यौन शोषण मामलों पर पीयू सीनेट का बड़ा फैसला, टर्मिनेट होने वाले कहीं भी नहीं कर सकेंगे नौकरी
पंजाब यूनिवर्सिटी और एफिलिएटेड 194 कॉलेजों में यौन उत्पीड़न मामलों को लेकर पीयू सीनेट ने शनिवार को बड़ा फैसला लिया है।
जेएनएन, चंडीगढ़। पंजाब यूनिवर्सिटी और एफिलिएटेड 194 कॉलेजों में यौन उत्पीड़न मामलों को लेकर पीयू सीनेट ने शनिवार को बड़ा फैसला लिया है। अब यौन उत्पीड़न के मामलों में दोषी पाए जाने वाले प्रोफेसरों या कर्मचारियों पर कड़ी कार्रवाई होगी। ऐसे आरोपितों को नौकरी से तो निकाला ही जाएगा, साथ ही उन्हें अन्य किसी यूनिवर्सिटी या इंस्टीट्यूट में भी नौकरी के अयोग्य करार कर दिया गया है।
पीयू सीनेट में इस फैसले पर सर्वसम्मति से मुहर लग गई है। ऐसे मामलों में पीयू सीनेट आरोपित को तुरंत टर्मिनेट कर देगी। टर्मिनेट करने के साथ ही आरोपित को जारी होने वाले सर्टिफिकेट पर उसे अन्य किसी संस्थान में भी नौकरी नहीं देने के निर्देश जारी कर दिए जाएंगे। बीडीएस डिपार्टमेंट से शुरू हुआ मामला पीयू सीनेट में शनिवार को मामला पंजाब यूनिवर्सिटी के बीडीएस डिपार्टमेंट से शुरू हुआ। जहां पर असिस्टेंट प्रो. डॉ. दविंद्र पर सवाल उठाया गया कि उस पर कई बार आरोप लगे, लेकिन कोई उचित कार्रवाई नहीं हुई। जिस पर सीनेटरों ने कहा कि मामले पर कार्रवाई को उचित नीति बनाए जाए।
वीसी ने मामले में संज्ञान लेते हुए कहा कि यौन शोषण के लिए सभी कॉलेजों में अलग से कमेटी होनी चाहिए। मामलों में जल्द से जल्द जांच करके उसकी रिपोर्ट पीयू को सौंपे। ताकि पहली ही सीनेट में वह पेश हो सके। ऐसे मामलों में यदि अलग से सीनेट बुलानी पड़े, तो वह भी बुलाई जाए। सीनेट ने आरोपित डॉ. दविंद्र को टर्मिनेट करने का फैसला ले लिया। गौरतलब है कि इससे पहले पीयू के पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर कोमल सिंह को यौन उत्पीड़न मामले में पीयू सीनेट नौकरी से निकाल चुकी है।