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पराली प्रबंधन पर दावे ज्यादा, जमीनी हकीकत कोसों दूर

किसानों को पराली न जलाने से आमदनी के बड़े-बड़े सब्जबाग सरकारों की ओर से दिखाए जा रहे हैं, लेकिन इनकी जमीनी हकीकत कुछ और ही है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Fri, 12 Oct 2018 01:57 PM (IST)Updated: Fri, 12 Oct 2018 01:57 PM (IST)
पराली प्रबंधन पर दावे ज्यादा, जमीनी हकीकत कोसों दूर

चंडीगढ़ [इन्द्रप्रीत सिंह]। किसानों को पराली न जलाने से आमदनी के बड़े-बड़े सब्जबाग सरकारों की ओर से दिखाए जा रहे हैं, लेकिन इनकी जमीनी हकीकत कुछ और ही है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल का जब दबाव बढ़ा तो केंद्र सरकार ने आनन-फानन में पराली से बनने वाले बायो प्रोडक्ट्स बनाने के उपायों पर काम करना शुरू किया। किसानों को आश्वस्त किया गया कि यदि वे पराली को आग के हवाले न करें तो इससे उनको अच्छी आमदनी हो सकती है।

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आनन फानन में बायो फ्यूल बनाने के लिए हिंदुस्तान पेट्रोलियम और इंडियन ऑयल जैसी कंपनियों को इस काम पर लगा दिया जिन्होंने 16 महीने पहले पंजाब और हरियाणा सरकारों से एमओयू भी साइन कर लिए। लेकिन, मुख्यमंत्री के चीफ प्रिंसिपल सेक्रेटरी सुरेश कुमार ने कहा है कि इसके लिए कोई प्लानिंग नहीं की गई। अब जब 16 महीने बीत गए हैं तो कहा जा रहा है कि दोनों कंपनियों के पास पराली से बायो फ्यूल बनाने की कोई तकनीक ही नहीं है। सुरेश कुमार ने कहा कि क्या पराली जैसी समस्या से निपटने के लिए इस तरह की योजनाएं कारगर होंगी?

बायो फ्यूल या बायो सीएनजी के अलावा पंजाब सरकार ने पिछले साल चेन्नई की एक कंपनी से बायोमास प्लांट लगाने के लिए समझौता किया। इस कंपनी ने पराली से बायो फ्यूल केक तैयार करने थे जिसे थर्मल प्लांट में कोयले के रूप में प्रयोग किया जा सकेगा। सुरेश कुमार ने यह भी दावा किया कि इसमें नेशनल थर्मल प्लांट कार्पोरेशन के साथ यह समझौता किए जाने की बात कही कि वे उनके थर्मल प्लांटों में इस तरह का फ्यूल उपलब्ध करवा देंगे।

पराली के अलावा उन्होंने शहरों का सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट भी इस्तेमाल करने का दावा किया। कंपनी ने कहा कि 400 प्लांट पंजाब में लगाए जाएंगे, लेकिन अब पता चला है कि कंपनी ने मात्र एक प्लांट लगाया है। इसका शिलान्यास तीन महीने पहले वित्तमंत्री मनप्रीत बादल ने बठिंडा में किया। इसने अभी तक अपना काम शुरू नहीं किया है।

घन्नौर प्लांट से किसानों का भरोसा टूटा

बायोमास से बिजली बनाने का काम करने के मामले में घन्नौर के पास एक प्लांट लगाया गया, जिसने किसानों के विश्वास को तोड़ दिया है। भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के जनरल सेक्रेटरी ओंकार सिंह अगौल ने बताया कि कंपनी को पिछले साल किसानों ने बेलर के जरिए पराली की गांठें बनाकर पराली सप्लाई की थी। यह फेल साबित हुआ। किसानों ने आज भी पौने पांच करोड़ रुपये कंपनी से लेने हैं। अगौल ने यह सच्चाई सुरेश कुमार के सामने गत दिवस हुए एक सेमिनार में बताई।

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