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मंदी में चमकी मिट्टी

चंडीगढ़ की कुम्हार कॉलोनी। जहां चारों तरफ दीये मंदिर और मिट्टी की कई चीजें बन रही हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 14 Oct 2019 08:28 PM (IST)Updated: Mon, 14 Oct 2019 08:28 PM (IST)
मंदी में चमकी मिट्टी
मंदी में चमकी मिट्टी

शंकर सिंह, चंडीगढ़ : चंडीगढ़ की कुम्हार कॉलोनी। जहां चारों तरफ दीये, मंदिर और मिट्टी की कई चीजें बन रही हैं। चारों ओर मंदी का कोई नामोनिशान नहीं। अपने चाक पर दीये बना रहे रामलाल कहते हैं कि उनके पास हजारों दीये बनाने के ऑर्डर आए हैं। ये ऑर्डर सिर्फ शहर ही नहीं बल्कि देश के बाहरी राज्यों से भी आए हैं। बोले कि चाहे जो हो, इस सीजन में ढेरों ऑफर आते हैं जिसकी वजह से यहां हर कुम्हार अपना काम कर रहे हैं। रामलाल की तरह ही यहां हर कुम्हार अपना काम कर रहा है। दिवाली के आते ही कुम्हार कॉलोनी में रौनक दिखने लगी है। ये रौनक इससे अछूती है कि मार्केट में मंदी की खबरें चल रही हैं। सुबह पांच बजे से बनाने लगते हैं दीये

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सुनीता प्राइवेट ग्रेजुएशन की डिग्री ले रही हैं, साथ ही अपने परिवार की मदद भी करती हैं। बोलीं कि सुबह पांच बजे उठकर दीये बनाने में जुट जाते हैं। इस दौरान, मिट्टी गूंधने से लेकर भट्टी जलाने का काम करते हैं। इन दिनों इलेक्ट्रिक चाक के चलते हम ज्यादा दीये बना पाते हैं। प्रतिदिन 500 दीये बना लेते हैं। इसके अलावा मंदिर और अन्य तरह के त्योहार से जुड़ी वस्तुएं भी। मुझे खुशी होती है जब भी दिवाली का त्योहार आता है तो हमारे पास ज्यादा काम आता है। अभी हमें पांच हजार दीयों के ऑर्डर मिले हैं। इसके अलावा दिवाली आने पर ये ऑर्डर और बढ़ जाते हैं। इलेक्ट्रिक चाक की वजह से बनते हैं ज्यादा दीये

रामकृपाल ने कहा कि अब तकनीक ने हमें ज्यादा सुविधा दी है। अब हम इलेक्ट्रिक चाक का इस्तेमाल करते हैं जिससे कि ज्यादा से ज्यादा दिए बना सकें। पहले जहां चाक पर पांच सौ दीये बना पाते थे, वहीं अब ये संख्या हजार से ज्यादा है। इसके अलावा हमें बिजली की सुविधा मिली तो इसने भी हमें थोड़ा राहत दी है। पेंट करने से लेकर दीये बनाने तक, हमें सभी चीजें इलेक्ट्रिक मिल रही हैं जिससे कि हम ज्यादा से ज्यादा दीये बना पा रहे हैं। लोगों में आई है स्वदेशी चीजें खरीदने की जागरूकता

पिछले कई वर्षो से दीये बना रहे चमन सिंह ने कहा कि इन वर्षो में लोगों में स्वदेशी चीजों की जागरूकता बहुत बढ़ी है। इससे वह दीये खरीद रहे हैं। पहले एक समय में ये कारोबार कम हो गया था। मगर अब लोग कुम्हारों का दर्द समझते हैं। इसी वजह से हमें देश के विभिन्न हिस्सों से ऑर्डर आते हैं। साथ ही हम सकारात्मकता से ये कार्य कर सकते हैं।


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