विधायक दल के नेता के लिए मजीठिया व ढींडसा में फंसा पेंच
-अकाली दल में शुरू हुई विधायक दल के नेता की तलाश -अजीत सिंह कोहाड़ के निधन के बाद खाली
-अकाली दल में शुरू हुई विधायक दल के नेता की तलाश
-अजीत सिंह कोहाड़ के निधन के बाद खाली हुई है सीट
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कैलाश नाथ, चंडीगढ़: शिरोमणि अकाली दल ने विधानसभा में अपने नेता की तलाश शुरू कर दी है। अजीत सिंह कोहाड़ के निधन के बाद यह सीट खाली हुई है। विधायक दल के नेता के लिए पूर्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया और पूर्व वित्तमंत्री परमिंदर सिंह ढींडसा के बीच पेंच फंसा हुआ है।
अकाली दल अपने नेता के चयन को लेकर इसलिए भी मंथन कर रही है क्योंकि नेता प्रतिपक्ष सुखपाल सिंह खैहरा अपनी आक्रामक छवि के कारण जाने जाते हैं। पार्टी में इस बात को लेकर मंथन चल रहा है कि खैहरा को देखते हुए क्या आक्रामक नेता के हाथ में ही कमान सौंपी जाए। क्योंकि अगर आक्रामक छवि वाले नेता का चयन किया जाता है, तो बिक्रम सिंह मजीठिया सबसे ऊपर हैं, जबकि परमिंदर सिंह ढींडसा शांत प्रवृत्ति वाले नेता हैं।
विधानसभा में तस्वीर को देखते हुए अकाली दल मजीठिया को कमान सौंपना चाहता है, क्योंकि मजीठिया न सिर्फ आक्रामक हैं, बल्कि उनका शब्दों पर कंट्रोल भी अच्छा है। वह अपनी शैली में सामने वाले को उलझाने व अपनी बात रखने की क्षमता रखते हैं। पार्टी यह भी नहीं चाहती कि मजीठिया के हाथ में कमान देकर कार्यकर्ताओं व नेताओं में कोई गलत संदेश चला जाए। इससे यह संदेश जा सकता है कि पार्टी की सारी जिम्मेदारी बादल परिवार के ही पास न चली जाए। वहीं, दूसरी तरफ ढींडसा का प्लस प्वाइंट यह है कि वह शांत होने के साथ बेदाग छवि के हैं। सत्ता पक्ष भी उनका सम्मान करता है। वह बादल परिवार से नहीं हैं। भले ही आप के नेता सुखपाल खैहरा आक्रामक हों, लेकिन ढींडसा में वह क्षमता है कि वह सभी को एक साथ लेकर चल सकते हैं। बहरहाल विधायक दल के नेता को लेकर अकाली दल में मंथन जारी है।
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बजट सत्र में बनेगी नई प्रथा, शनिवार को पेश होगा बजट
चंडीगढ़: 20 मार्च से शुरू होने वाले पंजाब विधानसभा के बजट सत्र में नई प्रथा शुरू होने जा रही है। एक तो बजट 24 मार्च को शनिवार वाले दिन पेश किया जाएगा। विधानसभा में शनिवार और रविवार को हमेशा अवकाश होता है, लेकिन 23 मार्च को शहीद भगत सिंह सिंह का शहीदी दिवस होने के कारण सत्र का अवकाश रहेगा और 24 मार्च को शनिवार वाले दिन बजट पेश किया जाएगा। आम तौर पर सत्र के शुरुआत में राज्यपाल के अभिभाषण के बाद सभा की कार्यवाही खत्म हो जाती थी, लेकिन इस बार अभिभाषण के बाद दिवंगत लोगों को श्रद्धांजलि दी जाएगी। पंजाब विधानसभा में श्रद्धांजलि हमेशा अगले ही दिन दी जाती थी और श्रद्धांजलि के बाद सभा की कार्यवाही स्थगित हो जाती थी। इस बार राज्यपाल का अभिभाषण और श्रद्धांजलि एक ही दिन होंगे।