बढ़ी SYL की लड़ाई, पंजाब सरकार करेगी अधिग्रहीत जमीन को मुक्त
एसवाइएल नहर का विवाद और गहरा गया है। पंजाब कैबिनेट ने नहर के लिए अधिग्रहीत की गई जमीन को मुक्त करने का फैसला किया गया है।
जेएनएन, चंडीगढ़। पंजाब मंत्रिमंडल ने एसवाइएल नहर के लिए अधिग्रहीत जमीन को डीनोटिफाई करने का फैसला किया है। मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल की अध्यक्षता में यहां हुई केबिनेट बैठक मे यह निर्णय किया गया। इसमें कहा गया कि यह निर्णय जनहित में किया गया है।
कैबिनेट की बैठक के बाद उपमुख्यमंत्री सुखबीर बादल ने बताया कि इससे अधिग्रहीत जमीन को पंजाब सरकार के कब्जे से मुक्त कर जमीन के असली मालिकों, उनके आश्रितों या उनके कानूनी वारिसों को मुफ्त में सौंपा जा सकेगा। इस संबंधी जरूरी आदेश जल्द जारी हो रहे हैं। गौरतलब है कि इससे पहले भी पंजाब सरकार 14 मार्च, 2016 को एसवाइएल की अधिग्रहीत जमीन उसके असली मालिकों को लौटाने का बिल पारित कर चुकी है।
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उस समय राज्यपाल ने इस 'पंजाब एसवाइएल नहर भूमि (मालिकाना हक स्थानांतरण) बिल 2016' ने इस पर हस्ताक्षर नहीं किए थे। विधानसभा में विपक्ष के समर्थन से सर्वसममति से पारित इस बिल के अगले ही दिन पंजाब मंत्रिमंडल ने हरियाणा को एसवाइएल के लिए खर्च हुई 191.75 करोड रुपये की राशि का चेक भी भेजा था जो हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने लौटा दिया था। मनाेहर लाल ने तब मुख्यमंत्री बादल से फोन पर बात करके इस बिल को असंवैधारिक करार देते हुए कड़ी नाराजगी जताई थी।
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मंत्रिमंडल की बैठक में एसवाइएल से जुड़े सभी मामले पर चर्चा की गई। बैठक में बुधवार को होनेवाले विधानसभा के विशेष सत्र के बारे में भी चर्चा की गई अौर इसमें इस मामले पर पेश किए जाने वाले प्रस्तावों पर चर्चा की गई। संभावना जताई जा रही है कि इसमें पंजाब के सभी जल समझौताें काे रद कर दिया जाएगा। अब, पंजाब सरकार द्वारा अधिग्रहीत जमीन को ही तुरंत प्रभाव से खत्म करने के बाद पानी की यह जंग बहुत आगे बढ गई है।
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