सीएचबी अलॉटियों के लिए रिलीफ का पैकेज, वन टाइम सेटलमेंट से रेगुलराइज होगी नीड बेस्ड चेंज
चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड (सीएचबी) ने अपने अलॉटियों को बड़ी राहत देने की तैयारी कर ली है।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड (सीएचबी) ने अपने अलॉटियों को बड़ी राहत देने की तैयारी कर ली है। 60 हजार मकानों में किए गए नीड बेस्ड चेंज को वन टाइम सेटलमेंट के जरिए रेगुलराइज किया जाएगा। इसकी फीस क्या होगी, इस पर मंथन शुरू हो गया है। बोर्ड डायरेक्र्ट्स फीस कम से कम रखने का दबाव बना रहे हैं, जिससे लोगों को ज्यादा से ज्यादा राहत मिल सके और वह आसानी से अपने घरों में किए गए बदलावों को रेगुलर करवा सकें। दैनिक जागरण के 'हमारी सुनो सरकार' अभियान से प्रशासनिक गलियारों में हलचल है। खासकर सीएचबी पर लोगों जल्द राहत देने का दबाव बढ़ गया है। सभी राजनीतिक दल भी इस मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट कर चुके हैं। बोर्ड के सूत्रों से जानकारी मिल रही है कि 15 दिन तक इस मामले में राहत की घोषणा हो सकती है। बोर्ड ने नीड बेस्ड चेंज को रेगुलर करने की प्रक्रिया पर काम शुरू कर दिया है। वन टाइम सेटलमेंट के लिए फीस का मॉडल क्या होगा इस पर चर्चा शुरू हो गई है। वन टाइम सेटलमेंट से पहले की तरह ली जाने वाली एनुअल पेनल्टी के झंझट से अलॉटियों को मुक्ति दी जाएगी। उन्हें पहले की तरह सालाना पेनल्टी नहीं देनी होगी। एक बार ही सभी तरह की कंस्ट्रक्शन के लिए फीस लेकर इसे रेगुलर किया जाएगा। इंडिपेंडेंट मकानों में मिलेगा 70 प्रतिशत कवर्ड एरिया
इंडिपेंडेंट मकानों में लोग निर्धारित एरिया से ज्यादा में कंस्ट्रक्शन कर चुके हैं। यह लोग बोर्ड से प्लॉट एरिया का 100 प्रतिशत एरिया कवर करने की मंजूरी मांग रहे थे। बोर्ड में इन लोगों को 70 से 75 प्रतिशत एरिया कवर करने की मंजूरी देने पर विचार शुरू हो गया है। उससे ऐसे अधिकतर मकानों को फायदा होगा, साथ ही लोगों को बड़ी राहत भी मिलेगी। बोर्ड 100 प्रतिशत एरिया कवर करने की मंजूरी देने के हक में नहीं है। इसका कारण यह है कि बहुत से अलॉटियों ने पूरा एरिया कवर कर रखा है। जिस कारण मकान में कहीं से रोशनी और वेंटीलेशन तक नहीं है। ऐसे मकानों को 70 प्रतिशत तक एरिया ही कवर करने की मंजूरी मिलेगी। इससे ज्यादा कंस्ट्रक्शन को हटाना होगा। अलग-अलग सेक्टरों में हाउसिंग बोर्ड के ऐसे बहुत से मकान हैं। ईडब्ल्यूएस मकानों के प्लॉट एरिया कंस्ट्रक्शन को मिलेगी मंजूरी
ईडब्ल्यूएस कैटेगरी के मकानों में 90 प्रतिशत तक अतिरिक्त निर्माण हुआ है। छोटे मकान होने के कारण परिवार बढ़ने के साथ लोगों अपनी जरूरत को देखते हुए एक कमरे की जगह तीन कमरे तक बना रखे हैं। बहुत से मकानों ने तो साथ लगती सरकारी जमीन तक को प्लॉट में मिला लिया। बोर्ड इस मामले में सरकारी जमीन पर अतिक्रमण को किसी भी सूरत में मंजूरी नहीं देगा। हालांकि प्लॉट एरिया के अंदर स्टोरी लाइन के तहत कंस्ट्रक्शन को मंजूरी दी जाएगी। इसके लिए वन टाइम अमनेस्टिी (आम माफी) देने पर विचार शुरू हो गया है। फीस अदा करने के बाद लोगों को यह आम माफी मिलेगी। चंडीगढ़ में ऐसे 25 हजार मकान हैं। सबसे ज्यादा अवैध निर्माण इन्हीं मकानों में हैं। इसका बड़ा कारण यह भी है कि जिस समय लोगों को मकान अलॉट किए गए थे उन्हें हैबिटेबल डाइमेंशन (किचन, शौचालय जैसी जरूरी चीजें) तक नहीं दी गई थी। मकान अलॉट होने के बाद लोगों ने अपने पैसे खर्च कर बाद में यह चीजें बनाई। इन्हें बनाने के बाद बोर्ड ने इस कंस्ट्रक्शन के लिए नोटिस देने शुरू कर दिए थे। राजनीतिक दल भी पक्ष में
हाउसिंग बोर्ड के 60 हजार अलॉटियों की यह दशकों पुरानी मांग है। पिछले कई चुनाव में राजनीतिक दल मांग पूरी कराने का आश्वासन देकर वोट लेते रहे, लेकिन समस्या जस की तस ही बनी रही। दैनिक जागरण ने हमारी सुनो सरकार अभियान के तहत सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को एक मंच पर लाकर जवाब मांगा तो हर किसी ने लोगों के साथ नाइंसाफी होने की बात स्वीकार की। इसके बाद सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों और फेडरेशन की ऑल पार्टी ज्वाइंट एक्शन कमेटी बनाने का फैसला लिया गया। लोगों की मांगों का कॉमन एजेंडा तैयार कर बोर्ड से मंजूरी दिलाने पर सहमति बनी। राजनीतिक हितों से ऊपर उठकर नेताओं ने ऐसा करने की ठानी तो प्रशासन पर भी दबाव बढ़ा। जिसके बाद इस मुद्दे पर लोगों को राहत देने की तैयारी बोर्ड की तरफ से की गई है।