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सिर्फ उम्र बढ़ी, खेलने का शौक आज भी बरकरार

अपने जुनून और जज्बे के चलते पूरे टूर्नामेंट में चर्चा का विषय बने हुए हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 16 Feb 2020 09:03 PM (IST)Updated: Sun, 16 Feb 2020 09:03 PM (IST)
सिर्फ उम्र बढ़ी, खेलने का शौक आज भी बरकरार
सिर्फ उम्र बढ़ी, खेलने का शौक आज भी बरकरार

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : बैडमिटन चैंपियनशिप में यूं तो 200 से ज्यादा प्रतिभागी खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया लेकिन कुछ खिलाड़ी ऐसे भी थे जो अपने जुनून और जज्बे के चलते पूरे टूर्नामेंट में चर्चा का विषय बने हुए हैं। ऐसे ही दो खिलाड़ी हैं अनिल कुमार सौंधी और हारून रशीद। इन दोनों खिलाड़ियों का जुनून इतना है कि अनिल कहते हैं कि रिटायरमेंट के बाद मैंने मेडल जीतना ही अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया, वहीं, एमबीए और कानून की पढ़ाई कर चुके रशीद आज भी सुबह शाम बैडमिटन खेलते हैं, इतना ही नहीं उन्होंने अपने इसी शौक के लिए स्पो‌र्ट्स की दुकान भी खोली है। खेलने के लिए आज बच्चों की तरह उठती है तलब

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वेटरंस खिलाड़ी अनिल कुमार सौंधी मौजूदा समय में 67 साल के हैं। अनिल सौंधी बताते हैं कि अपनी रिटायरमेंट की बाद उन्होंने अपना पूरा ध्यान बैडमिटन खेलने में लगाया है। नहीं खेलो तो किसी काम में नहीं लगता मन

आज उनकी हालत यह है कि वह अगर मैदान नहीं पहुंचे तो उनका पूरा दिन खराब हो जाता है, उनका दिल किसी काम में नहीं लगता। घर में कोई काम पड़ जाए और वह खेलने न जा पाएं तो उनकी वैसी ही हालत होती है जैसी किसी बच्चे की खेल में मैदान पर नहीं पहुंचने पर होती है। इतना ही नहीं, टूर्नामेंट में मेडल या ट्रॉफी न मिले तो कई दिन तक उदास रहता हूं। गौरतलब है अनिल कुमार सौंधी चंडीगढ़ मास्टर स्टेट बैडमिटन चैंपियनशिप की 60 प्लस कैटेगरी के सिगल और डब्ल्स में वह पांच साल चैंपियन रहे और 65 प्लस कैटेगरी में वह तीन साल से चैंपियन हैं। इसके अलावा उन्होंने पिछले साल गोवा में आयोजित नेशनल मास्टर्स नेशनल चैंपियनशिप के डब्ल्स मुकाबले में सिल्वर और सिगल में ब्रांज मेडल जीता था। शौक की नहीं होती कोई उम्र

एशिया पैसिफिक गेम्स के मिक्सड मुकाबले के मेडलिस्ट हारून रशीद ने इस प्रतियोगिता की दो कैटेगरी में हिस्सा लेते हुए मेडल जीता। हारून ने फेदर शटल के मुकाबले में 90 प्लस कैटेगरी में दीपक के साथ तो 100 प्लस कैटेगरी में ओमबीर के साथ खेलते हुए खिताब पर कब्जा किया। हारून रशीद बताते हैं कि शौक की कोई उम्र नहीं होती है। बचपन में बैडमिटन खेलते थे।


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