रेजिडेंशियल पार्किग पॉलिसी भी फाइलों में तोड़ गई दम
पार्किग भी गंभीर समस्या बन गई है।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : वाहनों की संख्या बढ़ने से शहर में ट्रैफिक तो बढ़ा ही, पार्किग भी गंभीर समस्या बन गई है। वाहन रजिस्ट्रेशन से पहले हर वाहन चालक से घरों में वाहन पार्किग की जगह है, इसका एफिडेविट तो जरूर लिया जाता है। लेकिन 70 प्रतिशत एफिडेविट फर्जी ही होते हैं। आरएलए भी ऐसे एफिडेविट साइड में रख रजिस्ट्रेशन तो कर देता है, लेकिन कभी एफिडेविट की सत्यता जांचने के लिए घरों की विजिट नहीं होती। जिस कारण अधिकतर वाहन घरों के बाहर रोड साइड ही पार्क हो रहे हैं। रात के समय तो कई बार इमरजेंसी में भी वाहन निकालने में परेशानी हो जाती है। पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट तक इस मामले में लगातार प्रशासन और नगर निगम को कटघरे में खड़ा करता रहा है। इस समस्या से निपटने के लिए 2017 में रेजिडेंशियल पार्किंग पॉलिसी बनाने का ड्राफ्ट तैयार हुआ। इस पर लोगों से प्रतिक्रिया तक ली गई। लोगों ने यह पॉलिसी लागू करने से पहले पब्लिक ट्रांसपोर्ट दुरुस्त करने की शर्त रख दी। जिसके बाद इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया । इस पार्किग पॉलिसी में कई ऐसे चीजें थी, जिन्हें यहां लागू करना संभव ही नहीं था। यूटी सेक्रेटेरिएट के पास वाहनों का जाल
शहर की सबसे अहम बिल्डिंग यूटी सेक्रेटेरिएट और पुलिस हेडक्वार्टर भी वाहनों के इस जाल में फंस चुके हैं। सेक्रेटेरिएट के पीछे जनमार्ग पर पहले ही कार पार्क की जगह नहीं मिलने से पूरे स्लिप रोड पर दोनों साइड वाहनों की लाइन लगती थी। अब यूटी सेक्रेटेरिएट और सीएचबी की नई बिल्डिंग बनने के कारण आधी पार्किंग कंस्ट्रक्शन वर्क के कारण बंद हो चुकी है। अब तो हालत और भी बदतर हो चुके हैं। अब तो दोनों बिल्डिंग के सामने फ्रंट गेट पर भी वाहनों की लाइनें लग रही हैें। भीड़ में कार रोजाना एक-दूसरे से टकरा रही है जिस कारण विवाद भी बढ़ रहा है। यूटी सेक्रेटेरिएट और नगर निगम में सैकड़ों इंप्लाइज काम करते हैं। लेकिन दोनों ही बिल्डिंग के लिए स्टाफ बस नहीं हैं। सभी कर्मचारी अपने वाहनों से ऑफिस पहुंचते हैं। पार्किंग को जगह नहीं, हर सेक्टर में घरों के बाहर अतिक्रमण
पार्किंग की समस्या है, पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट सेक्टरों के इनर रोड पर भी वाहन पार्क करने पर चालान के आदेश जारी कर चुका है। वहीं, दूसरी ओर शहर का कोई सेक्टर ऐसा नहीं बचा, जहां घरों के बाहर अवैध तौर पर बाड़ लगाकर लॉन न बना रखे हों। कई जगह तो फुटपाथ तक पर कब्जा कर रखा है। हाईकोर्ट ऑर्डर के बाद सेक्टर-19 में कुछ घरों के बाहर से लॉन हटाए गए। लेकिन बाद में हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगा दी। सेक्टर-8, 9, 10, 11, 18, 19, 27, 28 सहित लगभग सभी सेक्टरों में ऐसे कब्जे हैं। बड़ी कोठियों के बाहर फुटपाथ तक पर लॉन बने हैं। प्रतिक्रिया..
जो फ्लाईओवर और दूसरे काम 20 साल पहले होने चाहिए थे। वह अब किए जा रहे हैं। शहर के मध्य और दक्षिण जैसे कई मार्ग ऐसे हैं, तो पूरे शहर का हाल बिगाड़ रहे हैं। इनको शहर के अंदर भी फ्लाईओवर की मदद से कनेक्ट करना जरूरी है। बैंकॉक में भी कुछ साल पहले ट्रैफिक का इससे भी बुरा हाल था। लेकिन उन्होंने समय रहते महत्वपूर्ण कदम उठाए, फ्लाईओवर बनाए, मोनो रेल चलाई। लेकिन चंडीगढ़ प्रशासन सिर्फ फाइलों में प्ला¨नग करते आ रहा है।
-नीरज बजाज, प्रेसिडेंट, चंडीगढ़ बिजनेस काउंसिल अधिकारी एक तो प्ला¨नग समय पर नहीं करते, जो करते हैं, वह भी जड़ तक जाकर नहीं करते। समस्या कहां से शुरू हुई, उसकी जड़ तक जाना जरूरी है। गाड़ियां लगातार बढ़ रही हैं, गाइडलाइंस बनाकर इन पर रोक लगनी चाहिए। जो भी प्ला¨नग गाइडलाइंस बने उन पर आरडब्ल्यूए और एसोसिएशन से सुझाव लिए जाने चाहिए।
शिखा निझावन, एडवाइजर, आरडब्ल्यूए, सेक्टर-27बी पहले प्ला¨नग करनी चाहिए। घरों के आस-पास कहीं पार्किंग नहीं दी गई। इतना ही नहीं, कहीं गुरुद्वारे मंदिर में कार्यक्रम हो तो वहां भी पार्किंग नहीं होती, सड़कों पर वाहनों की लाइन लगती है। सभी मार्केट में भी पार्किंग प्रॉब्लम है। प्रशासन को चाहिए कि वह सभी शोरूम ऑनर और दुकानदारों के लिए शोरूम के पीछे पार्किंग अनिवार्य करे। जिससे आगे सिर्फ ग्राहकों के लिए पार्किंग हो। इससे आधी समस्या खत्म हो जाएगी।
आरएल गोयल, प्रेसिडेंट, आरडब्ल्यूए, सेक्टर-19डी प्रशासन की प्ला¨नग करने की स्पीड धीमी है। मेट्रो बहुत पहले आनी चाहिए थी । अब भी अगर प्ला¨नग हो तो वह अगले 20 साल की सोच कर हो न की मौजूदा ट्रैफिक और पार्किंग समस्या को लेकर। अधिकारियों को बंद कमरों से बाहर ग्राउंड लेवल पर जाकर समस्या पता कर उसका सॉल्यूशन खोजने की जरूरत है। अगर जल्द कुछ नहीं हुआ तो इस शहर में भी दिल्ली की तरह चारों तरफ कारें ही दिखेंगी।
डीडी ¨जदल, कांग्रेस नेता।