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अगले माह चंडीगढ़ लोकसभा सीट पर खूब होगी दल-बदल की राजनीति, जानें क्या है पूरा मामला

शहर की लोकसभा सीट के लिए अप्रैल माह के पहले सप्ताह में चुनाव होने की उम्मीद है। ऐसे में मार्च माह से शहर पूरी तरह से लोकसभा चुनाव के रंग में रंग जाएगा।

By Edited By: Published: Thu, 07 Feb 2019 10:55 PM (IST)Updated: Fri, 08 Feb 2019 12:11 PM (IST)
अगले  माह चंडीगढ़ लोकसभा सीट पर खूब होगी दल-बदल की राजनीति, जानें क्या है पूरा मामला
अगले माह चंडीगढ़ लोकसभा सीट पर खूब होगी दल-बदल की राजनीति, जानें क्या है पूरा मामला

 चंडीगढ़, [राजेश ढल्ल]: शहर की लोकसभा सीट के लिए अप्रैल माह के पहले सप्ताह में चुनाव होने की उम्मीद है। ऐसे में मार्च माह से शहर पूरी तरह से लोकसभा चुनाव के रंग में रंग जाएगा। इसके साथ ही दल-बदल की राजनीति भी शुरू हो जाएगी। जमकर जोड़तोड़ की राजनीति होगी। इस बार पिछले लोकसभा चुनाव से ज्यादा नेता अपना दल छोड़कर दूसरे उम्मीदवार के समर्थन में उनके दल में आएंगे। इसका एक बड़ा कारण यह है कि इस समय कार्यकर्ता अपनी पार्टी से ज्यादा अपने नेता के साथ जुड़े हुए हैं। नगर निगम के कई ऐसे पार्षद हैं, जो इस समय नेता विशेष से जुड़े हुए हैं। अगर उनके नेता को टिकट नहीं मिली, तो वे दूसरे दल में शामिल हो जाएंगे। इनमें कई पार्षद और नेता ऐसे भी रहेंगे, जिनके नेता को टिकट न मिलने पर वह भितरघात की राजनीति करके अपने ही पार्टी उम्मीदवार को हरवाने का प्रयास करेंगे। जबकि उम्मीदवार दूसरे दलों के नेताओं को शामिल करवाकर अपनी ताकत बढ़ाएंगे। इस समय दो पार्षद ऐसे हैं, जोकि लोकसभा चुनाव के दौरान किसी न किसी दल में जाएंगे। दलीप शर्मा निर्दलीय पार्षद हैं, जोकि मेयर चुनाव से पहले सांसद किरण खेर के करीबी थे, लेकिन कालिया के मेयर उम्मीदवार बनने के बाद उन्होंने कैंथ का साथ देकर सांसद से किनारा कर लिया है। ऐसे में दलीप शर्मा लोकसभा चुनाव में आप या कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं। दलीप शर्मा के आम आदमी के उम्मीदवार हरमोहन धवन के साथ अच्छे संबंध हैं। जबकि दलीप शर्मा कांग्रेस की दावेदार नवजोत कौर सिद्धू से बुधवार को मिले हैं। उनका कहना है कि अभी उन्होंने कुछ तय नहीं किया है।

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बंसल को टिकट मिलने पर कैंथ कांग्रेस में होंगे शामिल

भाजपा से बागी होकर मेयर का चुनाव लड़ने वाले सतीश कैंथ अपनी ही पार्टी से बाहर हो गए हैं। ऐसे में कैंथ पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन बंसल के करीबी रह चुके हैं। कैंथ साल 2015 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए थे। मेयर चुनाव में भी बंसल के कहने पर ही कांग्रेस पार्षदों ने कैंथ को समर्थन देकर वोट दिया था। ऐसे में बंसल के समर्थक इस समय सतीश कैंथ के संपर्क में हैं, ताकि बंसल को अगर टिकट मिलती है, तो कैंथ को कांग्रेस में शामिल करवा लिया जाएगा। जबकि आप के उम्मीदवार हरमोहन धवन भी कैंथ को संपर्क कर चुके हैं। इसके बावजूद भाजपा के टंडन विरोधी गुट कैंथ को कह चुका है कि वह जल्दबाजी में निर्णय न ले और उनका पार्टी में कब्जा होने के बाद उसे वापस पार्टी में ले लिया जाएगा।

भाजपा के कई पार्षद हैं कांग्रेस और आप के संपर्क में

भाजपा में इस समय सांसद किरण खेर और अध्यक्ष संजय टंडन टिकट के दावेदार हैं। किसी एक को टिकट मिलने पर दूसरे की नाराजगी झेलनी होगी। टंडन गुट के एक पार्षद आप के धवन के संपर्क में हैं। उस पार्षद ने धवन को स्पष्ट कर दिया है कि अगर टंडन को टिकट नहीं मिलती है तो वह लोकसभा चुनाव में उनका साथ देगा। जबकि इसी तरह से सांसद खेर गुट के चंद पार्षद ऐसे हैं, जोकि यह तय कर चुके हैं कि अगर टिकट टंडन को मिलती है, तो वह कांग्रेस या आप को सपोर्ट करेंगे। भाजपा के चंद नेता और पार्षद कांग्रेस के पवन बंसल गुट के संपर्क में हैं। जबकि पार्टी का संगठन इस समय संजय टंडन के साथ है।

भाजपा ने बदले उम्मीदवार, कांग्रेस ने सिर्फ बंसल पर जताया विश्वास

भाजपा से अधिकतर बार पूर्व सांसद सत्यपाल जैन ने चुनाव लड़ा है, लेकिन इसके बावजूद भाजपा जैन के अलावा लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार बदल चुकी है। साल 2004 में कृष्ण लाल शर्मा को चुनाव में उतारा गया, जबकि पिछले बार भाजपा के कलह के कारण ही खेर को पार्टी ने उम्मीदवार बनाया, लेकिन 1992 से पवन बंसल कांग्रेस के उम्मीदवार रहे हैं। कांग्रेस के महासचिव हरमेल केसरी का कहना है कि पार्टी पवन बंसल को ही टिकट देगी।


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