आह लो, एसडीएम सांभो चाबियां,मंहगा डीजल पा के नहीं होणी खेती
पंजाब में डीजल की कीमतों की वृद्धि के विरोध में अपनी तरह के पहले रोष मार्च ने किसान आंदोलन की नई चिंगारी छेड़ दी हे। पंजाब में डीजल की कीमतों की वृद्धि के विरोध में अपनी तरह
इन्द्रप्रीत सिंह, समराला (लुधियाना)।
पंजाब में डीजल की कीमतों की वृद्धि के विरोध में अपनी तरह के पहले रोष मार्च ने किसान आंदोलन की नई चिंगारी छेड़ दी हे। अढ़ाई किलोमीटर लंबे मार्च, जिसमें एक हजार से ज्यादा टै्रक्टर शामिल थे, में सांकेतिक रूप से चाबियां एसडीएम समराला अमित भांभी को सौंपते हुए किसानों ने कहा कि इतना महंगा डीजल डालकर खेती नहीं की जा सकती। सरकार या तो तेल की कीमतें कम करे या फिर इन ट्रैक्टरों को अपने पास रख ले।
प्रधानमंत्री के नाम लिखे ज्ञापन में भारतीय किसान यूनियन बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि पेट्रोलियम कीमतों को बाजार पर छोड़ दिया गया है। पिछले 14 दिनों में साढ़े चार रुपए से ज्यादा डीजल के दाम बढ़ गए हैं । इन दिनों जब धान की रोपाई सिर पर है और डीजल की भारी खपत होनी है, ऐसे में यह सारा भार किसानों के उन कंधों पर पड़ेगा जो पहले ही किसान विरोधी नीतियों का भार उठा रहे हैं। राजेवल ने कहा कि अगर सरकार ने डीजल को बाजारी कीमत पर छोड़ना है तो जब क्रूड ऑयल के दाम 132 डॉलर प्रति बैरल से कम होकर 45 डॉलर तक आए थे तब सरकार ने डीजल पर एक्साइज डयूटी क्यों बढ़ाई ?
इस मौके पर विशेष रूप से पहुंचे प्रसिद्ध एग्रो अर्थ शास्त्री दविंदर शर्मा ने कहा कि पिछले साढे़ तीन साल में सरकार ने दस लाख करोड़ रुपए पेट्रोलियम पदाथरें से लिए हैं । अगर सरकार सचमुच किसान हितैषी है तो उन पर चढ़ा हुआ दस लाख करोड़ का कर्ज माफ क्यों नहीं कर देती? उन्होंने कहा कि फसलों की कीमतें तय करने का मॉडल खराब होने के कारण ही किसान आत्महत्याओं को मजबूर हो रहे हैं।
दविंदर शर्मा ने कहा कि जब सरकारें चौथी श्रेणी के कर्मचारियों की 18 हजार रुपए प्रति महीना वेतन फिक्स कर सकती है तो किसानों को उनकी फसल की उचित रकम देने और मंडियों में सभी तरह की फसलें खरीदने जैसे उपाय क्यों नहीं कर सकती?
समराला से दो किलोमीटर पहले जुटे किसान
चंडीगढ़-लुधियाना हाईवे पर समराला से दो किलोमीटर पहले बोंदली गांव के पास किसान सुबह ही अपने अपने ट्रैक्टर लेकर पहुंच गए। लगभग दस बजे तीन लाइनों में पूरे हाईवे को घेरकर वे एसडीएम के दफ्तर की ओर बढ़े। बढ़ती गर्मी के चलते जगह - जगह समराला मार्किट के लोगों ने किसानों के लिए पानी आदि का इंतजाम भी किया। दो किलोमीटर से ज्यादा का सफर डेढ़ घंटे में तय करते हुए किसानों का मार्च निकला तो ज्यादातर लोग इस तरह के प्रदर्शन से अनजान थे। वह जानना चाहते थे कि आखिर इतने टै्रक्टर कहां से आ गए और कहां जा रहे हैं? जब किसान उन्हें महंगे डीजल के बारे में बताते तो उनके भी मुंह से एक ही बात निकलती- 'सरकार ने तां अत्त ही चुकी होई है।' एक से दस जून तक सब्जी-दूध की सप्लाई होगी ठप
दविंदर शर्मा ने बताया कि यह एक शुरूआत मात्र है। दो दिन बाद एक जून से लेकर दस जून तक किसान पूरी तरह से छुट्टी पर रहेंगे। शहरों में कोई सब्जी, दूध फल आदि नहीं जाएगा।