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HSGPC को मान्यता देने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को SGPC ने नकारा, 30 सितंबर को बुलाया जनरल इजलास

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों हरियाणा गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी को मान्यता देने का फैसला किया। इस पर एसजीपीसी ने नाराजगी जताई है। एसजीपीसी ने इस संबंध में 30 सितंबर को जनरल इजलास बुला दिया है।एसजीपीसी प्रधान ने कहा कि यह फैसला आपरेशन ब्लूस्टार से भी बड़ा हमला है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Fri, 23 Sep 2022 01:50 PM (IST)Updated: Fri, 23 Sep 2022 01:50 PM (IST)
HSGPC को मान्यता देने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को SGPC ने नकारा, 30 सितंबर को बुलाया जनरल इजलास
पत्रकारों से बातचीत करते एसजीपीसी प्रधान हरजिंदर सिंह धामी। जागरण

इन्द्रप्रीत सिंह, चंडीगढ़। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) के प्रधान हरजिंदर सिंह धामी ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला ब्लूस्टार से भी ज्यादा बड़ा हमला है। यह सिख धर्म की आत्मा पर किया गया हमला है। इस पर विचार करने के लिए शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने 30 सितंबर को अमृतसर के तेजा सिंह समुद्री हाल में जनरल इजलास बुला लिया है। अंतरिंग कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को रद कर दिया है।

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एसजीपीसी की अंतरिंग कमेटी की मीटिंग के बाद मीडियाकर्मियों से बातचीत में हरजिंदर सिंह धामी ने कहा कि सिखों ने आजादी की लड़ाई से पहले और बाद में बहुत से मोर्चे लगाए हैं। उन्होंने कहा कि सिखों का आजादी के संघर्ष में बहुत बड़ा योगदान है।

बता दें, सुप्रीम कोर्ट द्वारा तीन दिन पहले एक फैसले में हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (HSGPC) को मान्यता देने से एसजीपीसी नाराज है। हरजिंदर सिंह धामी ने कहा कि यह सिखों को सिखों से लड़वाने का प्रयास है। उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी हरियाणा गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी बनाने के लिए भी शपथ पत्र दिया था।

उन्होंने कहा कि 1925 का गुरुद्वारा एक्ट अभी बरकरार है, लेकिन उसे तोड़ने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि 1925 गुरुद्वारा एक्ट राज्यों के संशोधन में नहीं आता। केवल केंद्र सरकार एसजीपीसी की ओर से पास प्रस्ताव के अनुसार ही नियमों में संशोधन कर सकती है।

हरजिंदर सिंह धामी ने कहा कि हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने उन्हें मिलने के लिए समय नहीं दिया। इससे पहले हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने अलग एक्ट पारित करके सिखों में विभाजन की चाल चली। उन्होंन कहा कि फैसला देने पर भी आरोप मढ़े। 

हरियाणा के गुरुद्वारा साहिब की सेवा संभाल का काम एसजीपीसी के पास है। एसजीपीसी जल्द ही सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटिशन दायर करेगी। उन्होंने कहा कि बेशक हरियाणा ने अलग एक्ट बना लिया है, लेकिन 1925 का गुरुद्वारा एक्ट ज्यों का त्यों कायम है। उन्होंने कहा कि हरियाणा गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पास चार गुरुद्वारा साहिब हैं, जबकि शेष सभी एसजीपीसी के पास हैं।

दरअसल, अभी तक पंजाब, हिमाचल, हरियाणा और यूटी चंडीगढ़ के सभी ऐतिहासिक गुरुद्वारों को एसजीपीसी ही कंट्रोल करती रही है, लेकिन हरियाणा के सिख नेताओं ने राज्य के गुरुद्वारा का प्रबंध हरियाणा के सिखों को देने की वकालत की। तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भी हरियाणा गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी बनाकर राज्य के ऐतिहासिक गुरुद्वारों का कब्जा उन्हें दे दिया।

दोनों पक्षों में खूनी भिड़ंत भी हुई, जिसके चलते सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले पर स्टेट्स को कर दिया। अब तीन दिन पहले यह फैसला हरियाणा गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के हक में आ जाने से एसजीपीसी और शिरोमणि अकाली दल खासा नाराज है। आज उसी को लेकर एसजीपीसी की अंतरिंग कमेटी की मीटिंग चंडीगढ़ में रखी गई थी।


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