एसजीपीसी सदस्य पर सरकारी जमीन पर कब्जा करने का आरोप, मोहाली डीसी को शिकायत के बाद जांच के आदेश
सोसायटी के पदाधिकारी अवतार सिंह नगला ने बताया कि लालड़ू इलाके में गोल्डन फॉरेस्ट कंपनी जो कि सरकार की ओर से सरप्लस जमीन घोषित कर दी गई थी। मॉल विभाग के रिकार्ड में सरकार के नाम पर है। यह जमीन खाली पड़ी थी।
जागरण संवाददाता, मोहाली। कामन लैंड प्रोटेक्शन सोसायटी ने शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) सदस्य निरमैल जौला पर गांव जौलाकलां की सरपल्स सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा करने के आरोप लगाए गए हैं। मामले डीसी मोहाली को शिकायत देकर कार्रवाई करने की मांग की है। डीसी ने इस संबंधी एसडीएम डेराबस्सी को शिकायत भेजते हुए मामले की जांच करने के लिए कहा है।
सोसायटी के पदाधिकारी अवतार सिंह नगला ने बताया कि लालड़ू इलाके में गोल्डन फॉरेस्ट कंपनी जो कि सरकार की ओर से सरप्लस जमीन घोषित कर दी गई थी। मॉल विभाग के रिकार्ड में सरकार के नाम पर है। यह जमीन खाली पड़ी थी। एसजीपीसी सदस्य निरमैल जौला और उसके भाई गुरमीत सिंह नंबरदार ने करीब 125 एकड़ जमीन पर पिछले 15 साल से अवैध कब्जा किया हुआ है। जमीन का एक एकड़ का वार्षिक ठेका 50 हजार रुपये है, जिसमें इस पूरी जमीन का ठेका लेकर सरकार को लाखों रुपये का चूना लग रहा है। यह सरकारी जमीन है और इसे नियमों के मुताबिक जरूरतमंदों को बांट देनी चाहिए या जिनके पास घर भी नहीं हैं उनको दे देनी चाहिए।
नगला ने बताया कि गांव के नंबरदार की जिम्मेदारी बनती है कि किसी भी सरकारी जमीन को कोई कब्जा करता है या नुकसान पहुंचता है तो उसकी शिकायत संबंधित अधिकारियों को करें, लेकिन जौला गांव ने नंबरदार होने पर भी खुद ही जमीन दबाए बैठे हैं। इसलिए उनको नंबरदारी से बर्खास्त किया जाना चाहिए। उक्त दोनों भाइयों से जमीन छुड़वाकर जरूरतमंद लोगों की दी जाए। वहीं, इस संबंधी संपर्क करने पर एसडीएम डेराबस्सी कुलदीप बावा ने कहा कि अभी इस मामले में किसी की ओर से शिकायत नहीं दी गई है। अगर कोई शिकायत देता है तो इसके बाद ही मामले की जांच करने के बाद बनती कार्रवाई की जाएगी।
इस संबंधी निरमैल सिंह जौलाकलां ने कहा कि हमारे पास जद्दी जमीन करीब 65 एकड़ के आसपास है और जो हमारे परिवार के सभी 6 भाइयों की है। जिस जमीन का आरोप लगाया जा रहा है वह पूरे हलके में करीब 1000 एकड़ से ऊपर है। यह जमीन खेती लायक नहीं है। इसलिए इस यहां झाडिय़ां पैदा हो जाती हैं और यहां जंगली जानवर रहने लगते हैं जो कि आसपास की फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं। इसलिए जिन लोगों के खतों के पास यह जमीन पड़ती है, वह सभी इस पर खेतीबाड़ी कर रहे हैं। हम जमीन छोड़ने के लिए तैयार हैं, लेकिन जो भी व्यक्ति यह आरोप लगा रहे हैं वह सरकारी जमीन पर कंटीली तार लगाकर उनकी जमीन को जंगली जानवरों और अन्य पशुओं से बर्बाद होने से बचाने का इंतजाम करे।