सुबह और शाम एक-एक घंटे की अतिरिक्त वाटर सप्लाई 28 से Chandigarh News
नगर निगम के मेयर और पार्षद लेह-लद्दाख के टूर पर 24 को जा रहे हैं और वे 28 को वापस लौटते ही शाम को वाटर वर्क्स में होने वाले कार्यक्रम में शामिल होंगे।
चंडीगढ़, जेएनएन। शहरवासियों की सुबह और शाम की एक-एक घंटे तक पानी की सप्लाई बढ़ने जा रही है। कजौली वाटर वर्क्स के पांचवें और छठे फेज से अतिरिक्त 35 एमजीडी पानी मिलना शुरू हो गया है। जिसका 28 सितंबर को पंजाब के गवर्नर एवं यूटी प्रशासक वीपी सिंह बदनौर उद्घाटन करने जा रहे हैं। सेक्टर-39 के प्रमुख वाटर वर्क्स में कार्यक्रम का आयोजन रखा गया है। इन 35 में से 29 एमजीडी पानी चंडीगढ़ को मिलेगा जबकि पंचकूला और चंडीमंदिर को तीन-तीन एमजीडी की अतिरिक्त सप्लाई मिलनी शुरू हो जाएगी। इसी कारण नगर निगम ने शहरवासियों को सुबह और शाम एक-एक घंटे के लिए सप्लाई बढ़ाने का प्लान बनाया है। मालूम हो कि इस समय सुबह और शाम शहरवासियों को चार-चार घंटे पानी की सप्लाई मिलती है।
28 को लौट आएंगे पार्षद
नगर निगम के मेयर और पार्षद लेह लद्दाख के टूर पर 24 को जा रहे हैं और वे 28 को ही वापस लौट रहे हैं। लौटते ही शाम को वाटर वर्क्स में होने वाले कार्यक्रम में शामिल होंगे। इस वाटर वर्क्स से ही शहर में पानी की सप्लाई होती है। इस समय पहले चार फेज से लोगों को 58 एमजीडी पानी मिल रहा है।
इंजीनियर्स चाहते हैं ट्यूबवेल बंद करने
जनस्वास्थ्य विभाग के इंजीनियर्स चाहते हैं कि अतिरिक्त पानी की सप्लाई आने पर जो इस समय ट्यूबवेल चल रहे हैं, उन्हें बंद कर देना चाहिए ताकि ग्राउंड लेवल वाटर बढ़ सके। इंजीनियर्स ने कजौली वाटर वर्क्स के साथ जुड़े 50 ट्यूबवेल पहले फेज में बंद करने की भी योजना बनाई थी लेकिन अब नगर निगम ने शहरवासियों को सुबह और शाम एक एक घंटे पानी की सप्लाई का समय बढ़ाने का मन बनाया है। ऐसा इसलिए कि नए बनने वाले फेज का लोगों को फायदा मिल सके।
300 करोड़ से अधिक का हो चुका खर्चा
अतिरिक्त मिलने पर 87 एमजीडी पानी मिलना शुरू हो जाएगा। पिछले पांच साल से नगर निगम इस अतिरिक्त पानी का इंतजार कर रहा है। इस प्रोजेक्ट पर नगर निगम का 300 करोड़ रुपये से ज्यादा का खर्चा हो चुका है। नगर निगम के अनुसार जब तक वाटर वर्क्स में स्टोरेज टैंक की क्षमता नहीं बढ़ जाती तब तक ट्यूबवेल बंद करने का कोई फायदा नहीं है। एमसी का बढ़ेगा 25 करोड़ का सालाना खर्चा नए फेज से पानी आने पर नगर निगम का सालाना 20 से 25 करोड़ रुपये का खर्चा बढ़ जाएगा। जबकि इस समय ही नगर निगम को शहर में पानी की सप्लाई करने पर सालाना 80 करोड़ रुपये का घाटा पड़ रहा है।