PEC के 101 साल पूरे, कल्पना चावला, रैपर बादशाह भी यहीं पढ़े, स्थापना दिवस पर सलाहकार धर्मपाल होंगे मुख्यातिथि
चंडीगढ़ के सेक्टर-12 स्थित पंजाब इंजीनियरिंग कालेज (PEC) का आज स्थापना दिवस है। पेक आज 101 वर्ष का हो गया है। 101 वर्ष के सफर में पेक ने जहां खुद कई पड़ाव देखे वहीं पर कई मुकाम देश को दिलाए भी हैं।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। चंडीगढ़ के सेक्टर-12 स्थित पंजाब इंजीनियरिंग कालेज (PEC) का आज स्थापना दिवस है। पेक आज 101 वर्ष का हो गया है। 101 वर्ष के सफर में पेक ने जहां खुद कई पड़ाव देखे वहीं पर कई मुकाम देश को दिलाए भी हैं। पेक ने सैकड़ों ऐसे एलुमनी देश को दिए है जिन्होंने साइंस से लेकर इंजीनियरिंग के रूपों में बड़ा बदलाव किया है।
पेक एलुमनी देश के साथ मानवता की सेवा करने के साथ सिनेमा और साइंस के क्षेत्र में काम कर रहे हैं और अपना और पेक का नाम विश्व रोशन कर रहे हैं। पेक एलुमनी में चंडीगढ़ सलाहकार धर्मपाल से लेकर लोगों के दिलों पर राज करने वाले कामेडियन जसपाल भट्टी, रैपर बादशाह, अंतरिक्ष परी कल्पना चावला भी शामिल हैं।
इसी प्रकार से इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाइजेशन की स्थापना के बाद लंबे समय पर पेक के एलुमनी प्रो. सतीश धवन को पेक की जिम्मेदारी दी थी। प्रो. धवन ने पाकिस्तान में मैक्लगन इंजीनियरिंग कालेज के नाम पर चल रहे कालेज से बीए आनर्स डिग्री मैकेनिकल इंजीनिसरिंग में दो गोल्ड मेडल के साथ पूरी की थी।
कार्यक्रम में पेक एलुमनी चंडीगढ़ के एडवाइजर धर्मापाल मुख्यातिथि
प्रशासक के सलाहकार धर्मपाल पेक के एलुमनी हैं। 101 वर्ष का होने पर पेक ने आज शाम 5 बजे स्थापना समारोह आयोजित किया है, जिसमें सलाहकार मुख्य अतिथि होंगे। पेक के स्थापना दिवस में होने वाले कार्यक्रम में पेकके सफर को दिखाने के साथ उपलब्धियों को पेश किया जाएगा।
पेक एलुमनी के डिजाइन पर बनी शहर की दो इमारत
पेक के फैकल्टी मेंबर रहे प्रो. आइसी स्याल ऐसी हस्ती थे जिन्होंने पीजीआइ चंडीगढ़ की न्य ओपीडी और सेक्टर-17 में स्थित रिजर्व बैंक की इमारत का डिजाइन डिजिटली तैयार किया था। उनके डिजाइन के अनुसार दोनों इमारतों का निर्माण किया गया है।
पेक ने किया पाकिस्तान से चंडीगढ़ तक का सफर
पंजाब इंजीनियरिंग कालेज पेक की स्थापना 1921 में पाकिस्तान के लाहौर में मैक्लगन इंजीनियरिंग कालेज के रूप में हुई थी। उस समय कालेज की स्थापना अंग्रेजों ने की थी। उसका उद्देश्य था कि भारतीयों को इस कालेज में पढ़ाई करवाकर उनसे काम करवाया जाए। करीब 18 वर्ष तक यह कालेज लाहौर में मैक्लगन इंजीनियरिंग कालेज के तौर पर चलता रहा और देश की आजादी के बाद पेक को आइआइटी रूड़की में ईस्ट पंजाब इंजीनियरिंग कालेज के नाम से संचालित किया गया। उसके बाद इसे चंडीगढ़ के सेक्टर-12 में पंजाब इंजीनियरिंग कालेज के नाम से स्थापित किया गया।