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ग्रामीणों को राहत : इमारतों की ऊंचाई 34 से बढ़ानेकी तैयारी

गांवों की इमारतों के बिल्डिंग बायलॉज में संशोधन करने का प्रस्ताव आ रहा है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 19 Oct 2020 08:50 PM (IST)Updated: Mon, 19 Oct 2020 08:50 PM (IST)
ग्रामीणों को राहत : इमारतों की ऊंचाई 34 से बढ़ानेकी तैयारी
ग्रामीणों को राहत : इमारतों की ऊंचाई 34 से बढ़ानेकी तैयारी

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : नगर निगम की मंगलवार को होने वाली सदन की बैठक में गांवों की इमारतों के बिल्डिंग बायलॉज में संशोधन करने का प्रस्ताव आ रहा है। जिससे सबसे बड़ा बदलाव मकानों की ऊंचाई 34 से ऊपर बढ़ाने की सिफारिश शामिल है। ऐसा होने से जिन इमारतों की ऊंचाई इस समय 34 फीट से ऊपर है, उन्हें अवैध नहीं माना जाएगा। प्रस्ताव के अनुसार इस समय ग्राउंड फ्लोर के साथ दो मंजिल का निर्माण करने की मंजूरी है। लेकिन इस प्रस्ताव पर मंजूरी मिलने पर ग्राउंड फ्लोर के साथ तीन मंजिल का निर्माण को रेगुलर किया जा सकेगा। इसके साथ ही इमारतों में बेसमेंट बनाने की मंजूरी देने का भी प्रस्ताव शामिल है। असल में यह प्रस्ताव अवैध को वैध कर देगा, लेकिन सदन की मंजरी के बाद प्रशासन की सहमति लेना जरूरी है। प्रशासन की मंजूरी के बाद ही सदन द्वारा पास किए गए प्रस्ताव को पास माना जाएगा। भाजपा इस प्रस्ताव को पास करके अगले साल होने वाले नगर निगम चुनाव में गांव वालों के वोट बंटोरना चाहती है। शहर में 22 गांव हैं। बायलॉज में संशोधन करने के लिए डिप्टी मेयर जगतार जग्गा के नेतृत्व में एक कमेटी बनाई थी। इस कमेटी की सिफारिशों पर ही प्रस्ताव तैयार किया है। पार्षदों के अनुसार मनीमाजरा सहित अन्य गांवों में नगर निगम का गठन होने से पहले 100 गज तक के मकानों के नक्शा पास करवाने की जरूरत नहीं थी। पिछले साल प्रशासन ने 13 गांवों को नगर निगम में शामिल कर दिया। जिसके बाद यहां पर भी बिल्डिंग बायलॉज लागू हो गए, जबकि जब गांव प्रशासन में थे, तब उन पर कोई नियम लागू नहीं होते थे। ऐसे में नगर निगम में शामिल होने से पहले लोगों ने अपने हिसाब से इमारतें बना ली। लेकिन नगर निगम में शामिल होने के बाद उन अतिरिक्त निर्माण को नगर निगम ने वॉयलेशन मान लिया, जिन्हें नोटिस भी जारी किया, ऐसे में लोगों पर कार्रवाई की तलवार हटाने के लिए नगर निगम ने यह राहत देने का प्रस्ताव बनाया है। गांवों में कुछ लोगों ने बेसमेंट भी बना लिए हैं। पार्षदों का मानना है कि यह प्रस्ताव पास होने के बाद जो अधिकारियों की मिलीभगत चल रही है, उस पर भी लगाम लगेगी। अतिरिक्त निर्माण की मंजूरी देने पर नगर निगम फीस भी वसूल करेगा, जिससे नगर निगम को कमाई भी होगी। बुड़ैल में 90 प्रतिशत कार्य व्यावसायिक हैं। गांव व शहर के बिल्डिंग बायलॉज अलग-अलग होंगे तो गांव में हो रहे कमर्शियल कार्यो से निगम को लगभग 20 से 22 करोड़ का रेवेन्यू मिल सकता है। शुल्क और फीस लगाने का प्रयास

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आम आदमी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता नितिन गोयल का कहना है कि नगर निगम में गांवों के विलय से पहले निर्मित, सभी बिल्डिंग्स के लिए निगम बिना शर्त के एनओसी जारी करे, क्योंकि इन पुरानी बिल्डिंग्स के निर्माण के समय कोई भी बायलॉज नहीं थे और अब इन गांवों के वासियों ग्रामीणों को एनओसी देने और बिल्डिंग प्लान को मंजूरी देने के नाम पर इस प्रकार उगाही करना सरासर अत्याचार है। पिछले साल शामिल हुए 13 गांवों का इस समय कोई पार्षद नहीं है। इसलिए जब तक इस तरह के एजेंडे पर चर्चा करने के लिए इन गांवों के पार्षद चुनकर नहीं आ जाते, तब तक निगम को किसी भी प्रतिबंध, जुर्माने, शुल्क, दंड के बारे में कोई नए नियम नहीं बनाने चाहिए।


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