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अटैच संपत्ति बेचने के मामले में रिटायर्ड कर्नल बीएस गोराया की सजा बरकरार Chandigarh News

गोराया को इस मामले में आठ फरवरी 2017 को सीजेएम कोर्ट ने दो साल कैद की सजा सुनाई थी। इसके साथ ही उन पर 20 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया था।

By Vipin KumarEdited By: Published: Wed, 22 Jan 2020 08:54 AM (IST)Updated: Wed, 22 Jan 2020 08:54 AM (IST)
अटैच संपत्ति बेचने के मामले में रिटायर्ड कर्नल बीएस गोराया की सजा बरकरार Chandigarh News
अटैच संपत्ति बेचने के मामले में रिटायर्ड कर्नल बीएस गोराया की सजा बरकरार Chandigarh News

चंडीगढ़, जेएनएन। 1995 में जिला अदालत ने रिटायर्ड कर्नल बीएस गोराया की आय से अधिक संपत्ति मामले में उनकी और परिवार के सदस्यों की प्रॉपर्टी अटैच करने के आदेश दिए थे। जिसमें से गोराया ने पंजाब में मौजूद अपनी प्रॉपर्टी को बेच दिया था। अब अदालत ने अटैच प्रॉपर्टी को बेचने के मामले में गोराया को जेल भेजा है।

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बता दें कि गोराया को इस मामले में आठ फरवरी 2017 को सीजेएम कोर्ट ने दो साल कैद की सजा सुनाई थी। इसके साथ ही उन पर 20 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया था। लेकिन गोराया ने इस ऑर्डर को डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन जज राजेश शर्मा की कोर्ट में चुनौती दी। जिस पर अब अदालत ने उनकी याचिका को खारिज करते हुए कस्टडी में लेने के आदेश जारी कर दिए हैं। 75 वर्षीय रिटायर्ड कर्नल बीएस गोराया सेक्टर-नौ स्थित अपने मकान नंबर-208 में रहते हैैं।

1990 में हुए थे सेना से रिटायर

1990 में सेना से रिटायर्ड कर्नल सेक्टर-9सी निवासी बीएस गोराया के खिलाफ भ्रष्टाचार और आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज किया था। इस मामले में सीबीआइ अदालत ने अगस्त 2017 में पांच साल कैद की सजा सुनाई थी। आरोप के अनुसार जनवरी 1987 से अगस्त 1990 के बीच रिटा. कर्नल और उनके अन्य पारिवारिक सदस्यों ने 82.58 लाख रुपये की संपत्ति अर्जित की जोकि उनकी आय से बहुत अधिक थी।

आवास के साथ दिए थे सारी संपत्ति अटैच करने के आदेश 

सीबीआइ की विशेष कोर्ट ने उनके आवास की संपत्ति अटैच किए जाने के साथ आदेश दिए थे कि वे जमीन से जुड़ी कोई भी संपत्ति बेचने का अधिकार नहीं रखते हैं। इसके बावजूद उन्होंने होशियारपुर, पंजाब स्थित कृषि भूमि एक व्यक्ति को बेच दी। इसके बाद सीबीआइ की विशेष अदालत ने रिटायर्ड कर्नल गोराया के खिलाफ सीआरपीसी की धारा 195 के तहत प्रारंभिक आपराधिक शिकायत के आदेश दिए थे।

मामले में सीजेएम कोर्ट में आपराधिक शिकायत दायर की गई थी। शिकायत की पुष्टि होने पर रिटायर्ड कर्नल के खिलाफ कोर्ट के आदेश पर 206 आइपीसी के तहत केस चलाया गया था। इसमें सीजेएम कोर्ट ने उसे दोषी पाते हुए दो साल कैद की सजा सुनाई थी।

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