एसडीएम सेंट्रल ने सेक्टर-17 के एससीओ-89/91 को खाली कराने की प्रोसिडिंग की शुरू
एससीओ-के खिलाफ कार्रवाई होनी तय है।
विशाल पाठक, चंडीगढ़ : सेल डीड पर गलत तरीके से सेक्टर-17डी के एससीओ-89/91 को अपने नाम करवाने के मामले में एसडीएम नाजुक कुमार ने प्रोसिडिंग शुरू कर दी है। एससीओ को खाली करवाया जाएगा। एस्टेट ऑफिस की ओर से यह एससीओ अभय कुमार, प्रोमिला देवी, पवन कुमार, कमल रानी, बलबीर कुमारी, राकेश एंड ब्रदर्स को 16 जुलाई 1967 को ऑक्शन के जरिये अलॉट किया गया था। इस साइट का पजेशन ऑनर्स ने 10 अक्टूबर 1967 को लिया था। बिल्डिंग वॉयलेशन के चलते एस्टेट ऑफिस ने इस एससीओ को पांच जून 1987 को रिज्यूम कर लिया था। इस प्रॉपर्टी के रिज्यूम ऑर्डर के खिलाफ चीफ एडमिनिस्ट्रेटर के पास अपील की गई थी। इसके बाद इस प्रॉपर्टी को सेल डीड पर अपने नाम कराने के लिए प्रोसिडिग शुरू कर दी गई थी। एसडीएम ने जांच रिपोर्ट में उठाए सवाल
सेक्टर 17 के तीन एससीओ को तरमिदर सिंह बन्नी ने अपने नाम करवाने के लिए एस्टेट ऑफिस के अधिकारियों के साथ मिलकर सेल डीड पर यह प्रॉपर्टी अपने नाम करवा ली। एसडीएम ने अपनी जांच रिपोर्ट में एस्टेट ऑफिस के अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल उठाए हैं। एसडीएम की रिपोर्ट के आधार पर अब हाई कोर्ट ने दोषियों पर एक्शन लेने के आदेश जारी करते हुए स्पष्ट कर दिया है। यदि एक्शन नहीं लिया गया तो जांच सीबीआइ को सौंप दी जाएगी। विवाद सेक्टर-17डी के एससीओ-89/90/91 से जुड़ा है जिसे बिल्डिंग वॉयलेशन के चलते 1999 में रिज्यूम कर लिया गया था। इसके बाद अचानक तरमिदर सिंह बन्नी ने इसे अपने नाम करवाकर यहां मौजूद दुकानदारों को बाहर निकालने के लिए एस्टेट ऑफिस से संपर्क किया और सिर्फ चार दिनों में इन्हें निकालने की प्रक्रिया आरंभ कर दी गई। इसके बाद दुकानदारों ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए 27 जनवरी 2017 के एस्टेट ऑफिस के आदेश को चुनौती दी थी। हाई कोर्ट ने उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए आदेश पर रोक लगा दी थी। इसी बीच हाई कोर्ट ने इस मामले में जांच के लिए एसडीएम को कहा था। एसडीएम ने अपनी जांच कर रिपोर्ट सौंपी। जांच में एसडीएम ने एस्टेट ऑफिस की भूमिका को सवालों के घेरे में लाकर खड़ा कर दिया। एसडीएम ने कहा कि प्रॉपर्टी रिज्यूम करने के बाद अभी तक टाइटल अपने नाम नहीं करवाया। इसके साथ ही प्रॉपर्टी रिज्यूम होने से पहले के मालिक से सेल डीड को कैसे वैध माना गया। इस पर भी सवाल उठाए गए। इस मामले में एसडीएम ने जांच की सिफारिश की और कहा कि प्रॉपर्टी का टाइटल हासिल करने के लिए एस्टेट ऑफिस को कोर्ट में अर्जी दाखिल करनी चाहिए। हाई कोर्ट ने इसपर कड़ा रुख अपनाते हुए दोषियों पर कार्रवाई की रिपोर्ट तलब की है। सेल डीड पर प्रॉपर्टी नाम करने की होगी जांच
यह प्रॉपर्टी सात दिसंबर 1999 को रिज्यूम कर ली गई थी। लेकिन अभी तक एस्टेट ऑफिस ने इस प्रॉपर्टी का पजेशन अपने कब्जे में नहीं लिया। तरमिदर सिह बन्नी ने अपने और बावा तीरथ सिंह के बीच हुई सेल डीड पेश की है। जोकि एस्टेट ऑफिस के अधिकारियों की भूमिका पर सीधा सवाल उठा रही है।