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10वीं-12वीं की छात्राओं को Smartphone देगी सरकार, बस ढाई महीने का और इंतजार

कांग्रेस सरकार ढाई साल बाद चुनाव में युवाओं से किए गए वादे को पूरा करने की दिशा में बढ़ने जा रही है। पहले चरण में 11वीं और 12वीं की छात्राओं को फोन देने का फैसला किया गया है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Fri, 20 Sep 2019 08:58 AM (IST)Updated: Sat, 21 Sep 2019 08:37 AM (IST)
10वीं-12वीं की छात्राओं को Smartphone देगी सरकार, बस ढाई महीने का और इंतजार

जेएनएन, चंडीगढ़। पंजाब की कांग्रेस सरकार ढाई साल बाद चुनाव में युवाओं से किए गए वायदे को पूरा करने की दिशा में बढ़ने जा रही है। डेरा बाबा नानक में हुई कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया कि दिसंबर से स्मार्टफोन (Smartphone) का वितरण शुरू किया जाएगा। पहले चरण में 11वीं और 12वीं की छात्राओं को फोन देने का फैसला किया गया है। कैबिनेट में मुख्यमंत्री के सलाहकारों को लाभ के पद से बाहर निकालने के लिए ऑर्डीनेंस लाने का फैसला भी किया गया।

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मंत्रिमंडल ने राज्य के युवाओं को स्मार्ट फोन बांटने के लिए रूपरेखा को मंजूरी दे दी है। जिससे इस योजना को इस साल आखिर में लागू करने का रास्ता साफ हो गया है। इसके लिए पंजाब सूचना तकनीक निगम लिमिटेड द्वारा टेंडर आमंत्रित किए जाएंगे। दो महीनों के अंदर पूरी प्रक्रिया मुकम्मल कर ली जाएगी और पहले पड़ाव के अंतर्गत दिसंबर में युवाओं को स्मार्ट फोन बांटे जाएंगे। ये मोबाइल फोन टच स्क्रीन, कैमरा युक्त, सोशल मीडिया एप्लीकेशन के साथ-साथ अन्य कई फीचरों वाले होंगे।

मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में मंत्रिमंडल ने मुख्यमंत्री के सलाहकार (राजनीतिक) व (योजना) को 'द पंजाब स्टेट लैजिसलेचर (प्रीवेंशन ऑफ डिसक्वालीफिकेशन) एक्ट -1952'  के घेरे से बाहर निकालने के लिए ऑर्डीनेंस लाने का फैसला किया है। बता दें कि दैनिक जागरण ने 18 सितंबर के संस्करण में ही इस बात का खुलासा कर दिया था।

अयोग्य नहीं हो सकेंगे विधायक

इस ऑर्डीनेंस के द्वारा कानून में संशोधन किया जाएगा कि यह पद उन पदों की सूची में शामिल होंगे जो विधायकों को अयोग्य ठहराने के उद्देश्य के लिए लाभ के पद के तौर पर नहीं विचारे जाते। इस संशोधन के साथ इन विधायकों को अयोग्य नहीं ठहराया जा सकेगा।

विधानसभा का सदस्य होने के नाते कुछ लाभ वाले पदधारकों को अयोग्य न ठहराने के लिए भारतीय संविधान की धारा 191 के अधीन 'द पंजाब स्टेट लैजिसलेचर (प्रीवेन्शन ऑफ डिसक्वालीफीकेशन) एक्ट-1952' बनाया गया था। इस एक्ट में समय-समय पर संशोधन किया गया। एक्ट में संशोधन करते हुए विभिन्न संसदीय कमेटी के लाभ वाले पदों को संबोधित रिपोर्टों और अध्ययन को नहीं विचारा गया। इसलिए यह विचार किया गया कि 'द पंजाब स्टेट लैजिसलेचर एक्ट-1952' के सेक्शन-2 में संशोधन की जरूरत है।

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एक्ट में एक और क्लॉज जुड़ेगा

मंत्रिमंडल ने 'द पंजाब स्टेट लैजिसलेचर (प्रीवेन्शन ऑफ डिसक्वालीफीकेशन) एक्ट-1952' के सेक्शन-2 में संशोधन करके क्लॉज (पी) के बाद क्लॉज (क्यू) जोड़ने की मंजूरी दे दी है। इससे मुख्यमंत्री के सलाहकार (राजनैतिक) और (योजना) का विस्तार हो जाएगा। कैबिनेट ने ऑर्डीनेंस के मसौदे को मंजूरी देने और इसको जारी करने के लिए राज्यपाल को सिफारिश करने के लिए अधिकृत किया है।

हाई कोर्ट में पहुंच चुका है मामला

बता दें कि मुख्यमंत्री ने पिछले दिनों चार विधायकों को राजनीतिक सलाहकार नियुक्त किए थे। इसके अलावा दो विधायकों को प्लानिंग बोर्ड में एडजस्ट किया गया था। इनमें से पांच विधायकों को कैबिनेट और एक को राज्य मंत्री का दर्जा दिया गया था। इस मामले में हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई है।

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