Punjab Budget Session में गैरों ही नहीं, अपनों की बेरुखी भी झेली कांग्रेस ने
पंजाब विधानसभा में सत्तारूढ़ कांग्रेस को इस बार विपक्षी विधायकों के हमले का सामना कम उसके अपने विधायकों का ज्यादा करना पड़ा।
चंडीगढ़ [इन्द्रप्रीत सिंह]। पंजाब विधानसभा में सत्तारूढ़ कांग्रेस को इस बार विपक्षी विधायकों के हमले का सामना कम, उसके अपने विधायकों का ज्यादा करना पड़ा। दरअसल, सरकार का तीन साल का कार्यकाल बीतने के बाद कोई बड़ा काम न कर पाने से विधायकों में व्याप्त निराशा विधानसभा के सत्र में साफ झलक रही थी।
सत्ता में आने से पहले कांग्रेस ने शिरोमणि अकाली दल-भाजपा गठबंधन सरकार को माफिया की सरकार बताते हुए रेत माफिया, केबल माफिया, शराब माफिया, ट्रांसपोर्ट माफिया को तोडऩे का एलान किया था। इनमें से किसी पर भी सरकार कोई ठोस कदम नहीं उठा सकी है। विधायक जब अपने हलकों के गांव व शहरों में जाते हैं तो लोग उनसे इन मुद्दे पर सवाल दागते हैं जिससे परेशान होकर उन्होंने अपनी सारी निराशा विधानसभा सत्र में उतार दी।
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ज्यादातर दिन सदन से गायब ही रहे। लिहाजा उन्होंने किसी भी विधायक का जवाब नहीं दिया। अमरिंदर सिंह राजा वडि़ंग हों या फिर परगट सिंह, बरिंदरमीत सिंह पाहड़ा हों या फिर मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा... सभी ने गाहे बगाहे अपनी ही सरकार पर हमला कर उन्हें कठघरे में खड़ा कर रखा। कांग्रेस के अपने विधायकों के इस हमले ने कैप्टन अमरिंदर सिंह की खूब किरकिरी करवाई। एक विधायक ने तो यहां तक कहा कि अब तो फील्ड में जाने से शर्म आने लगी है। लोग तो हमें पूछ रहे हैं कि तीन साल पहले बड़ी - बड़ी बातें कर रहे थे , अब किया क्या?
तीन मंत्री रहे विपक्ष के निशाने पर
शिरोमणि अकाली दल बेशक संख्या बल में प्रमुख विपक्षी पार्टी आप से कम हो लेकिन सरकार के मंत्रियों को घेरने में शिअद आगे रही। शिअद ने राजस्व मंत्री गुरप्रीत कांगड़, खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री भारत भूषण आशू और सेहत मंत्री बलबीर सिद्धू को खास निशाने पर रखा। सदन का काफी समय इन तीनों मंत्रियों को अपने पर लगे आरोपों की सफाई देने में ही गया।
विपक्षी दलों में आगे निकलने की होड़
तीन विपक्षी पार्टियां आप, शिअद-भाजपा गठजोड़ और लोक इंसाफ पार्टी में एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ लगी रही। सदन के अंदर तो उन्होंने मुद्दे उठाए ही, साथ ही सदन शुरू होने से पहले भी रोजाना एक-एक मुद्दे को लेकर पार्टियों ने प्रदर्शन करके मीडिया में जगह बनाए रखी। प्रदर्शन करने के मामले में भी अलग-अलग ढंग अपनाए गए। कभी बजट को गुब्बारों से उड़ाया गया तो कभी रेत की दुकानें लगाई गईं। कभी महंगी बिजली को मुद्दा बनाया गया तो कभी आत्मदाह करने वाले किसानों के परिवारों को लाया गया।
सिद्धू, बादल, ढींडसा रहे गैरहाजिर
दस दिन चली सदन की कार्यवाही से कांग्रेस के नवजोत सिंह सिद्धू, अकाली दल के बागी नेता परमिंदर सिंह ढींडसा और प्रकाश सिंह बादल गैर हाजिर रहे।
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