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पंजाब में शराब पर घमासान, विपक्ष हमलावर, मंत्रिमंडल में भी नीति पर हो चुका है हंगामा

पंजाब में शराब पर राजनीति गरमाई हुई है। कोई नीति पर सवाल उठा रहा है तो कोई अवैध शराब को लेकर लेकर सरकार पर हमलावर है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Mon, 11 May 2020 10:03 AM (IST)Updated: Mon, 11 May 2020 10:03 AM (IST)
पंजाब में शराब पर घमासान, विपक्ष हमलावर, मंत्रिमंडल में भी नीति पर हो चुका है हंगामा
पंजाब में शराब पर घमासान, विपक्ष हमलावर, मंत्रिमंडल में भी नीति पर हो चुका है हंगामा

जेएनएन, चंडीगढ़। पंजाब में शराब पर घमासान मचा हुआ है। इसको लेकर राजनीति चरम पर है। कोई अवैध शराब को लेकर आरोप लगा रहा है तो कोई होम डिलीवरी पर सवाल उठा रहा है। शराब नीति पर भी घमासान है।शिअद कर्फ्यू में कांग्रेस नेताओं पर अवैध शराब बेचने का आरोप लगाते हुए सीबीआइ जांच की मांग कर रही है। आप विधायक व नेता प्रतिपक्ष हरपाल चीमा ने भी आरोप लगाया कि कर्फ्यू में राज्य में शराब माफिया नई ऊंचाइयां छू रहा है। पंजाब में हर साल शराब की खपत बढ़ रही है, लेकिन सरकारी खजाने को आमदनी कम हो रही है। शराब की होम डिलीवरी को लेकर भी राजनीति गरमाई हुई है। विपक्ष ही नहीं मंत्रियों की पत्नियां भी शराब की होम डिलीवरी का विरोध कर चुकी हैं। शराब नीति पर मंत्रिमंडल की बैठक में भी घमासान हुआ। मामला यहां तक पहुंचा कि कुछ मंत्री बैठक छोड़कर चले गए। 

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कर्फ्यू में में कांग्रेस नेताओं ने अवैध शराब बेची, सीबीआइ जांच हो : शिअद

शिरोमणि अकाली दल ने आरोप लगाया है कि कर्फ्यू के दौरान कांग्रेस के नेताओं और उनके दोस्तों ने करोड़ों रुपये की अवैध शराब बेची। इसकी सीबीआइ जांच होनी चाहिए। अकाली दल के प्रवक्ता डॉ. दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि स्थिति यह है कि अवैध शराब पुलिस की सुरक्षा में बेची जा रही है। इसी तरह बड़ी मात्रा में हरियाणा से शराब की तस्करी हो रही है। यही कारण है कि जब पंजाब में शराब के ठेके खोलने के लिए हरी झंडी दी गई तो किसी भी ठेकेदार ने अपनी दुकान नहीं खोली, क्योंकि कालाबाजारी से उपभोक्ताओं तक शराब पहुंचाई जा रही है। यहां तक कि शराब की होम डिलीवरी का मकसद भी शराब भट्ठियों के कारोबार को बढ़ाना है। बड़ी संख्या में कांग्रेसी नेता यह कारोबार करते हैं।

बिना मंत्रिमंडल को विश्वास में लिए सरकार चला रहे कैप्टन

कैबिनेट मीटिंग के दौरान हुई घटना पर डॉ. चीमा ने कहा कि ऐसा लगता है कि मुख्यमंत्री बिना मंत्रिमंडल को विश्वास में लिए सरकार चला रहे हैं। कैबिनेट मंत्रियों का नाराज होकर मीटिंग से चले जाना इशारा करता है कि मुख्यमंत्री के पास मंत्रियों का समर्थन नहीं बचा है। इसी तरह जो कैबिनेट मंत्री साफ-सुथरे होने का ड्रामा करते हुए सरकारी खजाने को हो रहे नुकसान की बातें कर रहे हैं, वह अपने क्षेत्र में अवैध शराब की बिक्री कराने के दोषी हैं। बहुत सारे तो शराब की होम डिलीवरी की वकालत कर चुके हैं। इससे साबित होता है कि कल की लड़ाई सरकारी खजाने को बचाने के लिए नही थी, बल्कि अपनी जेबें भरने के लिए थी।

नई ऊंचाइयां छू रहा शराब माफिया

नेता विपक्ष व आप विधायक हरपाल सिंह चीमा ने कहा है कि बाबुओं व जी-हजूरी वाली भ्रष्ट और माफिया प्रवृत्ति वाली कैप्टन की किचन कैबिनेट अब न केवल पंजाब पर भारी पड़ रही है। नई शराब नीति इसकी ताजा मिसाल है। लॉकडाउन में पंजाब का शराब माफिया नई ऊंचाइयां छू रहा है। पंजाब में हर साल शराब की खपत बढ़ रही है, लेकिन सरकारी खजाने को आमदनी कम हो रही है।

फार्म हाउस से चल रही सरकार

चीमा ने कहा कथित सरकार 'फार्म हाउस' में बैठ कर 'बाबू शाही कैबिनेट' द्वारा शाही अंदाज में चलाई जा रही है। चुने हुए जनप्रतिनिधि बुरी तरह बेबस हैं। ऐसी बेलगाम व्यवस्था में पंजाब को बर्बादी से रोकने की बजाय यदि कांग्रेसी मंत्री या विधायक कुर्सियों से ही चिपके रहेंगे तो लोगों की कचहरी में पाई-पाई का हिसाब लिया जाएगा। सरकार चलाना कैप्टन के बस की बात नहीं है। उम्र और शाही आदतों ने मुख्यमंत्री को नाकाबिल बना दिया है।

शराब लॉबी का दबाव उजागर हुआ: चुघ

भाजपा के राष्ट्रीय सचिव तरुण चुघ ने कहा है कि पंजाब के मंत्रियों और शीर्ष नौकरशाहों के बीच हुए तमाशे शराब माफिया के दबाव को उजागर कर दिया है। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के दौरान पंजाब एकमात्र ऐसा राज्य था, जिसने शराब के ठेके खोलने की अनुमति मांगी थी। वर्तमान परिदृश्य से साफ हो गया है कि शराब और खनन लॉबी प्रदेश में हावी है। उन्होंने कहा कि उन्होंने आरोप लगाया कि पंजाब सरकार वास्तव में शराब की बिक्री के माध्यम से राजस्व बढ़ाने का बहाना कर रही थी, जबकि यह कवायद शराब लॉबी को खुश करने के लिए थी। अगर किसी को इस्तीफा देना है तो वह खुद मुख्यमंत्री और उनके मंत्रियों को देना चाहिए।

ये हुआ था मंत्रिमंडल बैठक में

पंजाब के कर एवं आबकारी विभाग ने लॉकडाउन के बाद नए सिरे से ठेकों को नीलाम करने की नीति तैयार की थी। इसमें तीन विकल्प दिए गए थे। शनिवार को चीफ सेक्रेटरी करण अवतार सिंह ने बैठक की शुरुआत में ही नीति की डिटेल पढ़नी शुरू कर दी। इस पर तकनीकी शिक्षा मंत्री चरनजीत सिंह चन्नी ने कहा कि जब आपने फैसला कर ही लिया है तो हमें यहां किसलिए बुलाया है? इस पर चीफ सेक्रेटरी ने कहा कि नीति तो अफसर ही तैयार करते हैं। कैबिनेट तो उसे केवल पास करती है। इसके बाद घमासान शुरू हो गया। इस पर वित्तमंत्री मनप्रीत बादल ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि नीति अफसर नहीं, मंत्री तैयार करते हैं।

चीफ सेक्रेटरी का वित्तमंत्री के प्रति रिएक्शन काफी गुस्से वाला था। दोनों के बीच काफी बहस हुई। मनप्रीत ने कहा कि जब विभाग ने फैसला ही कर लिया है तो मंत्रियों को बताने की जरूरत भी क्या है? मंत्रियों की आपत्ति पर चीफ सेक्रेटरी करण अवतार सिंह ने भी गुस्से में प्रतिक्रिया दी। इस पर मनप्रीत बादल यह कहते हुए बैठक छोड़कर चले गए कि ऐसी बैठक अटेंड करने का क्या फायदा? उनके पीछे-पीछे तकनीकी शिक्षा मंत्री चरनजीत सिंह चन्नी भी चले गए। यह भी पता चला है कि मंत्रियों ने चीफ सेक्रेटरी से कहा कि वह हरियाणा के मॉडल का भी अध्ययन कर लें।


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