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गैंगस्टर की बहन राजदीप हो सकती हैं फिरोजपुर से शिअद प्रत्याशी

फिरोजपुर लाेकसभा सीट से 2019 लोकसभा चुनाव में बडा दांव आजमाने की तैयारी में है। पार्टी यहां से एक गैंगस्‍टर को पार्टी का प्रत्‍याशी बनाने की तैयारी कर रही है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Fri, 09 Feb 2018 10:17 AM (IST)Updated: Sat, 10 Feb 2018 03:39 PM (IST)
गैंगस्टर की बहन राजदीप हो सकती हैं फिरोजपुर से शिअद प्रत्याशी
गैंगस्टर की बहन राजदीप हो सकती हैं फिरोजपुर से शिअद प्रत्याशी

इंद्रप्रीत सिंह/मनोज त्रिपाठी, चंडीगढ़। शेर सिंह घुबाया बेशक अब भी शिरोमणि अकाली दल के सांसद हों, लेकिन उन्होंने शिअद को और शिअद ने उनको बाय-बाय कर दी है। ऐसे में शिअद की अगले साल होने वाले लाेकसभा चुनाव में फिरोजपुर सीट से बड़ा दांव खेलने की तैयरी कर रही है।

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शेर सिंह घुबाया के बेटे दविंदर सिंह घुबाया इस समय फाजिल्का से कांग्रेस के विधायक हैं। शेर सिंह घुबाया 2019 का संसदीय चुनाव कांग्रेस की टिकट पर लड़ने का विचार कर रहे हैं। ऐसे में उनसे खाली होने वाली फिरोजपुर संसदीय सीट की राजनीतिक जमीन पर अभी से राजदीप कौर के रूप में बीज अंकुरित कर दिया गया है। राजदीप कौर गैंगस्टर जसविंदर सिंह रॉकी की बहन है। उन्होंने 2017 का विधानसभा चुनाव फाजिल्का से लड़ा था, लेकिन मामूली अंतर से हार गई थीं।

अकाली दल के इस कदम से हो सकते हैं एक तीर से दो निशाने

यह शिरोमणि अकाली दल की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है। पार्टी प्रधान सुखबीर बादल ने उन्हें अकाली दल में शामिल करके एक तीर से दो निशाने साधे हैं। पहला, सांसद शेर सिंह घुबाया की जगह एक सशक्त उम्मीदवार खोज लिया है। घुबाया के 2019 के संसदीय चुनाव के दौरान कांग्रेस में शामिल होने की पूरी संभावना है।

दूसरा, अगर राजदीप अकाली दल की सीट पर संसदीय चुनाव लड़ती हैं, तो 2022 में उनके गठजोड़ साथी भाजपा का सबसे बड़ा कांटा निकल जाएगा। फिरोजपुर संसदीय सीट का हिस्सा फाजिल्का विधानसभा सीट भाजपा के पास है। राजदीप कौर के विधानसभा चुनाव में आजाद उम्मीदवार के तौर पर खड़े होने के कारण भाजपा को यह सीट गंवानी पड़ी। भाजपा के पूर्व मंत्री सुरजीत कुमार ज्याणी कांग्रेस के दविंदर सिंह घुबाया से मात्र 265 वोट के अंतर से हार गए।

शिरोमणि अकाली दल के वरिष्ठ नेता डॉ. दलजीत सिंह चीमा ने बताया कि फिरोजपुर में किसको लड़वाना है किसको नहीं, इस पर अभी विचार नहीं हुआ है, लेकिन पार्टी को मजबूत आधार वाले लोगों की तलाश है। राजदीप कौर का फाजिल्का एरिया में अच्छा आधार है। इसे वे विधानसभा के चुनाव में साबित कर चुकी हैं।

राय सिख और जट्ट सिख बिरादरी का दबदबा

जलालाबाद, फाजिल्का और गुरु हरसहाय के कुछ हिस्से में राय सिख वोटर ज्यादा हैं, जबकि फिरोजपुर, फिरोजपुर देहाती, फाजिल्का समेत शेष सारी सीटों पर जट्ट सिख काफी ज्यादा है, जो न केवल अकाली दल का स्थायी वोट बैंक है, बल्कि राजदीप भी इसी समुदाय से आती हैं।

200 वोटों से हार गया था रॉकी

गैंगस्टर जसविंदर सिंह रॉकी ने वर्ष 2012 में फाजिल्का से विधानसभा चुनाव लड़ा था। वह सुरजीत ज्याणी से मात्र 200 वोट से हार गया था, लेकिन बाद में उसकी गैंगवार में हत्या हो गई। उसकी बड़ी बहन राजदीप ने उसकी राजनीतिक विरासत संभाल ली और वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में उतर गईं। इस सीट पर कांग्रेस, भाजपा और आजाद उम्मीदवार राजदीप में कड़ी त्रिकोणीय टक्कर हुई। कांग्रेस को 39276, भाजपा को 39011 और राजदीप को 38135 वोट मिले। साफ है कि उनके अकाली दल में जाने से लगभग साठ हजार वोट अब अकाली दल की झोली में आ सकते हैं।

जाखड़ ने किया था विरोध

विधानसभा चुनाव से पहले राजदीप के कांग्रेस में शामिल होने की कवायद चली थी, लेकिन कांग्रेस प्रधान सुनील जाखड़ ने इसका विरोध किया था। जाखड़ ने ने 2014 का संसदीय चुनाव फिरोजपुर से लड़ा था। उनका कहना था कि कांग्रेस पंजाब में बढ़ रहे गैंगस्टरों के खिलाफ लड़ रही है, यदि गैंगस्टर की बहन को पार्टी में शामिल कर लिया जाता है, तो इसका दूसरी सीटों पर बुरा असर पड़ सकता है।


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