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पीजीआइ चंडीगढ़ का कीर्तिमान, कोरोना काल में टेलीमेडिसिन से 32 हजार मरीजों तक पहुंचाई स्वास्थ्य सुविधा

कोरोना के दौरान जहां एक ओर सभी अस्पताल में ओपीडी बंद हो गई थी वहीं दूसरी ओर चंडीगढ़ पीजीआइ ने टेलीमेडिसिन सुविधा शुरू की थी। इस प्रोजेक्ट को एक साल पूरा होने पर इसका रिपोर्ट कार्ड पेश किया गया। इस प्रोजेक्ट के जरीये 32 हजार मरीजों को सुविधा दी गई।

By Ankesh KumarEdited By: Published: Mon, 12 Apr 2021 03:34 PM (IST)Updated: Mon, 12 Apr 2021 03:34 PM (IST)
चंडीगढ़ प्रेस क्लब में टेलीमेडिसिन के एक साल पूरा होने पर जानकारी देते पीजीआइ के डॉक्टर्स।

चंडीगढ़, जेएनएन। टेलीमेडिसिन कोविड-19 महामारी के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में रोगियों के लिए एक वरदान साबित हुई है और 'स्ट्रेंगथनिंग मैनेजमेंट ऑफ हाइपरटेंशन सर्विसेज प्रोजेक्ट से चंडीगढ़ से सटे क्षेत्रों समेत ग्रामीण पंजाब में अब तक 32,000 रोगियों को लाभ हुआ है। एक साल पहले पीजीआइ चंडीगढ़ के सामुदायिक चिकित्सा एवं स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ (डीसीएम एंड एसपीएच) विभाग द्वारा इस तरह पहली परियोजना शुरू की गई थी। सोमवार को चंडीगढ़ प्रेस क्लब में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान इस प्रोजेक्ट की सालगिरह पर पीजीआइ के प्रोजेक्ट संचालकों और वरिष्ठ डॉक्टरों की एक टीम ने प्रोजेक्ट का रिपोर्ट कार्ड प्रस्तुत किया।

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डॉ. सोनू गोयल, प्रोफेसर, डीसीएम एंड एसपीएच और प्रोजेक्ट के प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर ने कहा कि प्रोजेक्ट का उद्देश्य पंजाब सरकार के टेलीमेडिसिन ओपीडी पोर्टल ई-संजीवनी को तकनीकी सहायता प्रदान करना है, ताकि कोरोना महामारी में भी स्वास्थ्य देखभाल की बढ़ती चुनौतियों को कम किया जा सके। इस रीजन में स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्रों को बेहतर और सशक्त बनाना, खाद्य चक्र से ट्रांस-फैट को समाप्त करना आदि भी इस परियोजना का एक हिस्सा रहा है।

उन्होंने कहा कि टेलीमेडिसिन की सुविधा मिलने से उन हजारों लोगों के लिए बहुत सहूलियत हुई हैं, जो उच्च रक्तचाप और अन्य बीमारियों से पीड़ित थे। कोरोना व लॉकडाउन के चलते पंजाब के ग्रामीण इलाकों में चिकित्सा सुविधाओं की पहुंच न के बराबर थी। इस प्रयास में डीसीएम एंड एसपीएच ने पंजाब में स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्रों (एचडब्ल्यूसी) को बेहतर बनाने के लिए तकनीकी सहायता प्रदान की। इंटरनेट सुविधा दुरुस्त रखने के लिए 400 वाई-फाई डोंगल वितरित किए गए और नियमित रूप से जरूरी निगरानी की गई। एचडब्ल्यूसी में टेलीमेडिसिन सेवाओं को बढ़ावा देने के लिए हब एंड स्पोक्स मॉडल का पालन किया गया। इसका हब चंडीगढ़ के सेक्टर-11 में स्थित है।

डॉ. अरीत कौर, निदेशक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, पंजाब, जिनके पास एचडब्ल्यूसी का अतिरिक्त प्रभारी ने कहा कि सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं (सीएचडब्ल्यू) और सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों (सीएचओ) की क्षमता वृद्धि की गई। गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) की स्क्रीनिंग सीएचओ द्वारा एचडब्ल्यूसी में ही की गई। स्क्रीनिंग के बाद हब में मौजूद डॉक्टरों से जुड़े सीएचओ ने ई-संजीवनी सॉफ्टवेयर के जरिये इलाज शुरू किया और एचडब्ल्यूसी में मौजूद मुफ्त दवाएं प्रदान कीं।

पीजीआइ चंडीगढ़ के आंतरिक चिकित्सा विभाग के प्रोफेसर, डॉ. आशीष भल्ला ने कहा  कि एनएफएचएस-4, 2015-16 के अनुसार, पंजाब में भारत में उच्च रक्तचाप का प्रसार सबसे अधिक है। उच्च रक्तचाप की रोकथाम और उपचार संभव है और इसे जीवन शैली में सुधार करके और दवाएं देकर प्रबंधित किया जा सकता है। मुझे खुशी है कि एसएमएचएसपी और ई-संजीवनी के तहत उच्च रक्तचाप के 15 लाख मामलों की जांच की गई।


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