थ की जलती चिता को देखती रहीं। इस बीच, सेना के अधिकारियों और लोगों ने उन्हें सांत्वना दी। इसके बाद एयरफोर्स ने शहीद सिद्धार्थ को गार्ड ऑफ ऑनर दिया।
सुबह से लोग घर पहुंचने लगे थे
सिद्धार्थ को अंतिम विदाई देने के लिए के लिए सुबह से लोग सेक्टर-44 स्थित उनके घर पहुंचने शुरू हो गए थे। परिवारवालों और एयरफोर्स को इस दौरान कोई परेशानी न हो, इसलिए पुलिस ने सुबह से घर के बाहर मोर्चा संभाल लिया था। सुबह साढ़े 10 बजे एयरफोर्स के जवान फूलों से सजे आर्मी ट्रक में उनके पार्थिव शरीर को लेकर सेक्टर-25 के श्मशान घाट आए।
पुलिस ने बनाया विशेष कॉरिडोर
रास्ते में ट्रैफिक संबंधी कोई दिक्कत नहीं हो, इसलिए पुलिस ने विशेष कॉरिडोर बनाया था। जैसे ही एयरफोर्स का ट्रक उनके पार्थिव शरीर को लेकर सेक्टर-25 के श्मशान घाट पहुंचा, तो वहां पहले से मौजूद हजारों लोगों ने भारत माता की जय, पाकिस्तान मुर्दाबाद, शहीद सिद्धार्थ अमर रहें- अमर रहें के नारे लगाए। श्रीनगर के बडग़ाम में बुधवार को एमआइ-17 हेलीकॉप्टर क्रैश में स्क्वॉड्रन लीडर सिद्धार्थ शहीद हो गए थे।
अंबाला से आए लोग बोले : गर्व है बेटे पर
शहीद सिद्धार्थ मूल रूप से अंबाला के नारायणगढ़ के हमीदपुर गांव के निवासी थे। बरसों पहले ही पूरा परिवार चंडीगढ़ में आ गया था। बेटे की शहादत को नमन करने उनके गांव के लोग और अंबाला से जुड़ी कई राजनीतिक हस्तियां भी सेक्टर-25 श्मशान घाट में पहुंचीं। गांववालों ने कहा कि सिद्धार्थ ने न सिर्फ गांव, बल्कि पूरे देश का नाम रोशन किया है।
बन्नी तेरे बिना हम नहीं जी पाएंगे
सिद्धार्थ को अंतिम विदाई देने के लिए सिद्धार्थ का सारा परिवार सेक्टर-25 के श्मशान घाट पहुंचा था। इस दौरान सिद्धार्थ की मां, बहनें, दादी, चाचा और चाची को बिलखते देख हर किसी की आंखों से आंसू बह रहे थे। सिद्धार्थ के पिता ने उन्हें मुखाग्नि दी। जैसे ही वे सिद्धार्थ को मुखाग्नि देने लगे, तो मां ने बिलखकर कहा कि तेरे बिना मैं नहीं जी पाउंगी, बन्नी, मुझसे नहीं जिया जाएगा। यह पल इतना मार्मिक था कि उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। वहीं, तीन बहनें भी बार-बार कह रही थीं कि वे अब किससे मिलने आएंगी। तू हमें अकेला छोड़कर क्यों चला गया बन्नी।
ये रहे मौजूद
अंतिम संस्कार के दौरान सांसद किरण खेर, पूर्व सांसद सतपाल जैन, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष संजय टंडन, पूर्व रेल मंत्री पवन बंसल, कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष प्रदीप छाबड़ा, डीसी मनदीप ङ्क्षसह बराड़, एयरफोर्स, सेना व आइटीबीपी के अधिकारियों ने श्मशान घाट पहुंचकर भारत माता के इस सपूत को श्रद्धाजंलि दी।