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पानी की बर्बादी रोकने के लिए अब संस्थाएं भी आई सामने

पानी की बर्बादी रोकने और भू जल स्तर बढ़ाने के लिए कई संस्थाएं और रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन सामने आ रही है। इसके साथ ही पर्यावरण के लिए काम कर रही ऑरगेनिक संस्था ने लोगों को जागरूक करने के लिए प्लान बनाया है। संस्था अपने स्तर पर नुक्कड़ नाटक भी तैयार कर रही है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 03 Aug 2021 06:31 PM (IST)Updated: Tue, 03 Aug 2021 06:31 PM (IST)
पानी की बर्बादी रोकने के लिए अब संस्थाएं भी आई सामने
पानी की बर्बादी रोकने के लिए अब संस्थाएं भी आई सामने

राजेश ढल्ल, चंडीगढ़

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पानी की बर्बादी रोकने और भू जल स्तर बढ़ाने के लिए कई संस्थाएं और रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन सामने आ रही है। इसके साथ ही पर्यावरण के लिए काम कर रही ऑरगेनिक संस्था ने लोगों को जागरूक करने के लिए प्लान बनाया है। संस्था अपने स्तर पर नुक्कड़ नाटक भी तैयार कर रही है। यह नाटक पानी की बर्बादी रोकने और लोगों को पानी का मूल्य समझाने के विषय पर ही तैयार हो रहा है।

संस्था के अनुसार वीकेंड पर यह नाटक शहर के पर्यटक स्थलों और सार्वजनिक स्थलों पर आयोजित किए जाएंगे। इस शनिवार और रविवार को नुक्कड़ नाटक आयोजित हो रहा है। नाटक के लिए युवा रिहसर्ल कर रहे हैं। इसके साथ ही ऑरगेनिक संस्था ने एक टीम का भी गठन किया है जो कि सुबह सेवरे अलग अलग सेक्टरों में जाकर पानी की बर्बादी करने वाले लोगों का इसके लिए रोक कर उन्हें जागरूक करेगी।

शहर सुबह सवेरे सैकड़ों लोग पाइप लगाकर खुले में पीने के पानी से गाड़ी धाने के अलावा लॉन की सिचाई करते हैं। जबकि इसके लिए टरशरी वाटर का प्रयोग हो सकता है। जबकि फासेवक और क्राफ्ड पहले से लोगों को जागरूक करने की घोषणा कर चुकी है। शहर में 1400 एकड़ लैंड, दिया जाए टरशरी वाटर का कनेक्शन

ऑरगेनिक संस्था के संयोजक राहुल महाजन ने दैनिक जागरण द्वारा चलाए गए अभियान से प्रभावित होकर सलाहकार धर्म पाल को मंगलवार पत्र लिखकर शहर के पानी को बचाने के लिए सुझाव दिए हैं। पत्र में कहा गया है कि शहर में कृषि योग्य भूमि के लिए भी टरशरी वाटर के कनेक्शन उपलब्ध करवाए जाएं। उनका कहना है कि शहर में 1400 एकड़ एग्रीकल्चर लैंड है। अगर यहां पर खेती करने वाले किसानों को टरशरी वाटर मिल जाए तो वह ओरगेनिक खेती कर सकते हैं। इससे ग्राउंड लेवल का पानी भी बच जाएगा। संस्था का दावा है कि शहर में 450 से ज्यादा किसान है। अभी यहां पर ट्यूबवेल लगाकर सिचाई की जाती है। इसके साथ ही संस्था ने सलाहकार से अपील की है कि शहर में सड़क किनारे लगे पेड़ों की सिचाई के लिए भी टरशरी वाटर प्रयोग करना चाहिए। जो इस समय टैंकर से सिचाई की जाती है उसे बंद किया जाना चाहिए। संस्था के अनुसार जिस एरिया में टरशरी वाटर की पाइप लाइन नहीं डली है वहां पर लाइन डालने के लिए नगर निगम के अधिकारियों से बात की जाएगी। शहर में नीम और अशोक के ज्यादा से ज्यादा पौधे लगाए जाएंगे। ऐसे पेड़ शहर का भूजल स्तर बढ़ाने में अहम भूमिका निभाते हैं लोगों को इसके लिए भी जागरूक किया जाएगा। संस्था की ओर से लोगों को पानी की बर्बादी रोकने के लिए जागरूक किया जाएगा। नाटक भी तैयार किया जा रहा है।

- उपाध्यक्ष, ओरगेनिक संस्था, रिटायर्ड कर्नल कुलविदर सिंह। बहुत से बुद्धिजीवियों का मत है कि अगला विश्व युद्ध पीने के पानी के लिए होगा। इसलिए जल संरक्षण हमारी प्राथमिकता में शामिल होना चाहिए ताकि ऐसी परिस्थिति उत्पन्न होने से रोका जा सके। चंडीगढ़ जैसे आधुनिक शहर में टरशरी वाटर की गुणवत्ता को सुधारा जाए, ताकि इसे दुर्गन्ध रहित बनाया जा सके ताकि अधिक से अधिक शहरवासी इसके कनेक्शन ले सके। विदेशों में तो इसे पीने लायक बनाया जाता है। इस प्रक्रिया से पीने लायक पानी की बर्बादी को रोक कर बागबानी में इस्तेमाल किया जाएगा और भूजल स्तर के लेवल में सुधार होगा। उनकी संस्था दैनिक जागरण के अभियान को लोगों तक लेकर जाएगी।

- नरेश कोहली, उपाध्यक्ष, हाउसिग इंप्लाइज सोसाइटी।


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