..तो पैसों की तरह एटीएम से निकलेंगी दवाइयां
इस तरह के प्रोजेक्ट को सफल बनाने के लिए देश के स्टूडेंट्स की पांच टीमें काम में जुटी हुई हैं।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : कैसा हो यदि एटीएम की तरह ही एक मशीन ऐसी आए, जिससे पैसों की तरह ही जरूरी दवाइयां आसानी से निकल जाएं.. सुनने में यह कुछ अजीब जरूर लग रहा होगा, लेकिन यह संभव हो सकता है। इस तरह के प्रोजेक्ट को सफल बनाने के लिए देश के स्टूडेंट्स की पांच टीमें काम में जुटी हुई हैं। इन टीमों में कुल 40 स्टूडेंट हैं। यह जानकारी मिली हैकाथॉन-2018 के सेंट्रल साइंटिफिक इंस्ट्रूमेंट्स आर्गनाइजेशन (सीएसआइओ) के कार्यक्रम में। पांच दिनों तक चलने वाला यह कार्यक्रम यहां सेक्टर-30 में चल रहा है। इसमें अलग-अलग प्रोजेक्टों पर काम कर रही देश के विभिन्न राज्यों की चौदह टीमें भाग ले रही हैं। दवाइयों का एटीएम : डॉक्टर्स होंगे रजिस्टर
सबसे रोचक प्रोजेक्ट दवाइयों के एटीएम का रहा। इसके तहत दवाइयों के एटीएम के लिए एक चैनल बनेगा। इसमें डॉक्टर्स को शामिल किया जाएगा। सभी डॉक्टर्स की एक यूनिक आइडी होगी। उसे एक लिंक मिलेगा। मरीज डॉक्टर के पास आएगा, उसे डॉक्टर दवाई की पर्ची देगा। उस पर्ची के ऊपर एक कोड होगा, जिसे लेकर मरीज दवाई के एटीएम पर जाएगा। वहां वह पर्ची पर बने हुए यूनिक नंबर को स्कैन करेगा। यदि डॉक्टर रजिस्टर है तो ही उसका यूनिक कोड एटीएम स्वीकार कर लेगा। वह मरीज को पैसे स्क्रीन पर बता देगा और वह दवाई पैक होकर अपने आप मिल जाएगी। इस एटीएम में एक्सपायर हुई दवा खुद ही रिजेक्ट हो जाएगी। इस प्रोजेक्ट पर पांच टीमें काम कर रही हैं। हर टीम का काम अलग-अलग है। कोई दवा की पर्ची के साथ एटीएम कार्ड देगा, कोई उसे आधार कार्ड नंबर से जोड़ने पर व कोई स्मार्ट फोन के साथ जोड़कर दवा मुहैया कराने पर काम कर रहा है। प्रोजेक्ट को फाइनल टच शुक्रवार को अंतिम दिन मिलेगा। इसके लिए एक्सपर्ट इंजीनियर की टीम के सामने प्रेक्टिकल होगा। जो प्रोजेक्ट बन सकता है, उसे इंजीनियर तैयार करेंगे।
यह होगा लाभ
दवाइयों के एटीएम वाले प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य मरीजों को लंबी-लंबी लाइनों से निजात दिलाना, झोलाछाप डॉक्टर्स की छुट्टी करना और सस्ते रेटों पर उपकरण मुहैया कराना है। फिजियोथेरेपी के लिए बन रही मशीन
आज एक फिजियोथेरेपिस्ट एक ही समय में एक मरीज का इलाज कर सकता है। एक मरीज को देखने में डॉक्टर को आधे से दो घंटे तक लग जाता है। मुम्बई के केजे सौम्या कॉलेज ऑफ इंजीनिय¨रग के स्टूडेंट्स एक मशीन का निर्माण कर रहे हैं, जोकि ऑटोमेटिक होगी। यह मशीन इंसान के अलग-अलग शारीरिक भागों के अनुरूप बनाई जा रही है। इस मशीन की मदद से डॉक्टर मरीज का तीन से पांच मिनट में चेकअप कर लेगा। पूरा काम मशीन के जरिए कंट्रोल होगा।
यह होगा लाभ
इससे डॉक्टर का बहुत समय बच जाएगा। इस प्रोजेक्ट पर काम कर रही टीम के लीडर चिराग शाह ने बताया कि मशीन के बनने से डॉक्टर्स और मरीजों को बड़ी सुविधा मिलेगी। एक डॉक्टर एक दिन में कई मरीजों की जांच व इलाज कर सकेगा। मिलेंगे सस्ते आर्टिफिशियल वोकल कोट
सीएसआइओ में आयोजित हैकाथॉन में आरएमके कॉलेज इंजीनिय¨रग एंड टेक्नोलाजी के स्टूडेंट्स ने आर्टिफिशियल वोकल कोट का निर्माण किया है। ऐसी मशीन पहले से ही बाजार में है, लेकिन उसकी कीमत डेढ़ से पौने दो करोड़ है, जबकि आरएमके कॉलेज के स्टूडेंट्स की मशीन की कीमत छ से आठ हजार रुपये होगी। इस मशीन को हेडफोन की शक्ल देकर गले में डाला जाएगा। वहां पर तरंगों के जरिए वोकल कोट को निर्देश दिया जाएगा और इंसान की आवाज गले से निकल सकेगी।
यह होगा लाभ
मशीन का लाभ उन मरीजों के लिए होगा, जोकि कैंसर के कारण अपनी आवाज को खो चुके हैं। मशीन से मरीज अन्य लोगों के साथ सही से कम्यूनिकेशन कायम रख सकेगा।
यह है हैकाथॉन-2018
पुणे में 16 जून 2017 को लांच किया गया स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन विद्यार्थियों की रचनात्मकता और विशेषज्ञता का उपयोग करता है। यह गवर्नेस एक आम जीवन को बेहतर करने के लिए आम जनता से सोल्यूशन्स जुटाता है और भारत की विभिन्न गंभीर समस्याओं के समाधान के लिए देश के नागरिकों को उचित अवसर प्रदान करता है। इसमें विभिन्न संस्थानों के स्टूडेंट्स की अलग-अलग टीमें विभिन्न समस्याओं के समाधान में उपयोगी प्रोजेक्ट को प्रस्तुत करती हैं।