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पिता के बाद परमिंदर ढींडसा भी कर सकते हैं अकाली दल से बगावत, पार्टी से बनाई दूरी

शिरोमणि अकाली दल के विधायक दल के नेता और पूर्व वित्त मंत्री परमिंदर सिंह ढींडसा पार्टी को अलविदा कह सकते हैं।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Mon, 23 Dec 2019 10:31 AM (IST)Updated: Tue, 24 Dec 2019 09:10 AM (IST)
पिता के बाद परमिंदर ढींडसा भी कर सकते हैं अकाली दल से बगावत, पार्टी से बनाई दूरी
पिता के बाद परमिंदर ढींडसा भी कर सकते हैं अकाली दल से बगावत, पार्टी से बनाई दूरी

चंडीगढ़ [जय सिंह छिब्बर]। विधानसभा में शिरोमणि अकाली दल के विधायक दल के नेता और पूर्व वित्त मंत्री परमिंदर सिंह ढींडसा पार्टी को अलविदा कह सकते हैं। परमिंदर ढींडसा ने अभी तक इस मुद्दे पर चुप्पी साध रखी है और मीडिया के सामने नहीं आ रहे है, लेकिन उनके पिता राज्यसभा सदस्य सुखदेव सिंह ढींडसा अपने बेटे के बारे में बार-बार दावा कर रहे हैं कि परमिंदर पार्टी छोड़ने वाले हैं। परमिंदर ढींडसा के अकाली दल के समागमों से दूरी बनाने से भी संकेत मिलता है कि वे किसी भी समय बगावत कर सकते हैं। 

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परमिंदर सिंह ढींडसा ने अकाली दल के अध्यक्ष के चुनाव के लिए अमृतसर में हुई मीटिंग और स्थापना दिवस समागम से दूरी बनाए रखी। इसी तरह पटियाला में अकाली दल के धरने में भी वह शामिल नहीं हुए। इससे स्पष्ट होता है कि परमिंदर ढींडसा का अकाली दल से मोह भंग हो गया है।

यदि परमिंदर ढींडसा अकाली दल से बगावत करते हैं तो पार्टी को सदन में विधायक दल का नेता बनाने के साथ-साथ वित्त की स्थिति पर सरकार को घेरने के लिए बड़ा संकट खड़ा हो सकता है। इस समय पार्टी के पास पूर्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया और शरनजीत सिंह ढिल्लों सीनियर नेता हैं। बिक्रम सिंह मजीठिया सदन में सरकार को अलग-अलग मुद्दों पर घेर कर सरकार के लिए संकट जरूर पैदा करते हैं, लेकिन यदि मजीठिया को विधायक दल का नेता बना दिया जाता है, तो परिवारवाद का एक ओर आरोप पार्टी लीडरशिप पर लगेगा। श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के मुद्दे पर पार्टी पहले ही गंभीर संकट में फंसी है।

राज्यसभा सदस्य सुखदेव सिंह ढींडसा ने पिछले वर्ष अकाली दल के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था, जबकि इस वर्ष 19 अक्टूबर को राज्यसभा में पार्टी के नेता के तौर पर इस्तीफा दे दिया था। इस्तीफा देने के बाद ढींडसा ने अकाली दल की बैठकों और कार्यक्रमों से दूरी बना ली थी। उनके बेटे परमिंदर सिंह ढींडसा पूरी सक्रियता के साथ काम कर रहे थे।

टकसाली नेता बढ़ा सकते हैं सुखबीर की मुश्किलें

पार्टी अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल भी कह रहे हैं कि किसी नेता के जाने से पार्टी को फर्क नहीं पड़ता, लेकिन पार्टी सूत्र बताते हैं कि सुखदेव सिंह ढींडसा की बगावत से पार्टी धर्म संकट में फंस चुकी है। इससे पहले माझा के अकाली नेता रणजीत सिंह ब्रह्मपुरा, डॉ. रत्न सिंह अजनाला और सेवा सिंह सेखवां (तीनों पूर्व मंत्री) पार्टी से बगावत कर अकाली दल टकसाली बना चुके हैं। इसी तरह पूर्व स्पीकर रविइंदर सिंह भी अकाली दल टकसाली के नेताओं के साथ संपर्क बना चुके हैं। अकाली दल के इन बड़े नेताओं का एकजुट होना पार्टी प्रधान सुखबीर सिंह बादल के लिए बड़ा संकट पैदा कर सकता है।

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