ओवर ड्राफ्ट कम कर दस हजार करोड़ बचाने की तैयारी में सरकार
-चालू वित्तीय वर्ष में बचाए 5000 करोड़ -राजस्व का ब्याज चुकाने में गया 26.68 फीसद ---- कैलाश न
-चालू वित्तीय वर्ष में बचाए 5000 करोड़
-राजस्व का ब्याज चुकाने में गया 26.68 फीसद
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कैलाश नाथ, चंडीगढ़: कांग्रेस सरकार राज्य की वित्तीय स्थिति को सुधारने के लिए छोटे-छोटे सेक्टरों की तरफ ध्यान देने में जुट गई है। इसका असर भी वित्तीय स्थिति पर दिखना शुरू हो गया है। वित्तमंत्री मनप्रीत बादल ने कमिटेड एक्सपेंडीचर में कटौती कर राज्य को ओवर ड्राफ्ट के दिनों में कटौती की, जिस कारण पंजाब पर 5 हजार करोड़ रुपये की देनदारी भी कम हुई। अब ओवर ड्राफ्ट की दिनों को शून्य पर लाकर वित्तमंत्री 10 हजार करोड़ रुपये की बचत करने की तैयारी में जुट गए हैं।
2016-17 में राज्य 179 दिनों के लिए ओवर ड्राफ्ट पर रहा, जबकि 2017-18 में दिनों की संख्या गिर कर 98 रह गई है। इससे राज्य को 5 हजार करोड़ की बचत हुई है। वहीं, वित्तमंत्री का कहना है कि अगले वित्तीय वर्ष में इसे शून्य पर लाकर दस हजार करोड़ से अधिक की बचत की जा सकती है। मनप्रीत बादल कहते हैं कि 'ओवर ड्राफ्ट होने पर निश्चित रूप से इसका असर वित्तीय बोझ पर पड़ता है। क्योंकि फिर बैंकों को अतिरिक्त ब्याज देना पड़ता है।' वहीं, बजट की पड़ताल करने पर पता चलता है कि ओवर ड्राफ्ट से बचने के लिए सरकार ने कमिटेड खर्च में .65 फीसद तक कटौती की। 2016 में कमिटेड खर्च 87.83 थे, जो चालू वित्तीय वर्ष में घट कर 87.18 फीसद रह गया है। वित्त मंत्री अगले वित्तीय वर्ष में इसे 70.82 फीसद पर लाने के पक्ष में है। जिससे स्पष्ट है कि सरकार अपने कई फिक्स खर्चो में कटौती करने जा रही है। कर्ज का ब्याज सबसे बड़ी परेशानी
चालू वित्तीय वर्ष में सरकार की सबसे बड़ी परेशानी कर्ज के ब्याज को लेकर रही। 2016-17 में जहां राजस्व का 24.26 फीसद हिस्सा कर्ज के ब्याज की अदायगी में देना पड़ रहा था, जो चालू वित्तीय वर्ष में बढ़ कर 26.68 फीसद तक पहुंच गया। यानी चालू वित्तीय वर्ष में सरकार को 2.42 फीसद अतिरिक्त देना पड़ा। वित्तमंत्री मनप्रीत बादल अगले वित्तीय वर्ष में इसे 22.03 फीसद तक लाना चाहते है। चूंकि 31000 करोड़ के फूड सेटलमेंट ऋण लेने के कारण सरकार पर इस साल 3240 करोड़ रुपये का भुगतान करना पड़ा। चूंकि केंद्र सरकार अब इस अकाउंट में अपनी हिस्सेदारी डालने को भी तैयार हो गई है। इसलिए वित्तमंत्री को उम्मीद है कि अगले वित्तीय वर्ष में सरकार पर 15,545 करोड़ रुपये का और कर्ज और चढ़ेगा। वित्तमंत्री को उम्मीद है कि 6.36 फीसदी की कटौती होगी। ऐसे चढ़ा सरकार पर कर्ज (करोड़ रुपये में)
2012-13 92,282
2013-14 1,02,234
2014-15 1,12,366
2015-16 1,28,835
2016-17 1,82,526
2017-18 1,95,978
2018-19 2,11,523 (संभावित)