बिल्डरों को फायदा पहुंचाने के लिए सुखना ईको सेंसेटिव जोन का दायरा घटाना चाहती है पंजाब सरकार
पंजाब सरकार सुखना लेक के अस्तित्व को दाव पर लगाने को तैयार है।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : बिल्डरों को फायदा पहुंचाने के लिए पंजाब सरकार सुखना लेक के अस्तित्व को दाव पर लगाने को तैयार है। फिर चाहे एक फैसले से सुखना लेक की वाइल्डलाइफ खत्म हो जाए। सुखना ईको सेंसेटिव जोन का दायरा ढाई किलोमीटर से घटाकर महज 100 मीटर करना इसका उदाहरण है। पंजाब सरकार इसी तिकड़म में लगी है कि किसी तरह से इस दायरे को छोटा किया जाए। इसके लिए केंद्र सरकार को पंजाब सरकार सिफारिश भेज चुकी है। पंजाब का यह फैसला सीधे-सीधे बिल्डरों को फायदा पहुंचाने वाला है। बिल्डर सुखना लेक के साथ लगती इस जमीन की अहमियत अच्छे से जानते हैं। पंजाब सरकार के इस फैसले के पीछे बिल्डरों का हित साफ नजर आता है। इसलिए दायरा घटते ही यहां बड़े हाउसिग प्रोजेक्ट लांच करने में देर नहीं लगेगी। यूटी प्रशासन को पंजाब के रुख पर आपत्ति
लेकिन यूटी प्रशासन ने पंजाब सरकार के रुख पर सख्त आपत्ति जताने के बाद अब फ्रेश प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजने की तैयारी कर ली है। यूटी प्रशासन नहीं चाहता कि ईको सेंसेटिव जोन का दायरा किसी भी सूरत में घटाया जाए। इसके लिए चंडीगढ़ भी केंद्र सरकार को अपनी सिफारिश भेजेगा। फॉरेस्ट एंड वाइल्ड लाइफ डिपार्टमेंट इस संबंध में कम्यूनिकेशन केंद्र सरकार से करेगा। पंजाब क्यों घटाना चाहता है दायरा
पंजाब का सबसे हाईप्रोफाइल टाटा कैमलॉट प्रोजेक्ट रद होने की वजह सुखना का ईको सेंसेटिव जोन ही है। कांसल में आने वाला यह प्रोजेक्ट सुखना के ईको सेंसेटिव जोन में आता है। इसको आधार बनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगाई है। इस प्रोजेक्ट में शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर बादल सहित पूर्व स्पीकर और पूर्व विधायकों को फ्लैट मिलने थे। कांसल और उसके साथ लगते गांवों का एरिया सुखना के बिल्कुल पास लगता है। इस जमीन पर कोई हाउसिग प्रोजेक्ट लांच हुआ तो हाथोंहाथ बिक जाएगा। इसका फायदा उठाने के लिए बिल्डर पंजाब के रुख पर टकटकी लगाए हुए हैं। दायरा कम हुआ तो नहीं दिखेगी ग्रीनरी, बनेंगी ऊंची इमारतें
चंडीगढ़ ऊंची इमारतों से घिर चुका है। रेजिडेंशियल एरिया का दायरा लगातार बढ़ रहा है। खासकर पंजाब की तरफ नो हाईट होने से बिल्डिंग टावर बनते जा रहे हैं। सुखना लेक की तरफ का एरिया ही ऐसा है जहां ग्रीनरी दिखती है। ऊंची बिल्डिंग इस साइड नहीं हैं। लेकिन अगर ईको सेंसेटिव जोन का दायरा 100 मीटर हुआ तो यहां सिर्फ ऊंची इमारतें दिखाई देंगी। अभी भी यहां अवैध कंस्ट्रक्शन चलती ही रहती हैं। लीगल होने पर तो बिल्डर एक-एक इंच जमीन को बेच देंगे। यूटी प्रशासन ने सुखना वाइल्ड लाइफ सेंक्चुरी का हवाला देते हुए ही इसका विरोध किया है। चंडीगढ़ प्रशासन ने 2017 में सुखना वाइल्ड लाइफ सेंक्चुरी के चंडीगढ़ सीमा में आने वाले हिस्से को ईको सेंसेटिव जोन घोषित किया था। जिसमें सुखना लेक की बाउंड्री से इसे दो से 2.75 किलोमीटर एरिया को ईको सेंसेटिव घोषित किया था।