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तिरस्कार और भेदभाव झेलने के बाद भी नहीं छोड़ा हौसला, आज सफलता के शिखर पर Chandigarh News

पूजा गवर्नमेंट पीजी कॉलेज नारायणगढ़ में हिंदी विभाग में बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर तैनात हैं और फिलहाल पंजाब यूनिवर्सिटी के हिंदी विभाग से पीएचडी कर रही हैं।

By Edited By: Published: Tue, 19 Nov 2019 12:34 AM (IST)Updated: Tue, 19 Nov 2019 09:40 AM (IST)
तिरस्कार और भेदभाव झेलने के बाद भी नहीं छोड़ा हौसला, आज सफलता के शिखर पर Chandigarh News

चंडीगढ़, जेएनएन। हमारे देश में सबसे गंभीर समस्या जात-पात की है। एक महिला ऐसी भी है जिसने इन समस्याओं का सामना करते हुए कामयाबी हासिल की। बचपन से ही जातिवाद का शिकार बनी पूजा ने समाज की रूढ़ीवादी सोच को दरकिनार करते हुए नया मुकाम हासिल किया है। यहां बात हो रही है मिसेज हरियाणा-2019 पूजा अलाहन की। पूजा का जन्म हरियाणा के भिवानी में हुआ और उनका बचपन हिसार के हांसी में बीता। पूजा ने दैनिक जागरण संवाददाता से बातचीत में अपनी जिंदगी के उन पहलूओं पर खुलकर बात की जो आज भी हमारे समाज में पैर जमाए हुए हैं।

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पूजा गवर्नमेंट पीजी कॉलेज नारायणगढ़ में हिंदी विभाग में बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर तैनात हैं और फिलहाल पंजाब यूनिवर्सिटी के हिंदी विभाग से पीएचडी कर रही हैं। पूजा ने बताया कि जब वे प्राइमरी लेवल पर पढ़ रही थीं तो उन्हें अंग्रेजी टीचर ने जातिवाद को लेकर बहुत प्रताड़ित किया। उस वजह से वे पढ़ाई में होशियार होने के बाद भी उतना उम्दा प्रदर्शन नहीं कर पाई। इस बात का मलाल उन्हें हमेशा रहेगा। वह अध्यापक ताना मारते हुए कहता था कि तू कुछ नहीं कर पाएगी।

मां-बाप ने दिया साथ, ससुराल से नहीं मिला सपोर्ट

उन्होंने बताया कि माता-पिता के आर्शीवाद, भाई-बहनों के प्यार और बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर के आदर्शों के मार्गदर्शन से ही आज मैं इस मुकाम पर पहुंची हूं। ससुराल में पहले दिन से ही ससुराल वालों की बहू के प्रति मानसिकता का पता चल गया। उन्होंने घर का सारा काम किया और अपनी इच्छाओं को कहीं न कहीं दफन कर दिया।

महिलाओं के डर को करना है समाप्त

पूजा बताती हैं कि मेरा लक्ष्य मैं इस जातिवाद और रूढ़ीवाद को समाप्त करूं। इसके साथ-साथ महिलाओं में जो डर है, उसे दूर करना है। मैं इस समय हरियाणा में मुहिम चला रही हूं और भगवान की दुआ से मेरे साथ काफी लोग जुड़ रहे हैं। मेरा लक्ष्य है कि मैं इसे पूरे देश में चलाउं। महिला सशक्तीकरण तब तक सार्थक नहीं होगा, जब तक ग्रामीण आंचल की महिलाएं चूल्हा छोड़कर अपनी प्रतिभा को लोगों के सामने नहीं रखेंगी।

बहूओं के लिए करना है कार्य

उन्होंने कहा कि जब एक लड़की पैदा होती है तो वह अपने साथ काफी जिम्मेदारी लेकर आती है। बेटी, बहू, पत्नी, मां जैसे कई रोल उसे निभाने पड़ते हैं। बहू बचाओ-बहू पढ़ाओ मुहिम को आगे लाना है। आज हमारे देश में कई ऐसी महिलाएं हैं जिनमें टैलेंट होने के बाद भी वे उसे दबाकर जी रही हैं क्योंकि शादी के बाद उन्हें ससुराल पक्ष की जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए अपनी इच्छाओं को दबाना पड़ता है और जिससे वह अपना अस्तित्व खो देती हैं। जब महिला होगी शिक्षित तभी उसका विकास होगा। महिलाएं शिक्षित और आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर नहीं होंगी जब तक वह अपनी इच्छाओं और सपनों को पूरा नहीं कर सकती। इसलिए उन्होंने बचपन से शोषण, तिरस्कार, अपमान, भेदभाव झेलने के बाद भी अपनी पढ़ाई नहीं छोड़ी और अपने आपको सफलता के शिखर तक पहुंचाया। मिसेज हरियाणा बनने के बाद हरियाणा और दूसरे राज्यों से कई लोग पूजा की मुहिम से जुड़ रहे हैं और यह सब उनके स्वयं पर विश्वास और शिक्षित होने की वजह से हुआ है।

सफलता के गाड़ रही हैं झंडे

पूजा को बचपन से जहां पढ़ने से रोका जाता था, वहीं, आज वे शिक्षा के मामले में बहुत आगे हैं। पूजा ने एमए हिंदी, एमएमसी मासकॉम, बीएड, एमफिल हिंदी, एचटैट, यूजीसी नेट की उपलब्धि हासिल कर ली है। पीजीएचडी पंजाब यूनिवर्सिटी से जारी है। पढ़ाई के अलावा पूजा ने नेशनल लेवल पर डांस, स्टेट लेवल बेस्ट एक्ट्रेस के अलावा कई अवॉर्ड हासिल किए हैं।

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