पीयू के छात्र बनाएंगे लेह व सियाचिन में तैनात जवानों के लिए अनोखी तकनीक से बिजली
पंजाब विश्वविद्यालय दुर्गम क्षेत्र लेह और सियाचिन में तैनात सेना के जवानों के लिए पोर्टेबल विंड टरबाइन से बिजली बनाएगी। इसके लिए प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई है।
चंडीगढ़ [डॉ रविंद्र मलिक]। पंजाब यूनिवर्सिटी देश के बॉर्डर पर लेह और सियाचिनदुर्गम क्षेत्र में तैनात सेना के जवानों के लिए पोर्टेबल विंड टरबाइन से बिजली बनाएगी। इस प्रोजेक्ट को भारत सरकार ने औपचारिक मंजूरी दे दी है। बॉर्डर पर रिमोट एरिया में ड्यूटी कर रहे आर्मी जवानों को बिजली की लगातार कमी से जूझना पड़ता है।
कई जगह तो बिजली नहीं पहुंचने के चलते खासी दिक्कत आती है। इसको देखते हुए पीयू के यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (यूआइईटी) ने प्रपोजल भेजा जिसको अब मंजूरी मिली है। इसको लेकर बकायदा प्रोजेक्ट की डिजाइनिंग पर काम भी शुरू हो गया है। प्रोजेक्ट के तहत इन इलाकों में हवा की गति की टेस्टिंग होगी और इसके आधार पर वहां टरबाइन लगाई जाएगी जो बिजली बनाएगी। हर रोज औसतन 500 वॉट बिजली बनाने की योजना है। करीब 20 से 25 जवानों की आम जरूरतों को पूरा करने में बिजली काम आएगी। भविष्य में जरूरत के आधार पर इसकी क्षमता भी बढ़ाई जा सकेगी।
शुरुआती बजट 10 लाख
प्रोजेक्ट को लेकर पीयू के उपरोक्त संस्थान द्वारा करीब 6 महीने पहले भारत सरकार के संबंधित विभाग को प्रपोजल भेजा गया था। इसको लेकर प्रेजेंटेशन दी गई थी कि कैसे बिजली बनाई जाएगी और इसका कितना फायदा मिलेगा। इसके लिए प्रस्तावित बजट करीब 10 लाख है। दो स्टूडेंट्स इसमें संस्थान के डॉ. एपी सिंह और डॉ. वाईपी वर्मा के निर्देश में काम भी कर रहे हैं।
ऐसे बनेगी टरबाइन से बिजली
टरबाइन को इलाके की हाईट के हिसाब से स्थापित किया जाएगा। हवा की गति बढऩे पर यह तेजी से घूमेगी। इसके बाद इसके साथ जेनरेटर को जोड़ा जाएगा जो कि बैटरी को चार्ज करेगी। हवा की गति का इसमें अहम योगदान होगा। विंड डाटा का अध्ययन इसमें किया जाएगा। उपरोक्त जगह पर पोर्टेबल बिजली बनाने के अपने आप में अनूठा प्रयोग होगा ।
कंपोजिट मैटीरियल लगेगा टरबाइन में
टरबाइन कंपोजिट मैटीरियल से बनेगी। यह मैटीरियल बेहद हल्का और मजबूत होता है। ऐसे में टरबाइन को कहीं भी ले जाने में कोई दिक्कत नहीं होगी। प्लेन को बनाने में भी ऐसे ही मैटीरियल का इस्तेमाल होता है।
हवा की टेस्टिंग होगी पहले
समतल एरिया में सामान्य रूप से हवा की गति 2 से 3 मीटर प्रति सेकेंड होती है जबकि पहाड़ी इलाकों में यह बढ़कर 8 से 10 मीटर प्रति सेकेंड हो जाती है। हवा की गति बढऩे से बिजली का उत्पादन भी बढ़ेगा। गति के आधार पर टरबाइन घूमेगी। टरबाइन में लगे ब्लेड जितनी तेज गति से घूमेंगे उतनी ही ज्यादा बिजली बनेगी ।
यह होगा फायदा
टरबाइन से बनी बिजली से आर्मी की कई अहम जरूरतें पूरी होंगी। इसकी मदद से जवानों को वायरलेस सेट चार्ज करने में दिक्कत नहीं आएगी। मोबाइल भी चार्ज कर सकते हैं। जवानों को बिजली की कमी से आपस में संपर्क साधने में दिक्कत नहीं होगी। इसके अलावा सर्दी में पहने जाने वाले सूट को बिजली की मदद से गर्म रख ठंड से बचाया जा सकेगा। बेहद ठंड में यह बेहद राहत भरा होगा।