पंजाब में नहीं मिल रहा मरीजों को आयुष्मान भारत योजना का लाभ, बीमा कंपनी ने खींचे हाथ
पंजाब में मरीजों को आयुष्मान भारत मुख्यमंत्री सेहत बीमा योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा। दरअसल स्टेट हेल्थ एजेंसी का जिस बीमा कंपनी से करार था उसने हाथ पीछे खींच दिया है। कंपनी ने 25 फरवरी से सेवाएं देनी बंद कर दी।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब में आयुष्मान भारत मुख्यमंत्री सेहत बीमा योजना (एसबीएमएसबीयू) का लाभ लोगों को नहीं मिल रहा है। स्टेट हेल्थ एजेंसी (एसएचए) ने ईमेल भेजकर पंजाब और चंडीगढ़ के कई निजी अस्पतालों को कहा है कि एसबीआइ जनरल इंश्योरेस कंपनी के साथ एजेंसी का करार था, लेकिन कंपनी ने 25 फरवरी से अपनी सेवाएं देने में असमर्थता जताई है।
बता दें, उक्त योजना 2019 में राज्य के लोगों के लिए शुरू की गई थी। पंजाब की 65 फीसद से ज्यादा आबादी इस योजना का लाभ ले रही है। योजना के तहत जरूरतमंद लोगों को पांच लाख रुपये तक की मुफ्त सेहत सुविधाएं मुहैया होती थी। मरीज पूरे देश में कहीं पर भी अपना इलाज करवा सकते है, लेकिन अब अस्तपालों में जाकर जब मरीजों की ओर से आयुष्मान कार्ड दिया जा रहा है तो उनका इलाज शुरू नहीं हो पा रहा है।
एसएचए के अधिकारियों का कहना है कि बीते साल दिसंबर में भी इस तरह की समस्या आई थी, लेकिन कंपनी से कुछ समय मांगा गया था। इसके बाद सेवाएं जारी रखी गई। इस बीच, पंजाब में विधानसभा चुनाव आ गया, लेकिन अब चुनाव के बाद एकाएक कंपनी की ओर से सेवाएं देना बंद करने की बात कह दी है। इस कारण ये है कि बडे़ स्तर पर मरीजों के क्लेम आ रहे हैं, इससे कंपनी को घाटा हो रहा है। अभी तक बीते साल के भी कई क्लेम सेंटल नहीं हुए हैं।
एक निजी अस्पताल की ओर से बताया गया कि जब मरीज के आयुष्मान कार्ड का नंबर क्लेम के लिए डाला जाता है तो कार्ड वेरीफिकेशन के लिए उसको ओटीपी आता है। मरीजों को ओटीपी तो आ रहा है, लेकिन कार्ड वेरीफाइ नहीं हो रहा है। इसके कारण वे आयुष्मान के तहत अपना इलाज नहीं करवा पा रहे हैं।
चीमा बोले- स्वास्थ्य माफिया को बढ़ावा देने के लिए घोटाले की शिकार हुई योजना
नेता प्रतिपक्ष हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि राज्य में सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह से चरमरा गई हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस, भाजपा और अकाली सरकारों ने सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए कई योजनाएं शुरू कीं, लेकिन उनका उद्देश्य जनता का स्वास्थ्य ठीक करना नहीं, बल्कि करदाताओं के पैसे से कुछ मुट्ठी भर लोगों को लाभ पहुंचाना था।
हरपाल चीमा ने आयुष्मान भारत योजना की विफलता पर जोर देते हुए कहा कि इस योजना बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और घोटाला हुआ है, जिसके कारण योजना का बड़ा हिस्सा आम लोगों के स्वास्थ्य पर खर्च होने के बजाय निजी बीमा कंपनियों और निजी अस्पतालों के पास जा रहा है। यह योजना अब निजी अस्पताल मालिकों, बीमा कंपनियों एवं भ्रष्ट राजनेताओं और अधिकारियों द्वारा जनता के टैक्स के पैसे को लूटने का जरिया बन गया है।
चीमा ने कहा कि आयुष्मान भारत योजना के तहत हर साल सरकार निजी बीमा कंपनियों को 4,000 करोड़ रुपये अदा करती है, जिसके अधिकांश हिस्से को निजी अस्पताल मरीजों के इलाज का खर्च जानबूझकर बढ़ाकर लूटते हैं। आप नेता ने कहा कि अगर यही 4,000 करोड़ों रुपये हर साल सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र और सरकारी अस्पतालों की सुधार पर खर्च हो तो स्वास्थ्य क्षेत्र में क्रांति आ जाएगी। लेकिन जनविरोधी और पूंजीवादी सरकारें जनता के स्वास्थ्य की कीमत पर जनता के ही पैसे को जानबूझकर गलत तरीके से खर्च करती है, ताकि सत्ता में बैठे नेताओं और उनके उद्योगपति दोस्तों का फायदा हो सके।
हरपाल चीमा ने कहा कि 90% रोगियों का इलाज ओपीडी में होता है और वे इस योजना का लाभ नहीं उठा सकते हैं। यानी सरकार इतनी बड़ी रकम सिर्फ 10-15 फीसद मरीजों पर ही खर्च कर रही है और वहां भी कई मामलों में देखा गया है कि निजी अस्पताल इस योजना के जरिए मरीजों और बीमा कंपनी दोनों से पैसे वसूलते हैं। चीमा ने कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिस योजना को सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार के लिए शुरू किया गया था वह आज डिफाल्टर निजी अस्पतालों एवं भ्रष्ट नेताओं और अधिकारियों के भ्रष्टाचार का शिकार हो गया है।