मरीजों की जान और जेब पर भारी पीजीआइ की कैंटीन
डॉ. रविंद्र मलिक, चंडीगढ़ : पीजीआइ में पहले ही परेशानी से जूझ रहे मरीजों की जेब काटने मे
By Edited By: Published: Mon, 19 Mar 2018 02:57 AM (IST)Updated: Mon, 19 Mar 2018 11:04 AM (IST)
डॉ. रविंद्र मलिक, चंडीगढ़ : पीजीआइ में पहले ही परेशानी से जूझ रहे मरीजों की जेब काटने में कैंटीन संचालक कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। पीजीआइ की मुख्य सात कैंटीन में से किसी पर भी आधिकारिक रेट लिस्ट नहीं लगी है। हालत यह है कि बिना रेट लिस्ट मरीज को मुंहमागे दाम कैंटीन वालों को देने पड़ते हैं। पीजीआइ प्रशासन को पता सब है, लेकिन कार्रवाई नहीं हो रही। एक आरटीआइ में खुलासा हुआ है कि ज्यादातर कैंटीन संचालक वो सामान बेच रहे हैं, जिसकी परमिशन उनको है ही नहीं। जो खाने-पीने की चीजें, जिस फार्मेट में अधिकारिक रूप से लिस्ट में हैं, उनको रखा ही नहीं जाता। कॉफी बनाने की मशीनें खराब पीजीआइ में कई जगह कैंटीन में कॉफी बनाने की मशीनें लगी हैं, लेकिन हालत यह है कि न तो मशीन ठीक है और न ही कॉफी का रेट। 5 रुपये अधिकारिक रेट है, लेकिन 15 से 20 रुपये वसूले जा रहे हैं। लेकिन प्रशासन मौन है। मामले को लेकर गेस्ट्रोलॉजी विभाग की कैंटीन की ओवरचार्जिग और खराब मशीन से हादसे की आशका को लेकर दो शिकायतें भी की गई हैं। 54 साल के मरीज से पानी की बोतलें के 60 रुपये वसूले, फिर गाली दी लालच की हद देखिए कि कैंटीन संचालक पैसा कमाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं। नेहरू अस्पताल के पाचवें फ्लोर पर भर्ती 54 साल के मरीज से 20 रुपये की पानी की बोतल के पाचवें फ्लोर पर स्थित डॉक्टर्स कैंटीन पर 60 रुपये वसूले गए। विरोध किया तो पीजीआइ स्टाफ ने भी कैंटीन वाले का साथ दिया। मामले की शिकायत डीडीए को दी गई है। मरीज के अनुसार उनसे गालीगलौच किया गया। खाने में कॉकरोच तो आम मिलते हैं खाने की गुणवत्ता भी लगातार सवालों के घेरे में है। खुद पीजीआइ का स्टाफ और साथ काम रहे संगठनों के सदस्य भी इसके शिकार होते हैं। न्यू ओपीडी कैंटीन में खाने की क्वालिटी का मुद्दा कई बार गर्मा चुका है। मेडिकल सोशल वर्कर सृष्टि की छोले-भटूरे की प्लेट में कॉकरोच मिला, तो इसकी शिकायत डिप्टी डायरेक्टर को दी गई थी। बिना लिस्ट लगाए महंगी चीजें रखी जाती हैं कैंटीन संचालक मरीजों और परिजनों को लूटने का खाका पहले ही तैयार कर लेते हैं। चाय, ब्रैड या पेटीज, जिनकी कीमत 10 रुपये से कम है, नहीं रखते। वो कॉफी, पनीर पेटीज या पनीर बर्गर रखेंगे, जो लिस्ट में नहीं हैं और इनका मुंहमागा दाम वसूला जाता है। दुकान या कैंटीन के सामने पानी की मशीन नहीं लगने देते पीजीआइ में कैंटीन संचालकों का जाल इस कदर फैला है कि उनकी दुकान के सामने आपको पानी की मशीन लगी कम ही नजर आएगी। इसका कारण है कि वो लगने नहीं देते, ताकि पानी की बिक्री कम न हो जाए, मरीज चाहे कितना भी परेशान क्यों नहीं हो। 5 रुपये अधिकारिक रेट है, लेकिन मिलता कुछ नहीं पीजीआइ में चाय, समोसा, वेंडिंग मशीन की चाय व कॉफी, ब्रैड का अधिकारिक रेट सब जगह 5 रुपये से कम है। लेकिन शायद ही कोई ऐसी कैंटीन हो, जहा 5 रुपये में ये खाद्य व पेय पदार्थ मिलते हों। हर कैंटीन के खिलाफ शिकायत पिछले एक साल में दर्जनभर शिकायत आ चुकी हैं। सबसे ज्यादा शिकायत गेस्ट्रोलॉजी विभाग की दुकान की आ रही है। पाचवें फ्लोर स्थित डॉक्टर्स कैंटीन की भी दो शिकायत आई हैं। इसके अलावा चौथे फ्लोर स्थित कैंटीन की दो शिकायत प्रशासन को मिली हैं। ये सभी शिकायतें ओवरचार्जिग, ज्यादा पैसे न देने पर मरीज व परिजनों से गाली गलौच और खाने की घटिया क्वालिटी को लेकर की गई हैं। हर कैंटीन में यही हाल दैनिक जागरण संवाददाता ने रेट लिस्ट को लेकर सभी कैंटीन का रियलिटी चेक किया। आइ सेंटर, एडवांस्ड कॉर्डियक सेंटर, एडवांस्ड पीडियाट्रिक सेंटर, नेहरू तल 5 स्थित डॉक्टर कैंटीन, तल 4 स्थित कैंटीन और गेस्ट्रोलॉजी विभाग का रियलिटी चेक किया। किसी भी कैंटीन में अधिकारिक रेट लिस्ट ही नहीं है और कई गुणा दाम वसूल जा रहे हैं। खाने पीने की चीजें रेट लिस्ट (रुपये) लिए जा रहे(रुपये) चाय 5 10-15 ब्रैड 5 15-20 पैक्ड वाटर बोटल प्रिंटेड रेट 20 60 पैटीज 10 15 -25 बर्गर 10 15-25 परांठा 4-6 15-20 किसी भी दुकान वाले को ज्यादा पैसे नहीं लेने चाहिए। जो ऐसा करेगा, कार्रवाई की जाएगी। कैंटीनों पर रेट लिस्ट हर हाल में लगवाई जाएगी। -प्रो. जगत राम, डायरेक्टर, पीजीआइ
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