किसान के बेटे प्रो. राजकुमार ने संभाली पंजाब यूनिवर्सिटी की कमान
प्रो. राज कुमार को पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ का नया वाइस चांसलर नियुक्त किया गया है। वह अपना पद्भार ग्रहण करने के लिए यहां पहुंच गए हैं।
चंडीगढ़ [डॉ. रविंद्र मलिक]। बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (बीएचयू) के इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज के डीन व हेड प्रो. राज कुमार को पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ का नया वाइस चांसलर नियुक्त किया गया है। वह आज अपना पद संभालने पहुंच गए हैं। उनके यहां पहुंचने पर पीयू के शिक्षकों व कर्मचारियों ने उनका शानदार स्वागत किया।
प्रो. राज कुमार के पास और शिक्षण के क्षेत्र में लंबा-चौड़ा अनुभव है। इंटरव्यू के लिए बुलाए गए कैंडिडेट्स में उनकी तगड़ी दावेदारी के पीछे यह बड़ा कारण रहा। प्रो. राज कुमार किसान के बेटे हैं और यूपी के भदोही के रहने वाले हैें। उन्होंने पीएचडी बीएचयू से ही की तो डी लिट लखनऊ से की है। उनकी आयु 59 साल है।
प्रो. राज कुमार का स्पेशलाइजेशन इंश्योरेंस, कैपिटल मार्केटिंग और इंटरप्रेन्योरशिप में है। उनके स्पेशल इंटरस्ट एरिया में ह्यूमन वेल्यूज एंड एथिक्स और सीएसआर हैं। उन्होंने 4 किताबें लिखी हैं और 6 रिसर्च प्रोजेक्ट्स से जुड़े रहे हैं। बीएचयू के मैनजमेंट रिव्यू के मैनेजिंग एडिटर भी रहे हैं। इसके अलावा कई इंटरनेशनल जर्नल्स के एडवाइजरी बोर्ड में भी रहे हैं। 23 जुलाई 2018 से उनका कार्यकाल आने वाले तीन साल के लिए होगा।
कई नेशनल बॉडीज के मेंबर रहे हैं
प्रो. राजकुमार कई नेशनल बॉडीज के सदस्य भी रहे हैं। वे ऑल इंडिया काउंसिल ऑफ टेक्निकल एजुकेशन (एआईसीटीई) और नैक के सदस्य रहे हैं। बीएचयू की टेक्निकल सेल के वो को-आर्डिनेटर भी रहे हैंं। उन्होंने एलआईसी पॉलिसी होल्डर काउंसिल और ऑल इंडिया काउंसिल में बतौर एग्जीक्यूटीव मेंबर काम किया है। वो भारत सरकार के कई प्रोजेक्ट्स से भी जुड़े रहे हैें।
पहले भी आ चुके हैं पीयू
प्रो. राजकुमार पहले भी पीयू आ चुके हैं। वो यूनिवर्सिटी बिजनेस स्कूल में पीएचडी वाइवा लेने आए थे। पीयू की फैकल्टी को भी वो वहां शैक्षणिक व रिसर्च संबंधित गतिविधियों के लिए उन्हें बुलाती रही है। ऐसे में यह अनुभव भी उनके काम आएगा। फैकल्टी के कई मैंबर्स वो पहले मिल चुके हैें। इंटरप्रेन्योरशिप के क्षेत्र में वो खुद बड़ा नाम हैें।
इन चुनौतियों से पाना होगा पार
पद संभालने के बाद उनको कई चुनौतियां का सामना करना पड़ेगा। इनमें पीयू की कमजोर वित्तीय हालत से लेकर सीनेट की राजनीति से पार पाना, छात्र संघ के सफल चुनाव करवाने समेत कई चुनौतियां शामिल हैं।
सीनेट की राजनीति
सबसे बड़ी चुनौती है सीनेटर्स को साथ लेकर चलना। खुद वीसी समेत 91 सदस्यों वाली सीनेट में करीब 60 फीसदी सीनेटर्स कांग्रेस और वाम दल समेत अन्य विचारधारा से ताल्लुक रखते हैें। भाजपा से जुड़े सदस्यों में करीब 10 से 15 ही हैं। कोई भी प्रस्ताव पास करने के लिए सदन में 50 फीसदी बहुमत होना जरूरी है।
7वां वेतन आयोग लागू करने के लिए 100 करोड़ चाहिए
सातवां वेतन आयोग लागू करना भी बड़ी चुनौती होगी। इसके लिए अतिरिक्त से करीब 100 करोड़ की जरूरत होगी। इसके लिए पैसे का प्रबंध करना होगा। बता दें कि पीयू को केंद्र से मिलने वाली फंडिंग में भी अन्य संस्थानों की तुलना में बेहद कम सालाना बढ़ोतरी मिलती है।
एनएसयूआइ भूख हड़ताल से करेगी स्वागत
ज्वाइनिंग वाले दिन ही कांग्रेस की छात्र इकाई कार्यालय के मुख्य गेट पर भूख हड़ताल से उनका स्वागत करेगी। एनएसयूआइ के नेता इंटरव्यू में बुलाए गए सभी कैंडिडेट्स के आरएसएस से जुड़े होने विरोध में हैं। इसके अलावा वाम विचारधारा की छात्र पार्टी एसएफएस भी धुर विरोधी है।
पीयू फैकल्टी ने किया स्वागत
पीयू फैकल्टी ने नए वीसी के आने का स्वागत किया। प्रो. रजत संधीर, प्रो. योगराज, प्रो. जतिंदर ग्रोवर, प्रो. संजय कौशिक, डॉ. प्रवीण, हरीश कुमार, प्रो. नवदीप गोयल, डॉ विशाल शर्मा, डॉ वीरेंद्र नेगी, डॉ संजीव गौतम, कंट्रोलर प्रो परविंदर सिंह, प्रो एम्युनल नाहर. प्रो रौनकी राम, डॉ सुमन मोर, डॉ नवदीप कौर, डॉ अमित जोशी और नॉन टीचिंग हैड दीपक कौशिक ने उनके पीयू वीसी चुने जाने पर खुशी जताई ।
इन लोगों ने इंटरव्यू दिया था
पीयू के वीसी के लिए 169 कैंडिडेट्स ने एप्लाई किया था। चांसलर कार्यालय द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार इनमें से 9 की छंटनी कर इंटरव्यू के लिए बुलाया गया था। इनमें प्रो टंकेश्वर, प्रो एडीएन वाजपेयी, प्रो एसके तोमर, प्रो अनु लाठर, प्रो पी बाबू, प्रो राज कुमार, प्रो आरके कोहली और प्रो एसपी बंसल आए थे।
शैक्षणिक अनुभव का पीयू को फायदा मिलेगा
टीचर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रो. राजेश गिल का कहना है कि हम नए वीसी का टीचर्स एसोसिएशन की तरफ से इसका स्वागत करते हैं। उनकी रिसर्च और शैक्षणिक अनुभव का पीयू को फायदा मिलेगा। संस्थान चलाने के लिए हम उनको हर संभव सहयोग देंगे।
यूनिवर्सिटी बिजनेस स्कूल के चेयरमैन प्रो. दीपक कपूर का कहना है कि हम उनका स्वागत करते हैें। उनके आने से यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ बिजनेस को नई उम्मीद जगी है। कंपीटिशन के दौर में संस्थान पर ज्यादा ध्यान दिए जाने की जरुरत है।