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Punjab News: दुष्कर्म से सिर्फ पीडि़ता नहीं, पूरा परिवार होता है प्रताड़ना का शिकार: हाई कोर्ट

इस मामले में वादी प्रतिवादी ने कोर्ट के बहुमूल्य समय को बर्बाद किया है जबकि कोर्ट के पास विचाराधीन केस का काफी बोझ है। जस्टिस जगमोहन बंसल की खंडपीठ ने फरीदकोट में दुष्कर्म आपराधिक विश्वासघात और आइटी अधिनियम के तहत दर्ज प्राथमिकी को रद करते हुए यह टिप्पणी की।

By Jagran NewsEdited By: Narender SanwariyaPublished: Mon, 20 Mar 2023 01:37 AM (IST)Updated: Mon, 20 Mar 2023 01:37 AM (IST)
Punjab News: दुष्कर्म से सिर्फ पीडि़ता नहीं, पूरा परिवार होता है प्रताड़ना का शिकार: हाई कोर्ट
दुष्कर्म से सिर्फ पीडि़ता नहीं, पूरा परिवार होता है प्रताड़ना का शिकार: हाई कोर्ट

चंडीगढ़, दयानंद शर्मा। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने दुष्कर्म के एक मामले में समझौता होने पर दर्ज प्राथमिकी को खारिज करते हुए कहा है कि दुष्कर्म का अपराध साधारण क्रूरता या सिर्फ महिला के प्रति क्रूरता नहीं है, अपितु पीडि़ता के लिए भविष्य में वैवाहिक जीवन की संभावना कम कर देता है। कोर्ट ने कहा कि भारतीय संस्कृति में केवल दुष्कर्म पीडि़ता ही नहीं, बल्कि उसका पूरा परिवार सामाजिक, मानसिक और नैतिक प्रताड़ना का शिकार होता है।

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इस मामले में वादी प्रतिवादी ने कोर्ट के बहुमूल्य समय को बर्बाद किया है, जबकि कोर्ट के पास विचाराधीन केस का काफी बोझ है। जस्टिस जगमोहन बंसल की खंडपीठ ने फरीदकोट में दुष्कर्म, आपराधिक विश्वासघात और आइटी अधिनियम के तहत दर्ज प्राथमिकी को रद करते हुए यह टिप्पणी की। इस मामले में दोनों पक्षों ने प्रतिशोध के आधार पर एक दूसरे के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी, लेकिन बाद में उनमें समझौता हो गया था।

याचिकाकर्ता ने परिवार के सदस्यों की इच्छा के विरुद्ध प्रतिवादी (पत्नी) के साथ विवाह किया था। शादी के बाद पत्नी कनाडा चली गई। इसके बाद उसने अप्रैल 2020 में पत्नी और उसके पिता के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी) और 120-बी (आपराधिक साजिश) के तहत प्राथमिकी दर्ज की।

बाद में पत्नी ने प्रतिशोध में दुष्कर्म जैसे आरोप की प्राथमिकी दर्ज करा दी। बाद में दोनों पक्षों में समझौता हो गया। इसकी जानकारी उन्होंने कोर्ट में दी और एफआइआर रद करने की मांग की। हाई कोर्ट ने एफआइआर तो रद कर दी, लेकिन पति-पत्नी पर सख्त टिप्पणियां की हैं। हाईकोर्ट ने कहा है कि जब भी याचिकाकर्ता की पत्नी और उसके पिता कोई याचिका दायर करेंगे, याचिकाकर्ता को आवश्यकता के अनुसार बयान देने होंगे।


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