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सनी देओल मुझे शुरू से ही पसंद, चाहता हूं कि उनकी तरह इंडस्ट्री में इमेज बनाऊं : देव खरौद

अगर लोगों को एक तरह के किरदार में पसंद आ रहे हो तो आपको ज्यादा एक्सपेरिमेंट नहीं करना चाहिए। एक्टर देव खरौद ने कुछ इसी अंदाज में एक्शन फिल्मों से जुड़ी अपनी छवि पर बात की।

By Edited By: Published: Mon, 01 Apr 2019 09:45 PM (IST)Updated: Tue, 02 Apr 2019 03:07 PM (IST)
सनी देओल मुझे शुरू से ही पसंद, चाहता हूं कि उनकी तरह इंडस्ट्री में इमेज बनाऊं : देव खरौद
सनी देओल मुझे शुरू से ही पसंद, चाहता हूं कि उनकी तरह इंडस्ट्री में इमेज बनाऊं : देव खरौद
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। एक्टर वर्सेटाइल होना चाहिए, ऐसे में उसे हर किरदार जीना चाहिए। मैंने भी इसी राह पर काका जी जैसी फिल्म की, मगर उसे उस अनुरूप सफलता नहीं मिली। हैरानी तो ये हुई कि खुद मेरे फैंस ने कहा कि आप ऐसी फिल्म मत करें। आप केवल एक्शन से जुड़े रहें। मुझे भी लगा कि अगर लोगों को एक तरह के किरदार में पसंद आ रहे हो, तो आपको ज्यादा एक्सपेरिमेंट नहीं करना चाहिए। एक्टर देव खरौद ने कुछ इसी अंदाज में एक्शन फिल्मों से जुड़ी अपनी छवि पर बात की। सोमवार को वे जेडब्ल्यू मैरियट-35 में फिल्म ब्लैकिया के लिए पहुंचे। उन्होंने कहा कि ये फिल्म मैंने चार साल पहले सुनी थी। उस दौरान मैंने मन बना लिया था कि इस पीरियड ड्रामा को करूंगा। इसमें 1970 का पंजाब दिखेगा, जिसमें मैं पुराने फिल्मी स्टाइल की ड्रेस में दिखूंगा।

फिल्म नहीं बेहतर कंटेंट चुनता हूं
देव ने कहा कि मेरी एंट्री रूपिंदर गांधी जैसी फिल्म से हुई, ऐसे में मुझे लोग रफ एंड टफ किरदारों में ज्यादा पसंद करते हैं। मैंने देखा है कि मेरी पर्सनैलिटी भी इसी तरह के कंटेंट पर फिट बैठती है। मगर मैं हर फिल्म को अभी भी कंटेंट के आधार पर चुन रहा हूं। अगर कंटेंट अच्छा लगे तो ही फिल्म में काम करने के लिए हां बोलता हूं। एक्शन की बात करूं तो मुझे सनी देओल शुरू से ही पसंद हैं। चाहता हूं कि उनकी तरह एक इंडस्ट्री में इमेज बनाउं। मगर केजीएफ फिल्म की तरह, जिसमें एक्शन तो हो ही, साथ ही आर्ट को भी अपनी एक जगह मिले।

डाकुआं दा मुंडा के बाद बदला है सिनेमा
देव ने कहा कि पंजाबी सिनेमा में इन दिनों कई बदलाव देखने को मिले। मैंने जब सिनेमा में एंट्री की, तो कॉमेडी का जोर था। मगर फिर रूपिंदर गांधी के बाद डाकुआं दा मुंडा जैसी फिल्म की। मुझे यकीन नहीं हुआ कि जो लोगों ने मुझे प्यार दिया। ये अविश्वसनीय था। मुझे खुशी है कि लोग इसी तरह के सिनेमा का इंतजार में थे, जिसकी कहानी ही हीरो हो। आज आप देखेंगे कि कितने ही मुद्दों पर फिल्म बन रही है, ये सब डाकुआं दा मुंडा के बाद ही मुमकिन हुआ।

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