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बची हुई सब्जियों को गोशाला पहुंचा रहे पीयू के स्टूडेंट्स

जहां एक ओर स्टूडेंट्स पढ़ाई में व्यस्त रहते हैं उनके पास दूसरी किसी चीज के लिए समय नहीं होता।

By JagranEdited By: Published: Fri, 21 Feb 2020 09:55 PM (IST)Updated: Fri, 21 Feb 2020 09:55 PM (IST)
बची हुई सब्जियों को गोशाला पहुंचा रहे पीयू के स्टूडेंट्स
बची हुई सब्जियों को गोशाला पहुंचा रहे पीयू के स्टूडेंट्स

वैभव शर्मा, चंडीगढ़ : जहां एक ओर स्टूडेंट्स पढ़ाई में व्यस्त रहते हैं, उनके पास दूसरी किसी चीज के लिए समय नहीं होता। वहीं दूसरी ओर पंजाब यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर सोशल वर्क के स्टूडेंट्स पढ़ाई के साथ-साथ एक नई मिसाल कायम कर रहे हैं। यह स्टूडेंट्स पीयू के हॉस्टल्स में बनी सभी मेस से बची हरी सब्जियों को एकत्रित कर गोशाला में पहुंचा रहे हैं। इसका फायदा यह है कि गोशाला में इन बची हरी सब्जियों का प्रयोग गायों के चारे के रूप में किया जा रहा है। इन स्टूडेंट्स के साथ-साथ विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. गौरव गौड़ के नेतृत्व में स्टूडेंट्स यह कार्य कर रहे हैं। स्टूडेंट्स द्वारा इस प्रोजेक्ट को ऐन आनंद फॉर एनिमल्स का नाम दिया है। स्टूडेंट्स के इस कार्य को पंजाब के गवर्नर व यूटी प्रशासक वीपी सिंह बदनौर, तत्कालीन मेयर देवेश मोदगिल के अलावा विदेशों में भी सराहना हुई है। गर्मियों में हरा चारा किया एकत्रित

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गौरव ने बताया कि गर्मियों में उन्हें हरी सब्जियों को एकत्रित करने में बहुत परेशानी आई। उन्होंने स्टूडेंट्स के साथ बात करके एक मुहीम शुरू की, जिसमें उन्होंने लोगों से संपर्क किया। उस दौरान उन्होंने लोगों से अपील की कि उन्हें राशि नहीं चाहिए, जो भी व्यक्ति इस कार्य में योगदान देना चाहता है वह हरा चारा उन्हें दे। इस दौरान 50 किलो से लेकर एक क्विंटल से ज्यादा तक का चारा एकत्रित हुआ था। वर्ष 2018 में किया था प्रोजेक्ट शुरू

ऐन आनंद फॉर एनिमल्स की पहल वर्ष 2018 में की गई थी। जिसमें पीयू इस पहल को स्वैच्छिक आधार पर आरंभ किया गया था। बाद में इसमें बदलाव किया गया और पीयू में बने सभी हॉस्टल्स में खाना बनाने के लिए प्रयोग होने वाली सब्जियों में से बची हुई पत्तेदार सब्जियां एकत्रित की जाने लगी। इन सब्जियों को एकत्रित करके स्टूडेंट्स अपने वाहनों से स्वयं गोशालाओं में पहुंचा रहे हैं। फोन कॉल पर बनती है रणनीति

हॉस्टल्स की मेस और कैंटीनों से बची हरी सब्जियों को एकत्रित करने के लिए पूरी रणनीति बनाई जाती है। गौरव ने बताया कि स्टूडेंट्स को ग्रुप में बांटा गया है जो हर हॉस्टल्स से संपर्क करते हैं और उसके बाद फोन पर जानकारी शेयर करके उन हॉस्टल्स से बची हुई हरी सब्जियों को उठाया जाता है। टीम में हैं यह सदस्य

एन आनंद फॉर एनिमल मुहीम में सेंटर फॉर सोशल वर्क विभाग के सहायक प्रोफेसर गौरव गौड़, चौधरी शीशपाल सीकंद, इशिता चौधरी, गरिमा शर्मा, अर्शदीप सिंह और सुखमन सिंह सहित स्वयंसेवकों की टीम कार्य कर रही है।


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