छात्र संघ चुनाव : 11 बार पंजाब यूनिवर्सिटी स्टूडेंट यूनियन की जीत, सोपू को आठ व पीएसयू को चार बार मिली सफलता
1982 की ये तस्वीर, इस साल पुसू पहली बार जीत का स्वाद चखा। यह अकेला ऐसा संगठन था जिसने जीत का चौका मारा।
डॉ. रविंद्र मलिक, चंडीगढ़ : पंजाब यूनिवर्सिटी में एक बार फिर छात्र राजनीति गरमाने लगी है। छात्र संघ चुनाव को लेकर छात्रों के संगठन सक्रिय होने लगे हैं। हालांकि यूनिवर्सिटी की सीटों पर अब तक पुसू की पकड़ सबसे ज्यादा मजबूत रही है। विश्वविद्यालय का चुनावी इतिहास इस बात का साक्षी है कि यहां पुसू ने साल 1977 से अब तक 11 बार जीत दर्ज की। वहीं सोपू ने आठ, पीएसयू को चार बार और एनएसयूआइ ने तीन बार जीत का स्वाद चखा। सिख विरोधी दंगों के चलते 13 साल नहीं हुए चुनाव
सिख विरोधी दंगों की वजह से यूनिवर्सिटी में मई 1984 में होने वाले एग्जाम समय पर नहीं हो सके थे। दंगों का असर छात्र संघ चुनाव पर भी पड़ा। यहां 1984 से 1996 तक छात्र संघ चुनाव नहीं हुए। हालांकि इससे पहले यहां पहली बार प्रत्यक्ष छात्र संघ चुनाव वर्ष 1977 में हुए थे। चुनाव का सिलसिला 1983 तक चला। करीब 13 साल बाद पंजाब में हालात सुधरने पर दोबारा यह सिलसिला साल 1997 में शुरू हुए।
जसकरण बराड़ ने किया था पुसू का गठन
पीयू के चुनाव में पुसू अब तक ऐसा एक मात्र छात्र संगठन है, जिसने प्रेसिडेंट पद पर जीत के मामले में दहाई के अंक तक पहुंचने में कामयाबी हासिल की। जसकरण बराड़ ने इसका गठन किया था। पुसू ने साल 1982 में पहली बार जीत का स्वाद चखा। यह अकेला ऐसा संगठन था जिसने जीत का चौका मारा। 2002 से लेकर 2006 तक इस संगठन ने बैक टू बैक चार बार प्रेजिडेंट का चुनाव जीता। 1997 में दोबारा डायरेक्ट पद के चुनाव शुरू हुए तो पुसू ने ही जीत का परचम लहराया। अंतिम बार पुसू का प्रेजिडेंट साल 2017 में चुना गया। डॉ. डीपीएस रंधावा ने रखी थी सोपू की नींव
वर्तमान सीनेटर डॉ. डीपीएस रंधावा की बनाई सोपू ने पहली बार 1997 में चुनाव जीता। इस संगठन ने अगले दो साल भी जीत का परचम लहराया। फिर 2008 और 2009 में भी जीत दर्ज की। 2011 और 2012 में लगातार दो बार जीत दर्ज की है। सोपू से 2006 में प्रेजिडेंट का चुनाव जीतने वाले दलविंदर गोल्डी एमएमए फिलहाल एमएलए हैं। सबसे पुरानी पीएसयू ने जीत का चौका मारा
सबसे पहली बार डायरेक्ट चुनाव जीतने वाली पार्टी पीएसयू थी। 1977 में पहला चुनाव जीता। इसके बाद अगले दो साल भी लगातार जीत दर्ज की। 1981 के चुनाव में प्रेजिडेंट के पद पार्टी लड़ी और विपक्षी पार्टी एनएसएफ के राजिंदर दीपा को केवल एक वोट के अंतर से हरा दिया। इसके बाद पार्टी कोई चुनाव नहीं जीत पाई। एनएसयूआइ तीन बार चुनाव जीत चुकी है। पहली बार जीत का स्वाद 2013 में चखा था। अगले साल भी पार्टी ही जाती। 2017 में भी पार्टी ने चुनाव जीता।
दो बार अप्रत्यक्ष चुनाव भी हुए
1977 के बाद 1983 तक डायरेक्ट चुनाव हुए। इसके बाद 1984 के दंगों के चलते 1996 तक डायरेक्ट चुनाव बंद हो गए, लेकिन दो साल अप्रत्यक्ष चुनाव हुए। 1995 में चुनाव में कुलजीत नागरा प्रेसिडेंट बने। 1997 में बिंदर सिंह चुनाव जीते। ये हैं प्रेसिडेंट पद की जीत के आंकड़े
पुसू 11
सोपू 8
पीएसयू 4़
एनएसयूआइ 3
एनएफएस 1
सोई 1
साल प्रेसिडेंट पार्टी
1977-78 बीपी सिंह खोसा पीएसयू
1978-79 सुधीर वालिया पीएसयू
1979-80 एस सन्नी मान पीएसयू
1980-81 अश्विनी सेखड़ी एनएसएफ
1981-82 अनमोल रत्न सिद्धू पीएसयू
1982-83 राजिंदर दीपा पुसू
1983-84 राजिंदर दीपा पुसू
1997-98 मुनीश आनंद पुसू
1998-99 डीपीएस रंधावा सोपू
1999-2000 डीपीएस रंधावा सोपू
2000-01 भूपिंदर सिंह पुसू
2001-02 संतोखविंदर सोपू
2002-03 मलविंदर कंग पुसू
2003-04 मलविंदर कंग पुसू
2004-05 राजविंदर लक्की पुसू
2005-06 अमनदीप सिंह पुसू
2006-07 दलवीर खंगूरा गोल्डी सोपू
2007-08 परमिंदर जसवाल पुसू
2008-09 एस साहिल नंदा सोपू
2009-10 एम अमित भाटिया सोपू
2010-11 गुरविंदरवीर औलख पुसू
2011-12 पुष्पिंदर शर्मा सोपू
2012-13 सतिंदर सिंह सोपू
2013-14 चंदन राणा एनएसयूआइ
2014-15 दिव्यांशु बुद्धिराजा एनएसयूआइ
2015-16 जसमीन कंग सोई
2016-17 निशांत कौशल पुसू
2017-18 जश्न कांबोज एनएसयूआइ