पंजाब की सीनियर आइएएस अधिकारी राजी पी श्रीवास्तव की बेटी बनीं आइएएस
सिविल सर्विसेज एग्जाम में ट्राईसिटी के युवाओं ने सफलता हासिल की है।
सुमेश ठाकुर, चंडीगढ़ : सिविल सर्विसेज एग्जाम में ट्राईसिटी के युवाओं ने सफलता हासिल की है। परीक्षा में अव्वल आने युवाओं से उनकी सफलता को लेकर दैनिक जागरण ने विशेष बातचीत की। सफल युवाओं ने बताया कि किस तरह कड़ी मेहनत और अनुशासन के साथ उन्होंने अपनी मंजिल हासिल की है। 1. पेरेंट्स ने किया मोटिवेट, तो सिविल सर्विसेज को चुना : रिद्धिमा
रैंक-74 वां
सिविल सर्विसेज रिजल्ट में पंजाब की सीनियर आइएएस अधिकारी और चंडीगढ़ प्रशासन में स्पेशल सेक्रेटरी फाइनेंस और डायरेक्टर हायर एजुकेशन रहीं राजी पी श्रीवास्तव की बेटी रिद्धिमा ने सिविल सर्विसेज में सफलता हासिल की है। रिद्धिमा ने यूपीएससी में 74वां रैंक हासिल किया है। रिद्धिमा ने दूसरी चांस में इस परीक्षा को क्लीयर किया है। एग्जाम क्लीयर करने पर दैनिक जागरण से बातचीत में रिद्धिमा ने बताया कि मां पंजाब कैडर में आइएएस हैं, जबकि पिता प्रमोद श्रीवास्तव रेवेन्यू सर्विस से सेवानिवृत्त हैं, दोनों के मोटिवेशन से यह सफलता हासिल कर पाई। पेरेंट्स से प्रेरित होकर मैंने यूपीएससी में जाने का फैसला लिया। रिद्धिमा ने स्कूल स्तर की पढ़ाई कॉर्मल कॉवेंट स्कूल सेक्टर-9 और उसके बाद पंजाब इंजीनियरिग कॉलेज (पेक) से इलेक्ट्रॉनिक एंड कम्यूनिकेशन की डिग्री हासिल की है। मम्मी और पापा को देखकर मैंने अनुशासन सीखा है। सुबह चार बजे उठकर सेल्फ स्टडीज करना, रोज समाचार पत्र को पढ़ना और पढ़ाई के लिए बुक लिस्ट पर ध्यान देना अहम था। मेरा सिविल सर्विसेज की तैयारी करने वाले कैंडिडेट्स को सुझाव है कि कोई भी कोचिग लेने से बेहतर है कि अनुशासन और सही शेड्यूल के साथ पढ़ाई करें, तो सफलता जरूरी मिलेगी। 2.सेल्फ स्टडी है सफलता का मूल मंत्र : डॉ. दर्पण आलूवालिया
80वां रैंक
डॉ. दर्पण आहलूवालिया मोहाली के फेज-10 की निवासी हैं। उन्होंने बताया कि 2017 में पटियाला के राजेंद्रा कॉलेज से एमबीबीएस पूरी की थी। जिसके बाद कुछ स्वयंसेवी संस्थाओं के साथ काम किया। उनके साथ काम करते हुए अनुभव किया कि एक आम आदमी की कोई नहीं सुनता, जिसे देखकर मैंने यूपीएससी एग्जाम को क्रेक करने का मन बनाया। मैं पार्ट टाइम एनजीओ के साथ काम कर रही थी। उसके साथ-साथ मैंने अभिमन्यु आइएएस स्टडी सर्कल सेक्टर-25 से कोचिग भी लेनी शुरू कर दी। मैं आइएएस बनकर उस स्थिति को बदलना चाहती हूं, जोकि वर्षो से बनी हुई है। डॉ. दर्पण ने बताया कि कोचिग से कहीं ज्यादा जरूरी है कि अनुशासन के साथ सेल्फ स्टडी करें। रूटीन बनाकर सेल्फ स्टडी करने से सफलता जरूर मिलती है। पापा का सपना था, आइएएस बनो मैंने पूरा किया : मुस्कान जिदल
87वां रैंक
मुस्कान ने एससी कॉलेज सेक्टर-32 से बीकॉम ऑनर्स पूरी की है। मुस्कान ने बताया कि पापा पवन जिदल हार्डवेयर के बिजनेसमैन हैं। पापा ने बचपन से ही सिविल सर्विसेज में जाने के लिए प्रेरित किया, यह पापा का सपना था। आज खुशी है कि मैंने वह कर दिखाया। बीकॉम करने के लिए हिमाचल प्रदेश के सोलन से चंडीगढ़ के एसडी कॉलेज सेक्टर-32 में एडमिशन लिया, जहां पर देखा कि बहुत से दोस्त यूपीएससी एग्जाम की तैयारी कर रहे हैं। कोचिग सेंटर कभी नहीं गई। तैयारी में इंटरनेट का काफी सहयोग मिला। इंटरनेट पर स्टडी सात से आठ घंटे तक की। जिस तरह मेरे परिवार ने मुझे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया, दूसरे पेरेंट्स भी ऐसा करें। 4.आइपीएस बनना था सपना, जिसके लिए दोबारा दिया यूपीएससी एग्जाम : जसरूप कौर
144वां रैंक
जसरूप कौर इस समय इंडियन ट्रेड सर्विस में असिस्टेंट डायरेक्टर के तौर पर दो साल से कार्यरत हैं। एग्जाम क्रेक किया था, लेकिन पसंद का रैंक नहीं मिला पाया। मेरा टारगेट सिर्फ आइएएस में चुना जाना था। जिसके बाद लगातार तैयारी करके दोबारा एग्जाम देती रही और आज रिजल्ट ने मेहनत को सफल कर दिया। जसरूप ने बताया कि उन्होंने छठी बार सिविल सर्विसेज एग्जाम दिया है। जसरूप ने कॉर्मल कावेंट स्कूल सेक्टर-9 से पढ़ाई की और उसके बाद पंजाब इंजीनियरिग कॉलेज सेक्टर-12 से साल 2013 में बीटेक (आइटी) में भी डिग्री हासिल की हुई है। सपनों को पूरा करने के लिए कोशिश करना जरूरी है और उसे मैंने भी किया है। एग्जाम क्लीयर करने के लिए मैंने रेगुलर सेल्फ स्टडी की थी। 5. विवेक स्कूल की छात्रा ने गाडे़ झंडे
502 वां रैंक
एकम जे सिंह ने बताया कि कोई भी एग्जाम क्रेक करने के लिए जरूरी है कि आप रेगुलर सेल्फ स्टडी करें। एकम जे सिंह के पिता जेएस केसर पंजाब कैडर से आइएएस सेवानिवृत्त हैं, जबकि मां राजेंद्र कौर अरोड़ा दिल्ली नगर निगम से डिप्टी कमिश्नर सेवानिवृत्त हैं। यूपीएससी एग्जाम पर बोलते हुए एकम ने बताया कि मां और पापा को हमेशा अनुशासन में देखा है। उनकी देखरेख में सिविल सर्विसेज की तैयारी की है, जिसका परिणाम आज देखने को मिल रहा है। 6.आइएएस बनने के लिए छोड़ी है इंटेलिजेंस ब्यूरो की नौकरी
734वां रैंक
आइटीबीपी में कार्यरत दौलत सिंह की बेटी सृष्टि ने पांचवीं बार एग्जाम देकर यूपीएससी एग्जाम में 734वां रैंक हासिल किया है। सृष्टि ने बताया कि पापा फौज में हैं, वहीं, मां सुनीता घरेलू महिला है। मुझे आइएएस बनना है, जिसके लिए बीते दस साल से तैयारी कर रही हूं। एग्जाम की तैयारी करने के लिए मैंने कई साल से परिवार के बहुत सारे समारोह अटेंड नहीं किए हैं। मुझे आइएएस बनने के लिए कोई जबरदस्ती नहीं है, लेकिन पापा का सिर मैं भी आइएएस बनकर उठाना चाहती हूं। जिसके लिए यूपीएससी का एग्जाम दे रही हूं। यदि इस बार बेहतर कैडर नहीं मिला, तो अगली बार फिर से कोशिश करूंगी। सृष्टि ने बताया कि सेल्फ स्टडी सबसे ज्यादा जरूरी है। रूटीन में की गई स्टडीज सफलता जरूर दिलाती है।