मैं बंदिशों से आजाद हूं, एक बार जो लिख दिया उसे दोबारा सही नहीं करताः सतिंदर सरताज
गायक सतिंदर सरताज सोमवार को दैनिक जागरण के सेक्टर-9 स्थित ऑफिस पहुंचे तो कुछ इसी अंदाज में अपनी आजाद ख्याली पर बात की।
चंडीगढ़ [शंकर सिंह]। पंजाब के गांव से लंदन के रॉयल एल्बर्ट हॉल तक। ये सफर काफी दिलचस्प है। इसमें गायिकी है, साहित्य है और ढेर सारा संघर्ष। मगर इस सफर का अपना मजा रहा है। मैंने कभी कामयाबी के लिए भागना नहीं चाहा। मैं खुद को बेहतर बनाने में यकीन रखता हूं। ध्यान में लिखता हूं, लिखता भी ऐसा हूं कि एक बार जो लिख दिया, उसे दोबारा सही करने की कोशिश नहीं करता। इसमें जो भी बन जाता है, वो लोगों तक पहुंच जाता है। विश्वास कीजिए लिखने में कभी दूसरा ड्राफ्ट नहीं बनाया। फिर भी मेरे गीत कामयाब हो जाते हैं, तो मैं ऊपर वाले का शुक्रिया अदा करता हूं। दरअसल, मैं बंदिशों से आजाद हूं। इसलिए खुद ही लिखता हूं, गाता हूं और कंपोज भी करता हूं। गायक सतिंदर सरताज सोमवार को दैनिक जागरण के सेक्टर-9 स्थित ऑफिस पहुंचे, तो कुछ इसी अंदाज में अपनी आजाद ख्याली पर बात की। जल्द ही सरताज इक्को मिक्के फिल्म में नजर आएंगे।
कलाकार होना जिम्मेदारी का काम है
गायक सतिंदर सरताज अपनी फिल्म इक्को मिक्के में पुरुष-महिला के संबंध और उनकी आजादी को दिखा रहे हैं। बोले कि इसक लिए मैंने पंजाब भर में एक टॉक शो भी आयोजित किया। जिसके लिए मैं पंजाब भर के युवा लोगों से बात कर रहा हूं। जहां उन्हें महिला पुरुष के बीच के अंतर को कम करने और एक दूसरे की इज्जत करने को बढ़ावा देना चाहता हूं। मेरे पास इस दौरान कई युवा आए, उन्होंने अपने विचार मेरे सामने रखे। मुझे लगता है कि एक कलाकार का काम केवल फिल्म बनाना नहीं, बल्कि जिम्मेदारी से समाज को बेहतरी की और ले जाना भी है।
पसंद नहीं आया इसलिए नकारा शाहरुख खान की फिल्म में गाना
इन दिनों हर पंजाबी गायक हिंदी फिल्मों में जा रहा है, आप आज तक नहीं गए? पर सरताज ने कहा कि दरअसल मेरा वहां मन नहीं लगता। मुझे एक बार शाहरुख खान की फिल्म रईस के लिए एक गाना मिला था। जिसमें मुझे सूफी गाने को कहा था। मुझे एक वीडियो भेज दिया गया था, इसकी परिस्थिति के अनुसार मुझे गीत तैयार करना था। मैंने गीत तैयार भी किया और वो अच्छा भी बना। लेकिन, फिल्म में शाहरुख का किरदार गुजराती था, उस पर पंजाबी गीत कैसा लगता? ऐसे में मैंने वो गाना देने से इन्कार कर दिया। ऐसे ही फिल्म मौसम में मुझे गीत ओ रब्बा मैं तो मर गया के लिए बुलाया गया। मगर वो गीत असल गायक ने इतना अच्छा गाया कि मैंने डायरेक्टर को कहा कि आप इसे इसी गायक से गवाएं, उसने अच्छा गाया है।
धर्म के आधार पर न बांटा जाए भाषा को
आप परशियन लिटरेचर से वाकिफ हैं, देश में जितने भी गीतकार हुए वो सब उर्दू भाषा जानते हैं, मगर उर्दू भाषा लगभग खत्म हो रही है? पर सरताज ने कहा हां, दरअसल भाषा को धर्म से जोड़कर देखा जा रहा है। ऐसा नहीं होना चाहिए। कितने ही लोग जो अलग देश से हैं और भारत में रह रहे हैं उन्होंने हमारी भाषा को अपनाया है। ऐसे में भाषा से भेदभाव सही नहीं। मैं चाहता हूं कि सरहद पार लाहौर और इस्लामाबाद भी प्रस्तुति दूं, मगर अभी तक ऐसा कोई मौका नहीं आया।
पंजाब की ऐतिहासिक इमारतों को दुरुस्त करना चाहता हूं
सरताज ने कहा कि वह पंजाब के पुराने शिल्प को बेहतर बनाना चाहता हूं। इसके लिए पंजाब सरकार को एक प्रपोजल भी भेजा है। जिसमें इन प्रसिद्ध और ऐतिहासिक बिल्डिंग्स में प्रस्तुति दी जाए ताकि लोग इस और आकर्षित हों। मगर अभी ये प्लान केवल फाइलों में है, उम्मीद है कि इस पर कुछ सकारात्मक कार्य हो।
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