ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के लिए इंडस्ट्री से जुड़े मामले सुलझाने की तैयारी
इंडस्ट्री के कई मामले दशकों पुराने हैं। इन मुद्दों की वजह से इंडस्ट्री का फीडबैक हमेशा नेगेटिव रहता है।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : इंडस्ट्री के कई मामले दशकों पुराने हैं। इन मुद्दों की वजह से इंडस्ट्री का फीडबैक हमेशा नेगेटिव रहता है। यही वजह है कि ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की रैंकिग में चंडीगढ़ लगातार पिछड़ता रहा है, लेकिन अब यूटी प्रशासन इंडस्ट्री से जुड़े पुराने मुद्दे सुलझाने में जुट गया है। एक-एक कर हर मुद्दे को टेकअप करने के आदेश इंडस्ट्री डिपार्टमेंट को दिए गए हैं। लीज टू फ्री होल्ड प्रॉपर्टी का बहुत पुराना मुद्दा है। दशकों से प्रॉपर्टी को फ्री होल्ड करने की मांग इंडस्ट्रियलिस्ट कर रहे हैं। गृह मंत्रालय से एक मीटिग इस बारे में हो चुकी है। गृह मंत्रालय ने इंडस्ट्री से जुड़ा डाटा प्रशासन से मांगा था। उसकी जानकारी भेजी जा चुकी है। अब इस मामले में दोबारा से एमएचए के साथ मीटिग होगी। एडवाइजर धर्म पाल खुद इस मीटिग में चंडीगढ़ का यह मामला रखेंगे। साथ ही इसकी मंजूरी एमएचए से मांगेंगे। खुद प्रशासक बनवारी लाल पुरोहित भी इस मामले पर दिल्ली में चर्चा करेंगे। बता दें कि इंडस्ट्रियल एरिया की 70 फीसद प्रॉपर्टी लीज होल्ड बेस है। प्रॉपर्टी टाइटल क्लीयर नहीं होने से इस पर बैंक लोन तक नहीं देते। मिसयूज वायलेशन की पेनल्टी भी तय नहीं
मिसयूज वायलेशन के पुराने रेट की जगह कई साल बाद भी नए तय नहीं हुए हैं। जो रेट प्रशासन ने तय किए थे उस पर हाई कोर्ट ने रोक लगा दी थी। बाद में दोबारा भी नए रेट का नोट एमएचए मंजूरी के लिए भेजा गया था, लेकिन इस पर भी अभी कोई निर्णय नहीं हो सका है। इंडस्ट्रियलिस्ट पुराने रेट ही चाहते हैं। एस्टेट ऑफिस ने बहुत से इंडस्ट्रियलिस्ट को मिसयूज वायलेशन के नोटिस दे रखे हैं। अलग-अलग डिपार्टमेंट नहीं पड़ेगा जाना
अभी इंडस्ट्री से जुड़े कई काम के लिए अलग-अलग डिपार्टमेंट से अप्रूवल लेनी होती है। अब इंडस्ट्री डिपार्टमेंट सिगल विडो सिस्टम शुरू करने जा रहा है। इसे ऑनलाइन भी किया जाएगा, जिससे अलग-अलग डिपार्टमेंट बिना जाए ही फाइल को मंजूरी मिलेगी। एनओसी संबंधी कामों के लिए बेवजह की देरी नहीं होगी।