राघव चड्ढा बोले- चारे की बढ़ती कीमतों से और बढ़ सकते हैं दूध के दाम, केंद्र ने नहीं उठाए समय रहते कदम
आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सदस्य राघव चड्ढा ने आशंका जताई है कि चारे की बढ़ती कीमतों से दूध के दाम और बढ़ सकते हैं। उन्होंने कहा कि देश में दूध की बढ़ती कीमतों के लिए केंद्र सरकार जिम्मेदार है क्योंकि उसने समय रहते कदम नहीं उठाए।
आनलाइन डेस्क, चंडीगढ़। आम आदमी पार्टी (आप) के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने वीरवार को दूध की बढ़ती कीमतों को रोकने में विफल रहने के लिए भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार को जिम्मेदार ठहराया। कहा कि दो साल पहले चारे की बढ़ती कीमतों के बारे में जानने के बावजूद समस्या का समाधान करने में केंद्र की नाकामी के कारण दूध की कीमतों में और वृद्धि होने की संभावना है, क्योंकि चारे की कीमतों से दूध का सीधा संबंध है। इसके अलावा लंपी वायरस को लेकर भी केंद्र सरकार ने समय पर कदम नहीं उठाए।
राज्यसभा सदस्य राघव चड्ढा ने कहा, "दूध की कीमतें फिर से बढ़ सकती हैं। इसका पहला कारण चारे की कीमतों में बेरोकटोक वृद्धि है। कुछ वर्षों से किसान चारे के बजाय अन्य फसलों की बुआई करना पसंद कर रहे हैं। चारे की कीमतें अब अगस्त में 9 साल के उच्चतम स्तर 25.54% तक पहुंच गई हैं। अकेले गुजरात में, जो कि दूध का सबसे बड़ा उत्पादक है, पिछले दो वर्षों में चारा फसलों का क्षेत्रफल 1.36 लाख हेक्टेयर कम हो गया है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने दो साल पहले चारे के संकट और कृषक परिवारों पर इसके प्रभाव को देखा था, इसलिए विशेष रूप से चारे के लिए 100 किसान उत्पादक संगठन (FPO) स्थापित करने का प्रस्ताव केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय द्वारा सितंबर 2020 में तैयार किया गया था।
राघव चड्ढा ने कहा कि विडंबना यह है कि संकट सामने आने के बावजूद अभी तक एक भी एफपीओ पंजीकृत नहीं किया गया है। सरकार को वर्षों पहले संभावित संकट के बारे में पता था, लेकिन कुछ नहीं किया। केवल एक साल में, चारे की कीमतों और मांग दोनों में तीन गुना वृद्धि हुई है। उदाहरण के लिए अकेले राजस्थान और एमपी में चारे (भूसे) की कीमतें 400-600 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़कर 1100-1700 प्रति क्विंटल हो गईं।