Punjab New Cabinet: चन्नी मंत्रिमंडल में बलबीर सिंह सिद्धू को जगह नहीं, कैप्टन के खास मंत्रियों में गिने जाते थे सिद्धू
Punjab New Cabinet पंजाब की नई कैबिनेट के मंत्रियों की सूची दिल्ली में बैठक के बाद फाइनल हो गई है। कैबिनेट के मंत्रियों के नाम तय होने के बाद मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी राजभवन राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित से मिलने पहुंचे। उनसे पहले उपमुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा भी पहुंचे हैँ।
मोहाली, [रोहित कुमार]। Punjab New Cabinet: पंजाब के नए मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी की नई कैबिनेट में शामिल होने वाले विधायकों के नामों को अंतिम रूप दे दिया गया है। कैप्टन मंत्रिमंडल में स्वास्थ्य मंत्री रहे बलबीर सिंह सिद्धू का पता कट गया है। मोहाली के खरड़ सबडिवीजन से जहां पंजाब को नए मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी मिले वहीं दूसरी और इसी जिले के मोहाली विधानसभा हलके से स्वास्थ्य मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू की कैबिनेट से छुट्टी होने की अटकलें लगाई जा रही है।
बलबीर सिंह सिद्धू पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के खास माने जाते है। तीन बार से लगातार विधायक चुन कर आ रहे बलबीर सिंह सिद्धू को कैबिनेट मंत्री बनाने में कैप्टन अमरिंदर सिंह का बड़ा रोल रहा है। पार्टी ने इसी साल फरवरी में मोहाली नगर निगम चुनाव में सेहत मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू के नेतृत्व में लड़ा गया। कांग्रेस ने जीत हासिल की तो सिद्धू ने अपने भाई अमरजीत सिंह जीती सिद्धू को मोहाली नगर निगम का मेयर बनवा दिया।
कुछ भी कहने से परहेज कर रहे सिद्धू
मोहाली में इस समय सिद्धू परिवार का ही कब्जा है। बड़े भाई सेहत मंत्री है तो छोट मेयर। अगर सिद्धू को कैबिनेट मंत्री से हटाया जाता है तो क्या वे कैप्टन खेमे के साथ जाएंगे। इसको लेकर अभी सिद्धू ने कुछ भी स्पष्ट नहीं किया है। हालांकि पिछले दिनों से लगातार हो रही उठापठक को लेकर सिद्धू कुछ भी कहने से लगातार बचते आ रहे है। सिद्धू इसे पार्टी का अंदरूनी मामला कहकर निकल जाते हैं।
मंत्री बनने के बाद कई बार विवादों में रहे सिद्धू
ध्यान रहे कि बलबीर सिंह सिद्धू पर जिला मोहाली की शामलाट जमीनों पर कब्जा करने के आरोप लग रहे है। सिद्धू की ओर से बनाई गई बाल गोपाल गोशाला ट्रस्ट को मोहाली के गांव बलौंगी में दी गई जमीन को लेकर भी विवाद है। इसको लेकर पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका भी दायर है। वहीं कोविड के दौरान कोविड वैक्सीनेशन को निजी अस्पतालों को मंहगे दामों पर देने के मामले में भी सेहत मंत्री विपक्ष के निशाने पर आ गए थे। हालांकि बाद में इस निर्णय को वापस ले लिया गया था।