कोर्ट मार्शल में दिखाया जातिवाद
कोशिश करते हैं लेकिन जातिवाद का कोढ़ हम छोड़ने का नहीं चाहते।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : हम चाहे कितने भी आधुनिक बनने की कोशिश करते हैं लेकिन जातिवाद का कोढ़ हम छोड़ने का नहीं चाहते। इसी को दिखाने के लिए पंजाब कला भवन सेक्टर-16 में नाटक कोर्ट मार्शल का मंचन किया गया। नाटक को स्वदेश दीपक द्वारा लिखा गया है जिसका निर्देशन सुदेश शर्मा द्वारा किया गया। नाटक के जरिये फौज के उन नियमों और स्थितियों को पेश किया गया जो कि फौज के आसपास घूमते हैं। हालांकि फौज को हम हमेशा देशभक्ति और जज्बे से भरपूर देखते हैं लेकिन कहीं न कहीं वहां पर भी शोषण होता है। नाटक में दिखाया गया है कि किस प्रकार जातिवादी एवं सामंतवादी सोच निम्न वर्ग के प्रताड़ित लोगों का जीना मुहाल कर देती है। परिस्थितियां जब बर्दाश्त से बाहर होती हैं तो सिपाही रामचंद्र अपने ही अधिकारी की गोली मारकर हत्या कर देता है। ऑफिसर की हत्या पर उस पर कोर्ट मार्शल होता है। वकीलों और कर्नल आदि के बीच लंबी जिरह चलती है। जब असलियत आती है सामने
लंबी कोशिशों के बाद जब हत्या का आरोपित सैनिक रामचंद्र बोलता है तो पता लगता है कि अधिकारी द्वारा लगातार प्रताड़ित करने एवं अंत में उसकी मां के खिलाफ द्वेषभावना के चलते गलत शब्दों के प्रयोग से क्षुब्ध होकर सैनिक हत्या करने के लिए बाध्य हो जाता है। प्रोसीडिग ऑफिसर एवं अन्य सलाहकार जज पूरा मामला सुनने के बाद रामचंद्र के प्रति सहानुभूति रखते हैं, लेकिन फांसी की सजा भी सुना देते हैं। अंत में एक पार्टी के दौरान नाटक का समापन हो जाता है जो यह सवाल छोड़ जाता है कि जातिवाद एवं सामंतवादी सोच हर जगह आज भी विद्यमान है जो समाज और व्यवस्था को खोखला कर रही हैं।
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