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हाउसिंग प्रोजेक्ट कंपनी ग्राहक को हर्जाना समेत देगी 7.71 लाख रुपये

टाइम पर फ्लैट का पोजेशन न देने पर कं'यूमर कोर्ट ने उपभोक्ता की शिकायत पर सुनवाई करते हुए हाउसिंग प्रोजेक्ट कंपनी को हर्जाना सहित 7.71 लाख रुपये देने के आदेश जारी किए हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 11 Oct 2018 07:42 PM (IST)Updated: Thu, 11 Oct 2018 07:42 PM (IST)
हाउसिंग प्रोजेक्ट कंपनी ग्राहक को हर्जाना समेत देगी 
7.71 लाख रुपये
हाउसिंग प्रोजेक्ट कंपनी ग्राहक को हर्जाना समेत देगी 7.71 लाख रुपये

जासं, चंडीगढ़ :

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टाइम पर फ्लैट का पोजेशन न देने पर कंज्यूमर कोर्ट ने उपभोक्ता की शिकायत पर सुनवाई करते हुए हाउसिंग प्रोजेक्ट कंपनी को हर्जाना सहित 7.71 लाख रुपये देने के आदेश जारी किए हैं। इस मामले में कंज्यूमर कोर्ट ने मानसिक रूप से परेशान किए जाने के एवज में 50 हजार रुपये हर्जाना और 10 हजार रुपये मुकदमा राशि का भुगतान करने के आदेश दिए हैं।

चंडीगढ़ के रहने वाले शख्स ने अफोर्डेबल हाउसिंग प्रोजेक्ट के तहत एक फ्लैट खरीदा था। कंपनी की पॉलिसी के तहत उपभोक्ता ने फ्लैट की कुल कीमत की आधी रकम भी जमा करा दी। जब हाउसिंग कंपनी उपभोक्ता को सही समय पर फ्लैट का पजेशन नहीं दे सकी और एग्रीमेंट के तहत अफोर्डेबल हाउसिंग प्रोजेक्ट के नियमों की गई अनदेखी को देखते हुए उपभोक्ता ने कंपनी के खिलाफ कंज्यूमर कोर्ट में इसकी शिकायत दी। सुनवाई करते हुए हाउसिंग कंपनी की ओर से अनियमितताएं पाए जाने पर कंज्यूमर कोर्ट ने रकम वापस लौटाने और हर्जाना देने के आदेश जारी किए।

कंज्यूमर कोर्ट में दी शिकायत के मुताबिक सेक्टर-40 ए के रहने वाले धरिंद्र शुक्ला ने पंचकूला-बरवाला रोड पर चंडीगढ़ स्थित सेक्टर-26 के मेसर्स ग्रीन स्पेस इंफ्राहाइट्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की ओर से लांच की गई श्री वर्धमान ग्रीन स्पेस हाउसिंग प्रोजेक्ट के तहत 535 स्क्वेयर फीट का एक फ्लैट बुक कराया था। इसकी कुल कीमत 14 लाख रुपये थी। यह हाउसिंग प्रोजेक्ट अफोर्डेबल हाउसिंग प्रोजेक्ट के तहत लॉन्च किया गया था। उपभोक्ता ने जो फ्लैट बुक कराया था, उसके लिए उसने कंपनी को 28 मई 2015 को 72,163 रुपये एप्लीकेशन फीस दी थी। वहीं, 20 फरवरी 2016 को उपभोक्ता ने कंपनी को 7,11,963 रुपए फ्लैट के लिए इंस्टालमेंट के लिए रूप में जमा कराई थी। हरियाणा सरकार की नीति के तहत बिल्डिंग प्लान अप्रूवल और एनवायरमेंट क्लीयरेंस के ठीक चार साल बाद पजेशन दिया जाना था। लेकिन उपभोक्ता को समय पर पोजेशन नहीं दिया गया।


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