छेड़छाड़ की शिकायत की, तो कॉलेज प्रिंसिपल ने फौजी की बेटी के प्रवेश पर लगाई रोक
अनुसूचित जाति (एससी) से संबंधित छात्रा ने कॉलेज के छात्र पर छेड़छाड़ का मामला दर्ज करवाया तो प्रिंसिपल ने उसके कॉलेज में प्रवेश पर रोक लगा दी। छात्रा के पिता सेना में हैं।
चंडीगढ़, [जय सिंह छिब्बर]। अनुसूचित जाति (एससी) से संबंधित अमृतधारी छात्रा ने कॉलेज के छात्र पर छेड़छाड़ का मामला दर्ज करवाया तो प्रिंसिपल ने छात्रा के कॉलेज में प्रवेश पर पाबंदी लगा दी है। छात्रा के पिता फौजी हैं। मामला रूपनगर स्थित कॉलेज का है। इसका संचालन शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के पास है। अमृतधारी एससी छात्रा ने प्रिंसिपल के खिलाफ पंजाब राज्य अनुसूचित जाति आयोग में शिकायत दर्ज करवाई थी।
आयोग ने रूपनगर के डिप्टी कमिशनर, एसएसपी, पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला के डीन और कॉलेज के प्रिंसिपल को 9 नवंबर को जांच रिपोर्ट समेत निजी स्तर पर पेश होने के निर्देश दिए हैं। पीडि़त छात्रा बीएससी एग्रीकल्चर थर्ड ईयर में पढ़ती है। अपनी शिकायत में कहा है कि वह अमृतधारी है और उसके पिता सेना में देश की सेवा कर रहे हैं।
प्रिंसिपल ने शिकायत के बावजूद नहीं की कार्रवाई
पीडि़त छात्रा का कहना है कि कॉलेज का एक छात्र उसे मानसिक तौर पर परेशान कर रहा था। इसकी शिकायत उसने प्रिंसिपल से की थी, लेकिन उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की। इसके बाद छात्र ने उसे और परेशान करना शुरू दिया। अंत में दुखी होकर उसने सारी कहानी अपनी मां को बताई और पुलिस के पास शिकायत दर्ज करवा दी। पुलिस ने छात्र के खिलाफ छेड़छाड़ का केस दर्ज कर लिया।
पुलिस में शिकायत पर खफा हुए प्रिंसिपल
पीडि़त लड़की ने कहा कि छात्र के खिलाफ केस दर्ज करने पर प्रिंसिपल खफा हो गए और कहा कि इससे कॉलेज की बदनामी हुई है। पीडि़त छात्रा ने बताया कि वह और उसकी माता दो माह से प्रिंसिपल की मिन्नत कर रहे हैं कि इस वजह से पढ़ाई पर असर पड़ रहा है, लेकिन प्रिंसिपल ने उसके कॉलेज में दाखिल होने पर ही रोक लगा दी। पीडि़ता ने कहा कि प्रिंसिपल ने कहा था कि जितनी मर्जी मिन्नतें कर लो वह उसे कॉलेज में प्रवेश नहीं करने देंगे।
पिता की तरह देश का नाम रोशन करना चाहती हूं
पीड़ता का कहना है कि वह अपने पिता की तरह देश सेवा करके देश का नाम रोशन करना चाहती है। प्रिंसिपल उसके भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। वह तीन बहनें हैं। उसका कोई भाई नहीं है। एक तरफ देश में बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ का नारा दिया जा रहा है, दूसरी तरफ लड़कियों के शिक्षण संस्थानों में प्रवेश पर रोक लगा दी है।