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केवल बातों से नहीं चलेगा काम, घंटी बजाओ व जागो और जगाओ, बचेंगे बड़ी मुसीबत से

पंजाब सहित देशभर में जल संकट लगातार गंभीर हाे रहा है़। भूजल स्‍तर भी लगातार गिर रहा है। ऐसे में जल संरक्षणा बेहद जरूरी है। इसलिए घंटी बजाएं और खुद भी जागें व दूसरों को भी जगाएं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Tue, 18 Jun 2019 01:15 PM (IST)Updated: Tue, 18 Jun 2019 01:15 PM (IST)
केवल बातों से नहीं चलेगा काम, घंटी बजाओ व जागो और जगाओ, बचेंगे बड़ी मुसीबत से
केवल बातों से नहीं चलेगा काम, घंटी बजाओ व जागो और जगाओ, बचेंगे बड़ी मुसीबत से

चंडीगढ़/जालंधर, जेएनएन। अब बातों से नहीं काम नहीं चलेगा। अब जागने और जगाना बेहद जरूरी है। इसलिए घंटी बजाएं, खुद भी जागें और दूसरों की भी जगाएं। अन्‍यथा बड़ी मुसीबत इंतजार कर रही है। हम बात कर रहे हैं जल संकट की। पंजाब में लगातार गिर रहे भूजल स्तर खतरे की तरफ इशारा कर रहा है। पंज दरियाओं की धरती पंजाब में हर साल भूजल दो से तीन फीट तक नीचे गिरता जा रहा है। आज हालात यहां तक पहुंच गई है कि राज्य के 141 ब्लॉकों में से 110 ब्लॉक डार्क जोन में हैं और 12 के करीब क्रिटिकल डार्क जोन में चले गए हैं। इन क्रिटिकल डार्क जोन में कोई भी नया टयूबवेल लगाने पर जहां केंद्रीय भूजल बोर्ड ने पाबंदी लगा दी है, वहीं इन ब्लॉकों में उन प्रोजेक्ट्स को लगाने भी मंजूरी नहीं दी जा रही है, जिनमें पानी की खपत अधिक है।

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राज्य के 141 ब्लॉकों में से 110 ब्लॉक डार्क जोन में हैं और 12 क्रिटिकल डार्क जोन

अगर हम अब भी न चेते तो भविष्य में गिरते जल स्तर के कारण पीने की पानी का के लिए भी तरसेंगे। नदियों में भी पानी की कमी होती जा रही है। पंजाब में औसतन बारिश 1997 तक 710 एमएम से ज्यादा होती रही है लेकिन पिछले 22 साल में एक भी साल ऐसा नहीं है जब औसतन 700 एमएम बारिश हुई हो। 2002 में यह आंकड़ा मात्र 312 एमएम ही रह गया था।

तीसरी विकट स्थिति पानी के प्रदूषित होने को लेकर है। रासायनिक, सीवरेज आदि का पीने के पानी के स्रोतों को खराब कर रहा है। शायद ही कोई शहर ऐसा हो जहां ट्रीटमेंट प्लांट सही चल रहे हों। कुछ समय पहले तत्‍कालीन स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने माना था कि राज्‍य में तीन वाटर प्‍लांट ही चल रहे हैं।

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राज्य में गिरता भू-जल स्तर खतरे की तरफ तो इशारा कर ही रहा है, साथ ही खेती के लिए ट्यूबवेलों से किया जा रहा पानी का दोहन और गांव व शहरों में तरह-तरह से हो रही पानी की बर्बादी से भी संकट खड़ा हो गया है। ऐसी स्थिति में पानी की बर्बादी रोकने के लिए दैनिक जागरण ने 18 जून से राज्य के आठ शहरों लुधियाना, अमृतसर, जालंधर, पटियाला, बठिंडा, होशियारपुर, पठानकोट व मोगा में 'घंटी बजाओ, पानी बचाओ' अभियान शुरू किया है। इस दौरान वाटर वारियर्स की टीम घरों में जाकर डोर बेल यानी घंटी बजाएगी और उन्हें पानी बचाने के लिए सचेत करेगी।

ऐसे न बर्बाद करें जल, यह है हमारा आज और कल।

गिर रहा भू-जल, सजगता ही हल, तभी संवरेगा कल

पंजाब में लगातार गिर रहे भू-जल स्तर खतरे की तरफ इशारा कर रहा है।  पंजाब के 110 ब्लॉक डॉर्क जोन में जा चुके हैैं। सूबे के नौ जिलों के 18 ब्लॉकों में ट्यूबवैल लगाने पर रोक लगा दी गई है। ऐसी स्थिति में पानी की बचत के लिए सभी को पहल करनी होगी। सरकार के साथ साथ लोगों को भी आगे आना होगा। जानें आठ जिलों में क्या हैैं भू-जल के हालात।

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जालंधर के सभी दस ब्लाक डार्क जोन में

भूजल स्तर लगातार गिर रहा है। खेती के लिए करीब 93 हजार और शहरी क्षेत्रों में पेयजल के लिए करीब 550 ट्यूबवेलों से पानी निकाला जा रहा है। जिले के सभी 10 ब्लॉक आदमपुर, भोगपुर, गोराया, जालंधर ईस्ट, जालंधर वेस्ट, लोहियां, नकोदर, नूरमहल, फिल्लौर और शाहकोट डार्क जोन में हैैं। विश्व बैंक के सर्वे के अनुसार जिले में भूजल स्तर खतरे के लेवल से नीचे जा चुका है। खासकर जालंधर सेंट्रल, जालंधर वेस्ट, जालंधर ईस्ट और नकोदर में स्थिति ज्यादा नाजुक है।

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लुधियाना में हर साल तीन फीट तक गिर रहा भू-जल स्तर

लुधियाना जिले में भू-जल का बेतहाशा इस्तेमाल खतरा बढ़ा रहा है। वैज्ञानिकों की मानें तो जिले में हर साल भू-जलस्तर तीन से साढ़े तीन फीट तक गिर रहा है। जिले के 12 में से 11 ब्लॉक डार्क जोन में शामिल हो चुके हैं। 20 साल पहले 40 से 60 फीट गहराई पर उपलब्ध पानी अब 100 से 120 फीट तक जा पहुंचा है। पीने के लिए तो 350 से 450 फीट गहराई से पानी लिया जा रहा है। अगले दस सालों पीने का पानी 550 फीट से नीचे चला जाएगा।

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अमृतसर में 80 से 500 फीट गहराई तक पहुंचा पानी

गुरुनगरी में भी पानी को लेकर स्थिति चिंताजनक है। नौ जोन रेड जोन में आ चुके हैैं। शहर में रोजाना 200 एमएलडी पानी की जरूरत है जो 2020 में दोगुना हो जाएगी। नगर निगम द्वारा 360 ट्यूबवेल पेयजल आपूर्ति के लिए पानी निकाल रहे हैैं। कुछ दशक पहले 80 फीट खुदाई करने पर पानी मिलता था और अब भू-जल स्तर 500 फीट तक पहुंच चुका है।

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पटियाला में एक दशक में गिरा 60 फीट नीचे चला गया पानी

मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के जिले में भी भू-जल को लेकर हालात सामान्य नहीं हैैं। पानी की बर्बादी को रोकने में लापरवाही भविष्य में जल संकट खड़ा कर सकती है। पिछले एक दशक में भू-जल स्तर 50 से 60 फीट तक गिर चुका है। घनौर और शंभू क्षेत्रों में तो जल स्तर 280 फीट नीचे जा चुका है जबकि शेष क्षेत्रों में 200 फीट तक चला गया है।

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बठिंडा में हर साल जलस्तर में तीन फीट तक गिरावट

जिले के आठ ब्लॉकों में से पांच ब्लॉक डार्क जोन में जा चुके हैैं। रामपुरा, फूल, भगता, मौड़ और नथाना ब्लॉकों में हालात ज्यादा खराब हैैं। लगातार पानी के दोहन ने इन ब्लाकों में जल संकट खड़ा कर दिया है। धान की खेती के बढ़ती पानी की मांग के कारण इन ब्लाकों में हर साल डेढ़ से तीन फीट तक भू-जल स्तर गिर रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार अगर इस स्थिति पर काबू न पाया गया तो आने वाले समय में पेयजल की किल्लत गहरा सकती है।

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होशियारपुर में हर साल 55 सेंटीमीटर नीचे जा रहा पानी

शहर में हर रोज अढाई लाख किलो लीटर पानी की सप्लाई की जा रही है। एक अनुमान के अनुसार इसमें से 25 फीसद पानी बर्बाद किया जा रहा है। जिले में प्रति वर्ष भूजल का स्तर 45 से 55 सेंटीमीटर नीचे जा रहा है। गढ़शंकर, दसूहा, हाजीपुर और टांडा डार्क जोन में पहुंच गए हैं जबकि तलवाड़ा भी इस श्रेणी में आने वाला है। नया ट्यूबवेल 300 से 350 फीट तक लगाया जा रहा है।

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पठानकोट में ट्यूबवेल होने लगे पानी रहित 

पठानकोट में पानी जमीन से 150 फीट नीचे तक पहुंच गया है। ट्यूबवेल जवाब देने लगे हैं। पठानकोट और सुजानपुर शहरों में भूजल की स्थिति बेहद चिंताजनक है। पठानकोट में करीब 10 ट्यूबवेल के नीचे से पानी खत्म हो गया है। शहर में पौने तीन लाख की आबादी को एक लाख 88 हजार गैलन पानी की सप्लाई भी कम पड़ रही है। एक अनुमान के अनुसार अगले 10 साल में पानी 10 से 20 फीट और नीचे चला जाएगा।

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मोगा के 80 फीसद ब्लाक डार्क जोन में 

जिले में भूजल की स्थिति खतरनाक स्तर पर है। पांच ब्लॉक में से चार ब्लॉक डार्क जोन में हैैं। केंद्रीय भूजल रेगूलेटरी अथॉरिटी का मानना है कि अगले 20 साल बाद मोगा पेयजल को लेकर स्थिति और बिगड़ जाएगी। वर्तमान में 350 फीट से ज्‍यादा गहराई में जाकर पेयजल निकाला जा रहा है। खेती के लिए पिछले 15 सालों में 90 हजार नए ट्यूबवेल लगे। जिले में ट्यूबवेलों की संख्या बढ़कर 2.45 लाख हो चुकी है।

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