शिअद प्रधान सुखबीर बादल बोले- बिजली समझौतों की सीबीआइ जांच करवाए सरकार
पंजाब में बिजली कंपनियों से समझौतों पर राजनीति गर्म होती जा रही है। शिअद प्रधान सुखबीर बादल ने इन समझौतों की सीबीआइ जांच की मांग की है।
चंडीगढ़, जेएनएन। प्राइवेट थर्मल प्लांटों व बिजलजी कंपनियों को लाभ पहुंचाने के आरोप पर शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष व पूर्व डिप्टी सीएम सुखबीर बादल डैमेज कंट्रोल के लिए मैदान में आ गए हैं। सुखबीर ने गेंद कांग्रेस सरकार के पाले में डालते हुए कहा कि थर्मल प्लांटों से समझौते में अगर कुछ गलत है, तो इसके लिए पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह जिम्मेदार होंगे, क्योंकि उनकी सरकार ने केंद्रीय एग्रीमेंट डॉक्यूमेंट के आधार पर ही समझौते पर साइन किए थे। सुखबीर ने इस मामले की सीबीआइ या किसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच करवाने की मांग की है।
बोले, प्राइवेट प्लेयर के साथ समझौते गलत, तो मनमोहन होंगे जिम्मेदार
पार्टी दफ्तर में पत्रकारों से बातचीत में सुखबीर ने कहा कि कांग्रेस सरकार प्राइवेट प्लेयर के साथ मैच फिक्सिंग कर रही है। कोयला धुलाई के लिए थर्मल प्लांटों ने उनकी सरकार से पैसे मांगे थे, लेकिन उन्होंने समझौते के अनुसार इससे मना कर दिया था। कंपनी राज्य व केंद्रीय नियामक आयोग में केस हार गई। इस दौरान कांग्र्रेस की सरकार आ गई। सुप्रीम कोर्ट में सरकार केस हार गई। ब्याज समेत कोयले का 2800 करोड़ रुपये का बोझ 96 लाख उपभोक्ताओं पर डाल दिया गया है।
यह पूछे जाने पर कि कांग्रेस का आरोप है कि शिअद-भाजपा सरकार ने समझौते ही ऐसे किए, जिससे पंजाब पर 65000 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा। इसके जवाब में सुखबीर ने कहा, उनकी सरकार ने जो समझौते किए वह केंद्र सरकार के डॉक्यूमेंट पर किया था। यह एग्रीमेंट डाक्यूमेंट डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार में तय किए गए थे, तो सबसे पहले दोषी डा. मनमोहन सिंह हुए।
25,000 करोड़ करना पड़ता निवेश
सुखबीर बादल ने कहा, 2007 में पंजाब में पंजाब में बिजली की बेहद दयनीय स्थिति थी। दो रास्ते थे या तो सरकार अपने स्तर पर निवेश करे या प्राइवेट प्लेयर को आमंत्रित करे। 25,000 करोड़ का निवेश करने का राज्य में समर्थ नहीं था।
जांच करवाए सरकार
सुखबीर बादल ने कहा कि पंजाब सरकार में हिम्मत है तो इस मामले की जांच करवाए। जांच सीबीआइ या किसी बाहर की एजेंसी से होनी चाहिए। अगर सरकार जांच नहीं करवाती है, तो यह माना जाएगा कि यह मैच फिक्सिंग है। क्योंकि सरकार की नियत का पता इसी बात से चलता है कि कोयला धुलाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कोई रिव्यू पिटीशन भी नहीं डाई गई।
समझौते की खामियों पर नहीं माने
सुखबीर बादल से जब पूछा गया कि समझौते में कोई खामी थी, जिसकी वजह से पंजाब के लोगों पर बोझ पड़ रहा है तो उन्होंने इससे इन्कार किया। वह इस बात पर ही जोर देते रहे कि जो केंद्र सरकार ने एग्रीमेंट डॉक्यूमेंट तैयार किया था, उसमें से एक शब्द भी नहीं बदला गया। इसलिए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और कांग्र्रेस के प्रदेश प्रधान सुनील जाखड़ को सबसे पहले डॉ. मनमोहन सिंह को कठघरे में खड़ा करना चाहिए।